”द्रोणागिरी ट्रैक आफ द ईयर” का हरी झंडी दिखाकर भट्ट ने किया शुभारम्भ
समुद्रतल से 11855 फुट की ऊंचाई पर है नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व
संजय कुवंर
जोशीमठ : चमोली जिले में नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व में समुद्रतल से11855 फुट की ऊंचाई पर संजीवनी जैसी औषधियों के अनमोल खजाने का दीदार अपने आप में अद्भुत है तो ग्लेशियरों का मनोरम नजारा तन-मन को आनंदित कर देता है। साथ ही थुनेर के वृक्षों के बीच कस्तूरा मृग समेत दूसरे वन्यजीवों का मोहक संसार भी। रोमांच से भरपूर द्रोणागिरी ट्रैक प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से ‘ट्रैकिंग ऑफ द इयर-2017’ घोषित इस ट्रैक का रविवार को शुभारंभ किया गया।
चमोली जिले के सीमान्त द्रोणागिरी बागनी घाटी को ट्रैकिंग रूट आफ द ईयर घोषित किया गया है, जिसके चलते 21मई को जोशीमठ के गांधी मैदान में द्रोणागिरी ट्रैकिंग डैस्टीनेशन आफ दि ईयर अभियान का शुभारम्भ किया गया और द्रोणागिरी ट्रैकिंग पुस्तिका का भी विमोचन किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि विधायक महेन्द्र भट्ट और विधायक मनोज रावत ने हरी झंडी दिखाकर देश के कोंने कोंने से आये ट्रेकर्स को द्रोणागिरी ट्रैकिंग के लिए रवाना किया।
आइटीबीपी के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों के 80 ट्रैकर्स के दल को पहले दौर जिसमें ट्रैकिंग मेंम्बर दिल्ली, मुम्बई, जयपुर, नेहरू पर्वतारोहण, ओएनजीसी के सदस्य शामिल हुए। अगर सरकार के इस कदम को देखें तो यह स्थानीय लोगों को पर्यटन से जोडकर स्वरोजगार उपलब्ध कराने के हित में एक अच्छा कदम है। मुख्य अतिथि विद्यायक महेन्द्र भट्ट ने द्रोणागिरी ट्रैक पर पर्यटक सुविधाऐं विकसित कर हर वर्ष ट्रैकिंग करायी जायेगी। साथ ही साथ उन्होंने गढवाल मण्डल विकास निगम को साहसिक गतिविधियों में पहल करने की बात कही। इस तरह ये दल आज पहले दिन के पडाव में द्रोणागिरी घाटी के एक बेहद खूबसूरत गांव रवींग कैम्प पहुंचेगा ,तो सोमवार को टीम द्रोणागिरी घाटी में स्थित गिरी द्रोण पर्वत पहुचेंगी, वही मंगलवार को सूबे के पर्यटन मन्त्री सतपाल महाराज भी द्रोणागिरी ट्रेक में शामिल होगें।
गौरतलब है कि द्रोणागिरी ट्रैकिग को राज्य सरकार द्वारा ट्रैक आॅफ द ईयर 2017 घोषित किया गया है। नीति घाटी में जोशीमठ से लगभग 40 किमी. दूरी पर जुम्मा नामक स्थान से शुरू होने वाले द्रोणागिरी ट्रैक का पहला पढाव रूईग तथा दूसरा द्रोणागिरी गांव पडता है जो समुद्र तल से 3622 मीटर की ऊॅचाई पर स्थित है। जुम्मा से द्रोणागिरी गावं तक 9 किमी. पैदल ट्रैक है।
द्रोणागिरी गांव से लगभग 8 किलोमीटर ऊॅचाई पर द्रोणागिरी पर्वत है जहाॅ तक ट्रैकिंग की जानी है। यह क्षेत्र जडी-बूटी बहूल्य क्षेत्र है। द्रोणागिरी पर्वत वही पर्वत है जहाॅ से त्रेता युग में वैध सुशैन वैद्य के कहने पर भगवान हनुमान जी संजीवनी बूटी ले गये थे। द्रोणागिरी में द्रोणागिरी पर्वत देवता, द्रोणागिरी पर्वत व नन्दी कुण्ड आदि धार्मिक पर्यटन स्थल है तथा बागनी ग्लेशियर, द्रोणागिरी पर्वत, नन्दी कुण्ड क्षेत्र साहसिक पर्यटन स्थल है।
रविवार को जोशीमठ में आयोजित समारोह में इस ट्रैक का शुभारंभ करते हुए विधायक महेंद्र भट्ट ने कहा कि सूबे में धार्मिक एवं साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। द्रोणागिरी ट्रैक पर ट्रैकिंग के मद्देनजर प्रतिवर्ष पर्यटक सुविधाएं विकसित की जाएंगी। उन्होंने गढ़वाल मंडल विकास निगम को यहां साहसिक गतिविधियों की दिशा में पहल करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को पर्यटन से जोड़कर स्वरोजगार मुहैया कराना भी सरकार की मंशा है।
केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने कहा कि स्थानीय बोली-भाषा, सभ्यता-संस्कृति के संरक्षण के साथ ही साहसिक पर्यटक स्थलों को संजोने की जरूरत है। पूर्व विधायक केदार ¨सह फोनिया ने कहा कि आर्थिकी संवारने की दिशा में पर्यटन अहम जरिया है।
समारोह में द्रोणागिरी ट्रैक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर भोटिया जनजाति की महिलाओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दीं। कार्यक्रम में ब्लॉक प्रमुख प्रकाश रावत, नगर पालिका अध्यक्ष रोहिणी रावत, मुख्य विकास अधिकारी विनोद गोस्वामी, गढ़वाल मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक अतुल गुप्ता आदि मौजूद थे।
हनुमानचट्टी-कुंडखाल ट्रैक से भी किया जा सकता है फूलों की घाटी का दीदार
अभी भी है यह ब्रिटिश ट्रैकर्स का पसंदीदा ट्रैक
जोशीमठ : साहसिक पर्यटन के शौकीनों के लिए खुशखबरी। इस बार विश्व धरोहर फूलों की घाटी तक ट्रैकिंग करने वाले पर्यटकों के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क हनुमानचट्टी-कुंडखाल ट्रैक तैयार कर रहा है। इस ट्रैक से पर्यटक फूलों की घाटी जाते हुए न केवल भारी-भरकम हिमखंडों व दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों का दीदार कर सकेंगे, बल्कि प्रकृति के अद्भुत नजारों का भी लुत्फ भी ले सकेंगे। पार्क प्रशासन फूलों की घाटी के गेट खुलने से पहले ट्रैक को दुरुस्त करने का दावा कर रहा है।
समुद्रतल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी देश-दुनिया के पर्यटकों व प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के फूल पाए जाते हैं। इस वर्ष एक जून से फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क में पर्यटकों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। वैसे तो बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोविंदघाट से 13 किमी आगे घांघरिया और यहां से तीन किमी आगे फूलों की घाटी का प्रमुख मार्ग है। ज्यादातर पर्यटक इसी रूट को घाटी में जाने के लिए चुनते हैं। लेकिन, इससे इतर भी एक और ट्रैक है, जो हनुमानचट्टी-कुंडखाल होते हुए घाटी पहुंचता है।
पिछले वर्ष भी नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने इस ट्रैक से पर्यटकों को घाटी में भेजने की रणनीति बनाई थी। लेकिन, ट्रैक पर भारी-भरकम हिमखंड जमे होने के कारण स्थानीय टूर ऑपरेटरों ने यह जोखिम लेना मुनासिब नहीं समझा। सो, इस ट्रैक से पर्यटकों की आवाजाही नहीं हो पाई। लेकिन, इस बार पार्क इस ट्रैक से भी पर्यटकों को घाटी में भेजने के लिए कटिबद्ध है। पार्क के डीएफओ चंद्रशेखर जोशी का कहना है कि साहसिक पर्यटन के लिए यह ट्रैक बेहतर है।
पार्क की टीम ट्रैक की रेकी कर चुकी है। 25 किमी लंबे इस ट्रैक के चार स्थानों पर भारी-भरकम हिमखंड मौजूद हैं। कुछ स्थानों पर ट्रैक बर्फबारी के कारण क्षतिग्रस्त भी हुआ है। डीएफओ ने दावा किया कि जल्द ही पार्क की टीम क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत व हिमखंड काटकर आवाजाही के लिए पैदल मार्ग बना देगी।
स्थानीय ट्रैकिंग एजेंसियों के मुताबिक हनुमानचट्टी-कुंडखाल-फूलों की घाटी ट्रैक ब्रिटिश ट्रैकर्स का पसंदीदा ट्रैक रहा है। जोशीमठ में एडवेंचर ट्रैकिंग के प्रबंधक संजय कुंवर ने बताया कि 16 वर्ष पूर्व तक ब्रिटिश पर्यटक इस ट्रैक से आवाजाही करते थे। हालांकि, पार्क के अधीन इस ट्रैक पर सुविधाएं शून्य हैं। इसके लिए पार्क प्रशासन को चाहिए कि पहले इस ट्रैक पर पेयजल समेत अन्य सुविधाएं सुनिश्चित कराए। कहा कि यह ट्रैक जोखिमभरा है, बावजूद इसके यहां अद्भुत नजारों का लुत्फ पर्यटक उठा सकते हैं।