Uttarakhand

भाटी आयोग रपट दबाने की अब होगी जांच

कांग्रेस सरकार में दबा ही रहा भाजपा सरकार के कार्यकाल का मामला

देहरादून । तो क्या सत्ता का स्वभाव एक जैसा ही होता है,यदि ऐसा है तो फिर दलीय लोकतंत्र का लाभ क्या है ? जनता परिवर्तन करें तो कैसे ? यह सवाल आज विधानसभा के बजट सत्र में आज कांग्रेस विधायक करण माहरा के आज पिछली भाजपा सरकार के समय तराई बीज विकास निगम में हुई गडबडियों पर गठित के आर भाटी आयोग की सिफारिशों पर कांग्रेस शासन में पांच साल तक कोई कार्रवाही न होने की बात उठाने से उठना चाहिये । हालांकि माहरा जांच कराने का आश्वासन लेने में कामयाब हो गये लेकिन यह आश्वासन  देने से पहले सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री प्रकाष पंत और कृशि मंत्री सुबोध उनियाल ने कांग्रेस पर जमकर कटाक्ष किये ।

करन माहरा ने यह मामला नियम 310 में कार्यस्थगन के लिये उठाया था । हालांकि भाजपा के वरिष्ठ विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने आपत्ति की कि केंद्रीय कानून में गठित एक जांच आयोग की रपट पर इस तरह एटरेंडम विचार करने बैठ जाना उचित नही है और यह आयोग की गरिमा पर सवाल खडे करता है लेकिन बाद में अध्यक्ष विधानसभा प्रेमचंद्र अग्रवाल की अनुमति से ग्राह्यता पर बोलते हुए माहरा ने कहा कि भाटी ने अपनी रपट में नियम विरूद्ध एक लाभ में जा रहे निगम का गैर सरकारी अध्यक्ष बनाये जाने से लेकर बनाये गये अध्यक्ष और एक प्रमुख सचिव का मुख्यमंत्री के विषेशाधिकारों की जगह अपने निर्णय करना, उससे निगम का नुकसान आपराधिक कृत्य बताये हैं। उन्होने कांग्रेस सरकार में इस रपट पर कोई कार्रवाई न होने की बात स्वीकारते हुए कहा कि आज हालत यह है कि देशभर में प्रसिद्ध यह निगम आज प्रदेश  की निधि की बजाय बोझ बन गया है जिसकी ओर किसानों का करोडों रूपया बकाया है और निगम चार माह से अपने कर्मचारियों को वेतन तक नही दे पा रहा है।

सरकार की ओर से जवाब देते हुए वित्त तथा संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश  पंत ने चुटकी ली कि जब धृतराष्ट्र की सभा में द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था तो उन्होने पितामह भीष्म के मौन को धिक्कारा था । उन्होने कहा कि वैसे तो कांग्रेस सरकार के इस रपट को संवेदनशील  बताते हुए अपनाये गये मौन और रपट का कार्यवाही तो क्या,सदन में रखने के संबंध में भी परहेज बरतने पर चुनाव में जनता ने फैसला दे ही दिया है । फिर भी सरकार सारी परिस्थितियों और उठाये गये बिन्दुओं पर जांच कराकर कार्रवाई करेगी ।

उन्होने कहा कि यह भी देखने की बात है कि कहीं निगम को लेकर कोई मामला न्यायाधीन तो नही है ? चर्चा में कांग्रेस के मनोज रावत ने भी भाग लिया। याद रहे, भाजपा सरकार में डाक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के समय हेमंत द्विवेदी को अध्यक्ष बनाया था । यह मामला उच्च न्यायालय भी जा चुका है। इसमें द्विवेदी की अध्यक्ष बनने की प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी जिसमें द्विवेदी साफ बचकर निकल आये थे।

devbhoomimedia

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