CRIME

सीपीयू पुलिस से उठने लगा दून वासियों का विश्वास !

  • वाहनों के चालान तक सीमित होकर रह गयी सीपीयू पुलिस !

  • आम नागरिकों को धमकाने और उनसे बेवजह अभद्रता पर उतारू है सीपीयू पुलिस 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून: करीब पांच साल पहले स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस की तर्ज पर स्ट्रीट क्राइम रोकने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने जब सिटी पेट्रोल यूनिट का गठन किया गया तो शांत महानगर दून के लोगों में उम्मीद जगी ही कि रोजमर्रा के काम के बोझ तले दबी थानों की पुलिस को बड़ा सहारा मिलेगा और दून शहर के लोग सुकून से अपने गली -मुहल्लों में घूमते हुए चैन की जिंदगी जी सकेंगे। मगर स्थिति इसके विपरीत तब दिखाई दी जब सिटी पेट्रोल यूनिट केवल बिना हेलमेट के चालान करने और स्कूलों और कॉलेज को आते जाते युवक -युवतियों के चालान करने तक में ही सिमट गयी इतना ही नहीं किसी शॉपिंग कॉम्पेक्स के बाहर और पेड़ों के झुरमुटों के नीचे बैठ घात लगाए ऐसे बैठे नज़र आने लगे जैसे इस तरफ से कोई भागते लूटेरे को पकड़ने को ये तैयार हों लेकिन ये तो अपने शिकार की तलाश में नज़र आने लगे और वाहनों के चालान के नाम पर अपनी जेबें भी भरने लगे तो दून वासियों  का इनसे भी विश्वास उठने लगा। इतना ही नहीं पुलिस को मिले अधिकारों से ये आम नागरिकों को धमकाने और उनसे बेवजह अभद्रता तक करने लगे, जिसके कई उदाहरण देहरदून की जनता को समय -समय पर मिलते भी रहे। हाँ इतना जरूर है कि दूनवासियों को हेलमेट लगाने की आदत तो पड़ गई, मगर इस दौरान सीपीयू अपने मूल उद्देश्यों से भटक गई। इसका अहसास अब पुलिस के अधिकारियों को होने लगा है, जब बीते दिनों शहर में ताबड़तोड़ चेन लूट की घटनाएं होने लगी और सीपीयू अपने धंधे बाज़ी में मस्त दिखाई दी एक भी चैन स्नेचर वह पकड़ नहीं पायी जिसके लिए उसे बनाया गया था।

सिटी पेट्रोल यूनिट को निर्देशित किया गया है कि वह स्ट्रीट क्राइम रोकने की दिशा में भी कार्य करें। इसके लिए अब से उनके कार्यो की नियमित समीक्षा भी शुरू कर दी गई है।                                                    प्रकाश चंद्र आर्य, एसपी ट्रैफिक, देहरादून

गौरतलब हो साल 2014 में जब सिटी पेट्रोल यूनिट की लांचिंग के वक्त पुलिस लाइन में डेमो दिखाया गया तो शहरवासियों को लगा कि अब वह सुबह-शाम सड़क पर बेखौफ होकर चल सकेंगे। तब आतंकवादी पकड़ने से लेकर चेन लूटकर भाग रहे बदमाशों को पकड़ने का नाटकीय रूपांतरण भी डेमो के रूप में दिखाया गया था। गठन स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) में भी शामिल किया गया था कि सीपीयू चौक-चौराहों पर मौजूद रह कर संदिग्धों की गतिविधियों पर नजर रखेगी और चेन स्नेनिंग, ठगी जैसे अपराधों की रोकथाम करेगी। इसके साथ ही ट्रैफिक का संचालन देखेगी और कहीं जाम लगने पर वह जाम भी खुलवाएगी। इतना ही नहीं लोगों को यातायात नियमों के पालन करने को भी प्रेरित करेगी। मगर सीपीयू केवल ट्रैफिक व्यवस्था ठीक करने के नाम पर उगाही तक ही सिमट कर रह गई और ट्रैफिक ही क्यों अगर यह कहा जाए कि वह केवल बिना हेलमेट पहने बाइक सवारों का चालान करने तक सिमट गई तो कोई गलत नहीं होगा। क्योंकि पुलिस  भी अब दबी जुबान इस बात को मानने लगे हैं।

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