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ब्यूरोक्रेसी ने चहेते की पिटकुल में एमडी पद पर नियुक्ति के लिए बार-बार बदले मानक

  • आवेदन की आखिरी तारीख से पहले ही दे दी नियुक्ति
  • सात-सात अधिकारियों की अनदेखी कर भ्रष्टाचार के आरोपी को बना डाला एमडी
  • मामला अब मुख्यमंत्री दरबार तक जा पहुंचा 

राजेन्द्र जोशी

देहरादून : उत्तराखंड में वह सबकुछ हो जाता है जो देश के किसी और राज्य में नहीं हो सकता यही एक कारण है कि भ्रष्टाचारियों और जुगाडूओं के लिए यह राज्य मुफीद साबित हुआ है यहाँ चाहे सरकार किसी भी दल की क्यों न हो आपकी यहां की ब्यूरोक्रेसी तक बस मजबूत पकड़ होनी चाहिए। एक और ख़ास बात यहाँ यह भी है यहाँ के पढ़े –लिखे बेरोजगारों और को भले ही नौकरी या रोज़गार उपलब्ध न हो लेकिन बाहरी राज्यों के लोगों के लिए यह राज्य रोज़गार दिलाने में आज भी देश में पहला स्थान रखता है रोज़गार पाने वाला चाहे अब्बल दर्जे का भ्रष्टाचारी ही क्यों न हो।

यहाँ चहेते की नियुक्ति के लिए हर बार बदल दिए जाते हैं मानक तक भी , जी हां मामला उत्तराखंड के पिटकुल का है जहाँ राज्य सरकार के अधिकारियों ने कुम्भ घोटाले सहित कई अन्य मामलों में आरोपी रहे एक अधिकारी को प्रबंध निदेशक बना डाला है वह भी तक जब उसने यहाँ के प्रबंध निदेशक के लिए जारी विज्ञापन के द्वारा आवेदन किया हुआ है। जिसकी अंतिम तारीख 17 अगस्त नियत है। राज्य की ब्यूरोक्रेसी और अधिकारियों की सांठ-गांठ का इससे अच्छा उदहारण और क्या हो सकता है कि इस दागी अधिकारी को दो अगस्त को ही उस विभाग का एमडी बना दिया गया जिस विभाग में एमडी के लिए उनसे आवेदन किया हुआ है। इतना ही नहीं देश का शायद यह पहला मामला होगा जिसमें एक आवेदनकर्ता को बिना किसी औपचारिकता पूर्ण किये ही सीधे एमडी बना दिया गया है जबकि विभागीय वरिष्ठता सूची उससे ऊपर सात और अधिकारी थे। लेकिन कहावत है न ‘’जब समय बलवान तो गधा पहलवान’’ यही कहावत यहाँ भी चरितार्थ हुई है। इस अधिकारी के लिए सत्ता से शासन तक के महारथियों ने एक बार नहीं तीन- तीन बार इस अधिकारी को एमडी बनवाने के लिए जारी विज्ञापनों में जारी अहर्ताओं में फेरबदल कर डाला।

 मामला तब और दिलचस्प हो गया जब विज्ञापन में दी गयी आखिरी तारीख से पहले ही ऐसे अधिकारी को बिना साक्षात्कार के ही उसी संस्थान का एमडी बना दिया है जहाँ उसने उसी पद के लिए आवेदन किया हुआ है। इतना ही नहीं मामले में इस अधिकारी को एमडी बनाने के लिए क्या क्या जुगत नहीं किये गए यह भी देखने लायक है। कहने को तो अब तक मुख्य अभियंता के पद पर इलेक्ट्रिकल में डिग्रीधारी व्यक्ति को ही मुख्य अभियंता बनाया जाता रहा है क्योंकि यह विभाग बिजली से ही जुड़े कार्यों को निष्पादित करता है लेकिन इस पहुँच वाले अधिकारी इस पद पर येन केन प्रकारेण बैठाने के किये इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की अहर्ता में शिथिलीकरण करते हुए या छूट देते हुए मेकेनिकल इंजीनियरिंग की अहर्ता रखी गयी, (क्योंकि इनके पास इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री नहीं थी) इतना ही नहीं मुख्य अभियंता के पद पर दो साल के अनुभव को समाप्त करते हुए मात्र एक साल के अनुभव को प्राथमिकता दी गयी (क्योंकि इनके पास दो साल का अनुभव नहीं था)।

यहाँ यह भी गौर करने वाली बात है देश के प्रमुख संस्थानों एनएचपीसी, एनटीपीसी और ओएनजीसी जैसे संस्थानों में एमडी ऐसे व्यक्तियों को बनाया जाता रहा है जिनमें उन संस्थानों के तकनीकी व प्रबंधन में योग्यताधारी, मानव संसाधन कार्यों में निपुण व्यक्तियों को ही प्रबंध निदेशक (एमडी) बनाया जाता रहा है या वे ही इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं जिसमें विभागीय कार्यप्रकृति के अनुरूप अहर्ता हो लेकिन उत्तराखंड के इस संस्थान के एमडी  के पद के लिए तमाम औपचारिकताओं की यहाँ भी जमकर अनदेखी की गयी है। क्योंकि चहेते अधिकारी को एमडी जो बनाना है। मामले की शिकायत अब मुख्यमंत्री तक भी पहुंची है अब यह देखना होगा मुख्यमंत्री इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं ।    

devbhoomimedia

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