देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा सरकार के राज्य की अर्थ व्यवस्था पर लगातार दिए जा रहे बयानों पर उल्टा उनको घेरा है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता लगातार अर्थ व्यवस्था को लेकर हास्यास्पद व गुमराह करने वाली बात कर रहे है उन्होने प्रतिवाद करते हुए कहा कि 2007-08 में जब कांग्रेस सत्ता छोड़ी थी तो राज्य के ऊपर मात्र 12 हजार करोड़ का कर्जा था और जब 2012 में सत्ता में कांग्रेस सरकार की वापसी पर राज्य को 37 हजार करोड़ के कर्जे में पाया था, और भाजपा सरकार में बैठे लोग जो सब कुछ कह रहे है उसमें अपना योगदान कर्जा बठानें में क्यों भूल रहे है।
एक बयान में उन्होंने कहा कि राज्य को 2013 की आपदा के बाद विश्व बैंक व अन्य कर्जे को इसमें जोडक़र देखना न्यायोंचित नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य अपनी जीड़ीपी के तीन प्रतिशत का कर्ज लेने की क्षमता को वहन कर सकता है और हमनें उस सीमा को कभी लांघा नही है राज्य की अर्थ व्यवस्था को निरंतर गतिमान रख कभी भी किसी वेतन या अन्य मद में भुगतान का संकट नही आया है तथा राज्य में ऐसा कभी नही होता कि ट्रेजरी में नोटों के ढ़ेर कोई मुख्यमंत्री छोडक़र या लेकर जाता रहा हो, सरकारें आय-व्यय के वित्तीय प्रबन्धन पर चलती है परकैपिटल इन्कम में अग्रणीय राज्य होना, हमारी विकास दर का तेजी से बढऩे वाली विकास दरों को टक्कर देना, तेजी से विकसित होने वाले राज्यों में गिना जाना यह साबित करता है।
उन्होंने आबकारी व शराब पर सरकार के फैसले को समस्या के समाधान से दूर भागने वाला बताया है और कहा कि खनन और शराब पर जो गड्ढे भाजपा नेताओं ने विपक्ष में रहकर दूसरों के लिए खोदते थे वह आज उनको भारी पड़ रहे है, इस पर उन्हें राज्यहित में जनभावनाओं का सम्मान करते हुए सब लोगों से बात करनी चाहिए, राष्ट्रीय राजमार्गों का डिनोटिफिकेशन स्थाई समाधान नहीं है इससे राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में आने वाले धन में बाधा पहुॅचेंगी। उन्होंने कहा कि वह इस बात पर कायम है कि उनके द्वारा लिए गए निर्णय राज्यहित में थे।