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बदरी विशाल की डोली पहुंची पांडुकेश्वर आज पहुंचेगी जोशीमठ
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पांच हज़ार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने से पहले दर्शन
बदरीनाथ : भगवान के बालसखा उद्धव जी, कुबेर जी और आद्य गुरु शंकराचार्य की गद्दी शोभायात्रा के साथ भगवान बदरी नारायण की उत्सव डोली पांडुकेश्वर पहुंच गयी है । मंगलवार को डोली जोशीमठ रवाना हो जाएगी। यहां योग-ध्यान बदरी मंदिर में पुजारी राजेश प्रसाद डिमरी ने भगवान बदरी विशाल की पूजा की और फिर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने कुबेर जी व उद्धव जी को मंदिर के गर्भगृह में विराजित किया। शीतकाल में यहीं उनकी पूजा होगी।
बदरीनाथ से सोमवार को सुहावने मौसम के बीच भगवान की उत्सव यात्रा बदरीनाथ धाम से पांडुकेश्वर के लिए रवाना हुई। हनुमान चट्टी में पूजा-अर्चना करने के बाद धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने स्थानीय भक्तों को आशीर्वाद दिया। श्रद्धालुओं की ओर से यहां भंडारे का आयोजन किया गया था। विनायक चट्टी में भगवान गणेश के अलावा अन्य देवी- देवताओं की पूजा-अर्चना की गई। जेपी, लामबगड़ व नागराजा मंदिर में भी लोगों ने डोली का स्वागत किया।
पांडुकेश्वर में कुबेर चौक पहुंचने पर नेशनल हाइवे लोनिवि, प्राथमिक विद्यालय, सरस्वती विद्या मंदिर व इंटर कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा कर डोली का भव्य स्वागत किया। दोपहर में डोली के योग-ध्यान बदरी मंदिर पहुंचने पर भगवान को वहां स्थापित किया गया। मंगलवार को रावल शंकराचार्य की गद्दी के साथ जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेंगे।
इससे पूर्व रविवार को भगवान बद्री विशाल की कपूर आरती व उसके बाद चांदी की आरती व विष्णु सहर्षनाम पाठ, नामावली के साथ अंत में गीत गोविंद पाठ के बाद 17 साल बाद पहली बार बने विशेष संयोग के साथ ही बदरीनाथ मंदिर के कपाट सायं समय आगामी ग्रीष्मकाल तक के लिए बंद हो गए । कपाट बंद करने के बाद कुबेर जी की मूर्ति को बामणी गांव के नंदा मंदिर जबकि उद्धव जी की मूर्ति को रावल निवास पर रखा गया है। सोमवार प्रातः दोनों मूर्तियों को उत्सव डोली के साथ पांडुकेश्वर स्थित योगध्यान बदरी मंदिर में लाये जाने के साथ ही योगध्यान बदरी मंदिर में लाया गया। शीतकाल में कुबेर जी एक माह योगध्यान मंदिर में निवास करने के बाद कुबेर मंदिर तथा उद्धव जी के साथ योगध्यान मंदिर में रहेंगे। इससे पहले सयन आरती में भगवान के शरीर पर लगाए गए फूलों के श्रृंगार को उताकर माणा गांव की कुंआरी कन्याओं द्वारा विशेष रूप से बनाई गई घृत कंबल ऊन की चोली पहनाई गई। अब भगवान के शरीर पर शीतकाल में छह माह तक यही अंगवस्त्र रहेगा।
रविवार को बर्फबारी के बीच रात्रि को 7:28 बजे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए गए। इससे पहले प्रात: ब्रहममुहूर्त में मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद
नंबूदरी द्वारा भगवान बदरी विशाल की अभिषेक व महाभिषेक पूजाएं संपन्न कराई गई। कपाट बंदी के अंतिम दिन भगवान का फूल श्रृंगार कराया गया। उनके शरीर से गहने शनिवार की रात्रि को सयन आरती के बाद उतारकर नियत स्थान पर रख दिए गए । कपाट बंदी के दिन को फूल श्रृंगार के नाम से भी जाना जाता है। दोपहर में भगवान का बाल भोग व राजभोग लगाया गया।
ग्रीष्मकाल में कपाट खुलने के दिन यही अंगवस्त्र प्रथम प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है । वहीँ कपाट बंदी की प्रक्रिया के तहत मां लक्ष्मी को परिक्रमा परिसर स्थित उनके मंदिर से गर्भगृह में भगवान बदरी विशाल के साथ विराजित किया गया। इससे पहले गर्भगृह से उद्वव जी व कुबेर जी की मूर्तियों को बाहर लाया गया। कुबेर की मूर्ति को बामणी गांव के नंदा देवी मंदिर में रात्रि विश्राम के लिए रखा गया। जबकि उद्वव जी की मूर्ति को रावल निवास पर रखा गया। सभी पूजाएं संपादित करने के बाद रावल द्वारा लक्ष्मी का रूप धारण किया गया। उनके लक्ष्मी रूप धारण करने पर श्रद्धालु भाव विभोर दिखे। सैकड़ों श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू छलक पड़े।
वहीँ गढ़वाल स्काउट की धर्ममयी धुनें लगातार धाम को धर्म के सागर में डुबाती रही। अंत में प्रार्थना कक्ष के मुख्य द्वार पर परंपरा के अनुसार मंदिर समिति, मेहता थोक व भंडारी थोक के प्रतिनिधियों द्वारा अधिकारियों के समक्ष बदरीनाथ के द्वार पर तीन ताले लगाकर उन्हें सील किया गया।
कपाट बंद करने के बाद रावल उद्वव जी को लेकर उल्टी सीढिय़ों से उतरे। कपाट बंदी के अवसर पर बदरी विशाल के जयकारों से बदरीशपुरी गुंजायमान हुई। अंतिम दिन सात हजार से अधिक यात्रियों ने दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किए। इस मौके पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल, सीईओ बीडी सिंह, टेंपल अधिकारी भूपेंद्र मैठाणी, प्रशासनिक अधिकारी राजेंद्र चौहान, मेहता थोक, भंडारी थोक व कमदी थोक के अध्यक्ष उपस्थित थे। बदरीनाथ धाम में अंतिम दिन भंडारे भी लगाए गए थे। भंडारों में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
स्थानीय लोगों के अनुसार वर्ष 2012 के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है, जब कपाटबंदी से पहले बदरीनाथ धाम में बर्फवारी हुई हो। बावजूद इसके धाम में यात्रियों के सैलाब से बद्रीनाथ धाम में श्रद्धालुओं के भक्ति भाव में कहीं कोई कमी नज़र नहीं आयी । श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह ने बताया कि शनिवार को उद्योगपति नीरा राडिया समेत 1674 यात्रियों ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए। समिति के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि अब तक आठ लाख 78 हजार 133 यात्री बदरीनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं।