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वादे के चलते भाजपा से अपने ही हो रहे नाराज !

देहरादून : कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेताओं से किया गया कमिटमेंट पूरा करने के लिए मंत्रिमंडल में इन्हें आधी सीटें दे दिए जाने का असर अब नजर आने लगा है। पूर्व कांग्रेसी नेताओं को एडजस्ट करने के फेर में भाजपा के कई दिग्गज मंत्री पद पाने से चूक गए। अब  नेता दबे स्वरों से पार्टी  कोसने पर  जुट गए हैं हालाँकि अभी इनके स्वर इतने मुखर तो नहीं जो पार्टी के सामने कोई समस्या हो, वहीँ पार्टी अध्यक्ष के  कड़े तेवरों  के बाद बीते दिन कपूर समर्थकों को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं लेकिन पद  लालसा पाले  नेताओं को  भाजपा कब तक संभाले रखती है यह देखने वाली बात होगी।

स्पीकर पद पर भाजपा की ओर से पूर्व स्पीकर हरबंश कपूर पर वरिष्ठ विधायक प्रेमचंद अग्रवाल को तरजीह दिया जाना उनके समर्थकों को रास नहीं आया। माना जा रहा है कि ऐसे ही कुछ हालात अन्य वरिष्ठ भाजपा विधायकों के साथ भी हैं। हालांकि मंत्रिमंडल की रिक्त दो सीटों को देखते हुए फिलहाल किसी ने अपने सुर तल्ख नहीं किए हैं।

लगभग तीन वर्ष पूर्व लोकसभा चुनाव के वक्त पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज से कांग्रेस छोड़ भाजपा में प्रवेश का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह इस विधानसभा चुनाव के लिए टिकट आवंटन तक जारी रहा। इस दौरान एक पूर्व मुख्यमंत्री समेत तीन पूर्व कैबिनेट मंत्री और नौ पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हुए। इन सभी को भाजपा ने टिकट दिए।

हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के स्थान पर उनके पुत्र सौरभ बहुगुणा और पूर्व मंत्री अमृता रावत के स्थान पर उनके पति और पूर्व केंद्रीय सतपाल महाराज मैदान में उतरे। दो पूर्व विधायकों को छोड़ सभी ने जीत दर्ज की। भाजपा के लिए असली परेशानी इसके बाद शुरू हुई, जब मंत्रिमंडल गठन का समय आया।

उत्तराखंड की 70 सदस्यीय विधानसभा में मंत्रिमंडल का आकार अधिकतम 12 ही हो सकता है, जबकि पार्टी के निर्वाचित विधायकों में से डेढ़ दर्जन से ज्यादा ऐसे हैं जो या तो पूर्व मंत्री रहे हैं या फिर दो से ज्यादा बार विधायक।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने नौ सहयोगियों के साथ शपथ ली। दस सदस्यीय मंत्रिमंडल में आधे, यानी पांच सदस्य पूर्व कांग्रेसी हैं। इस वजह से भाजपा के कई कद्दावर चेहरे मंत्रिमंडल में स्थान नहीं बना पाए। इनमें आठ बार के विधायक, पूर्व स्पीकर तथा पूर्व मंत्री हरबंश कपूर, पांच बार के विधायक, पूर्व मंत्री व पूर्व भाजपा अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल, पूर्व मंत्री बंशीधर भगत, पूर्व मंत्री खजानदास, बलवंत सिंह भौर्याल, लगातार विधायक बनते रहे हरभजन सिंह चीमा, सुरेंद्र सिंह जीना, चंदन रामदास के अलावा मुख्यमंत्री हरीश रावत को दो सीटों पर पराजित करने वाले विधायक राजेश शुक्ला व यतीश्वरानंद शामिल हैं।

माना जा रहा था कि प्रोटेम स्पीकर बनाए गए हरबंश कपूर को ही भाजपा स्पीकर बनाएगी मगर बुधवार को पार्टी ने तीन बार के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल को स्पीकर पद के प्रत्याशी के तौर पर नामांकन करा दिया। इससे कपूर समर्थकों का गुस्सा सार्वजनिक रूप से फूट पड़ा।

हालांकि कपूर के अलावा किसी अन्य भाजपा विधायक के समर्थकों की ओर से अभी तक ऐसी कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है लेकिन अंदरखाने जरूर कुछ ऐसी ही स्थिति है। भाजपा विधायक इस बात से क्षुब्ध नजर आ रहे हैं कि कांग्रेस से आए लोगों को उन पर तवज्जो दी गई है। हालांकि अभी मंत्रिमंडल में दो स्थान खाली हैं और अब इन वरिष्ठ विधायकों की उम्मीद है कि उन्हें इन दो सीटों पर मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है।

इस संबंध में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि जो कुछ हुआ है, वह पार्टी के सिस्टम के अंतर्गत ही हुआ है। कभी-कभी कमिटमेंट का पार्टी कार्यकर्ताओं को नुकसान भी होता है। कार्यकर्ता कभी खुशी जताते हैं तो नाराज भी होते हैं। कार्यकर्ताओं को पार्टी की मजबूरी भी समझनी चाहिए। अभी भी अवसर समाप्त नहीं हुए हैं। मंत्रिमंडल में अभी दो स्थान रिक्त हैं।

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