UTTARAKHAND
लॉकडाउन ठेंगे पर : यूपी के विधायक सहित दस लोगों को चर्चित नौकरशाह ने करा दी उत्तराखंड की सैर : हुए गिरफ्तार
योगी के पिताजी की तेरहवीं में पहुँच गए यूपी के 11 लोग बिना बुलाये
नौकरशाह ने देहरादून जिले से दिलवाई लॉक डाउन में उत्तराखंड घूमने की इजाज़त
चार-चार जिले पार करते हुए पहुँच गए चमोली दबाव के चलते नहीं हुई किसी की रोकने की हिम्मत
क्या सरकार प्रवासियों की तरह करवाएगी इनका 14 दिन का क्वारंटाइन
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड के इन नौकरशाह के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइड लाइन हो या प्रधानमंत्री की सोशल डिस्टेंसिग की नसीहत, कोई मायने नहीं रखती। नियम कायदे तो जनता के लिए हैं, कोरोना का संक्रमण भी जनता को ही तकलीफ देने के लिए है, वीआईपी तो वीआईपी है, उनके लिए सोशल डिस्टेंसिंग और क्ववारान्टाइन के नियम कहां मायने रखते हैं।
बात कर रहे हैं उत्तराखंड के चर्चित एक ब्यूरोक्रेट की , जिन्होंने देहरादून के जिलाधिकारी को चिट्ठी लिखकर उत्तर प्रदेश के एक विधायक को तीन गाड़ियों में दस अन्य लोगों के साथ देहरादून से बद्रीनाथ जी की यात्रा पर भिजवा दिया। इन लोगों को रविवार शाम चमोली जिले के कर्णप्रयाग के एसडीएम ने जिले में प्रवेश करने से रोक दिया। उनसे साफ शब्दों में कह दिया गया कि 14 दिन के क्वारान्टाइन की प्रक्रिया में रहना होगा। इस पर अपर मुख्य सचिव के इन वीआईपी लोगों को वापस लौटना पड़ा।
गौरतलब हो कि पूरे देश में 17 मई तक लॉकडाउन है। उत्तराखंड में किसी को एक जिले से दूसरे जिले में जाने की परमिशन ही बामुश्किल ही दी जा रही है। राज्य में वापस अपने घरों में लौट रहे प्रवासियों को यहां लाने के लिए प्रदेश सरकार को बड़ी औपचारिकताएं करनी पड़ रही हैं।
वहीं राज्य में आने वाले सभी लोगों को मेडिकल चेकअप के बाद उनके अपने घरों में जाने की परमिशन होगी, वो भी राज्य सरकार द्वारा तय मानकों के अनुरूप उनको 14 दिन के लिए होम या इंस्टीट्यूशनल क्वारान्टाइन की आवश्यक प्रक्रिया को पूरा करना होगा।
मुख्यमंत्री ने लखनऊ से लेकर मुंबई, दिल्ली, जयपुर में फंसे उत्तराखंड के निवासियों के लिए केंद्र सरकार से स्पेशल ट्रेन चलवाने का अनुरोध किया है।
राज्य सरकार को आम व्यक्ति को उसके घर तक पहुंचाने के लिए कितनी व्यवस्थाएं करनी पड़ रही हैं।
नियमों को ताक पर रखकर जारी हुआ पास
लॉकडाउन के दौरान ओरेंज जोन से ग्रीन जोन में जाने को पास जारी करने के सख्त मानक हैं। इसके बावजूद मानकों को ताक पर रख कर अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री ओमप्रकाश के पत्र के आधार पर देहरादून जिला प्रशासन ने यूपी के विधायक अमनमणि त्रिपाठी समेत नौ लोगों को बदरीनाथ, केदारनाथ धाम जाने की कैसे मंजूरी दे दी ?
अब उत्तर प्रदेश के एमएलए और उनके साथ दस लोग, जो अपर मुख्य सचिव के लिए वीआईपी की तरह हैं, जिनके लिए उनको केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के नियमों की कोई परवाह नहीं है, इस बात की पुष्टि अपर मुख्य सचिव की ओर से दो मई को देहरादून के जिलाधिकारी को लिखे उस पत्र से होती है, जिसमें उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के विधायक अमन मनी त्रिपाठी और उनके साथियों को माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के स्वर्गीय पिता के पितृ कार्य हेतु श्री बदरीनाथ धाम जाना है तथा वहां से केदारनाथ धाम भी जाएंगे।
जिलाधिकारी देहरादून, डॉ. आशीष श्रीवास्तव : का कहना है कि शासन से मिले पत्र के आधार पर अमनमणि त्रिपाठी परिवार से जुड़े लोगों को बदरीनाथ और केदारनाथ धाम जाने की अनुमति दी गई। शासन के पत्र में हवाला दिया गया कि इन लोगों को यूपी के मुख्यमंत्री के पिता के तर्पण के लिए जाना है। इसी आधार पर अनुमति दी गई।
सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि विधायक के काफिले को कोटद्वार पुलिस द्वारा भी रोका जाता है लेकिन ऊपर से दबाव के बाद ये आगे बढ़ते हैं और सत्ता की हनक दिखाते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी जी के गांव पंचूर तक पहुँच जाते हैं। जहाँ बीते दिन श्री योगी जी के पिता स्व. आनंद सिंह बिष्ट जी की तेरहवीं में ये लोग बिना बुलाये शामिल भी हो गए और आज सुबह इनका काफिला पौड़ी, टिहरी और फिर पौड़ी जिलों को पार करते हुए चमोली जिले की सीमा गौचर तक पहुँच गया, जहाँ पुलिस और जिला प्रशासन ने मामले की नज़ाकत समझते हुए इन्हे वापस लौटा दिया जबकि इस दौरान विधायक और उनके साथ काफिले में मौजूद लोगों ने जिला प्रशासन पर अपर मुख्य सचिव के पत्र का हवाला देते हुए दबाव बनाने का प्रयास भी किया लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाए और उन्हें काफिले सहित वापस लौटना पड़ा ।
अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश पर भी दर्ज होना चाहिये मुकदमा
1- जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट ही नहीं खुले तो एसीएस ओमप्रकाश ने देहरादून समेत सम्बंधित जिलाधिकारियों को अपराधी पृष्ठभूमि के उत्तर प्रदेश के विधायक अमनमणि और उसके साथियों को बद्रीनाथ जाने की अनुमति देने के आदेश क्यों दिए।
2- कोरोना महामारी के चलते बद्रीनाथ-केदारनाथ की यात्रा पर श्रद्धालुओं के जाने का प्रतिबंध है तो ओमप्रकाश ने यात्रा का पास जारी करने को क्यों कहा।
3- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने तक लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए कपाट खुलने के मौके पर गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ जाने से परहेज़ किया तो ओमप्रकाश ने हत्या के आरोपी विधायक को इन पवित्र धामों में जाने देने की पैरवी क्यों की ?
4- क्या अमनमणि जैसा क्रिमिनल विधायक बद्रीनाथ धाम के रावल (मुख्य पुजारी) से बड़ा है ? रावल मौजूदा समय में ऋषिकेश में quarentine हैं, और ओमप्रकाश अपराधियों को कपाट बंदी में भी बद्रीनाथ भेजने के निर्देश दे रहे हैं।
5- ओमप्रकाश को क्या ये जानकारी नहीं है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक सन्यासी हैं और एक सन्यासी का अपने पूर्वाश्रम के पिता के पितृ कार्य से कोई लेना-देना नहीं होता, ऐसे में एक निर्दलीय विधायक जिस पर कि अपनी पत्नी की हत्या का मुकदमा दर्ज है, वो कैसे योगी के पिता के पितृ कार्य का अधिकारी हो गया, जबकि योगी के सगे भाई उनके पैतृक घर में पिता के निधन के बाद सभी संस्कार विधिवत कर रहे हैं।
6- कहा जाता है कि ओमप्रकाश मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के सबसे चहेते ऑफिसर रहे हैं, तो क्या वे मुख्यमंत्री से अपने मधुर रिश्ते और अपने पद व अधिकार का दुरुपयोग बाहुबली अमरमणि को उपकृत करने में कर रहे हैं।
7- क्या बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम जाने की नियम विरुद्ध स्वीकृति की पैरवी करके ओमप्रकाश ने देशव्यापी लॉकडाउन का उल्लंघन नहीं करवाया ? क्या इसमें उत्तराखंड राज्य और त्रिवेन्द्र सरकार की देश और दुनिया में छवि खराब नहीं हुई ?
8- उत्तराखंड के सभी पहाड़ी जिले ग्रीन जोन में हैं, यदि उत्तर प्रदेश से आये विधायक अमनमणि और उनके साथियों से इन जिलों में कोरोना संक्रमण हुआ तो क्या इसकी जिम्मेदारी अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश लेंगे ?
9- अमनमणि जैसे अपराधी पृष्ठभूमि के नेता से ऐसे क्या संबंध हैं कि ओमप्रकाश उत्तराखंड शासन के शीर्ष ऑफिसर होते हुए लॉकडाउन के सख्त नियमों और देश में लागू महामारी एक्ट के उल्लंघन करके अमरमणि को बद्रीनाथ-केदारनाथ जाने की अनुमति देने के आदेश जिलाधिकारी को दे रहे हैं ?