POLITICS

तीन बार बसपा विधायक रहे हरिदास का कांग्रेस के प्रति झुकाव से कटा टिकट !

देहरादून : बसपा से तीन बार के विधायक हरिदास का टिकट पार्टी ने काट दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बुधवार को रुड़की और झबरेड़ा विधानसभा सीट के प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। पार्टी ने झबरेड़ा से सीटिंग विधायक हरिदास का टिकट काटते हुए भागमल को प्रत्याशी घोषित किया। रुड़की से रामशुभग सैनी को मैदान में उतारा है। हालांकि टिकट कटने के बाद भी हरिदास ने पार्टी के निर्णय के साथ होने की बात कही।

हरिद्वार रोड स्थित एक बारात घर में आयोजित जनसभा में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मंच से रुड़की और झबरेड़ा से पार्टी प्रत्याशी घोषित किए।रुड़की से जहां पार्टी ने नए चेहरे पर दांव खेला है, वहीं झबरेड़ा से पार्टी विधायक हरिदास का टिकट काटकर भागमल पर दांव लगाया है। पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा होते ही मंच पर बैठे हरिदास का चेहरा उतर गया।बसपा के झबरेड़ा से विधायक हरिदास की टिकट कटने की वजह उनकी सूबे के सीएम हरीश रावत से नजदीकी मानी जा रही है। हरिदास का टिकट कटने के बाद सियासी हलकों में उनपर गिरी गाज की वजहों पर चर्चाएं तेज हो गई है। पार्टी सूत्रों की माने तो विधायक को इस बारे में पार्टी की ओर से भी अवगत करा दिया गया था।

जानकारी के अनुसार झबरेड़ा से बसपा के विधायक हरिदास टिकट कटने की स्क्रिप्ट तो काफी पहले लिखी जा चुकी थी। इसका अंदेशा हरिदास को भी था। बुधवार को तो बस इस स्क्रिप्ट को सार्वजनिक रूप से सामने लाया गया है। हरिदास का टिकट कटने के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि एक बार हरिदास सीएम हरीश रावत के साथ कांग्रेस में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच गए थे। उस वक्त केंद्र में यूपीए की सरकार थी और जिसको बसपा का बाहर से समर्थन था।

एक जानकारी के अनुसार उस वक्त कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने हरिदास और हरीश रावत को यह कहते हुए लौटा दिया था कि इससे केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर कांग्रेस की सरकार अस्थिर हो जाएगी। मुख्यमंत्री हरीश रावत की नजदीकी की जानकारी पार्टी हाईकमान को पहले से थी।

कई बार उनके खिलाफ कार्रवाई तक की बात भी होती रही, लेकिन पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले अपने पत्ते खोले हैं। हालांकि उनके टिकट कटने से पार्टी को नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। हरिदास का अपने क्षेत्र में मजबूत जनाधार रहा है। लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।

वर्ष 2012 में विधानसभा परिसीमन के बाद वे झबरेड़ा से जीते जबकि इससे पहले दो बार में वह लंढौरा से विधायक रह चुके हैं। वर्ष 2012 में बसपा को तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन विधायक सुरेंद्र राकेश के निधन के बाद बसपा विधायकों की संख्या दो ही रह गई थी।

अब केवल पार्टी का विधायक सरबत करीम अंसारी पर पार्टी को फैसला लेना है, जिनकी पार्टी के प्रति आस्था गठबंधन के दौरान भी बनी रही। फिलहाल सियासी जानकारों की नजर टिकट कटने के बाद हरिदास के अगले कदम पर है।

devbhoomimedia

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