CHAMOLI

बाबा रुद्रनाथ और भगवान मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट खुले वेद मंत्रों के साथ

गोपेश्वर (चमोली) : पंच केदार के दो धाम भगवान मध्यमहेश्वर और भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं कपाट खुलने के पहले दिन भगवान के दर्शन किए।

पंचकेदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाजों के साथ खोल दिए गए हैं। अब आने वाले छह माह तक भोले बाबा यहीं पर भक्तों का दर्शन देंगे। साथ ही भोले बाबा की ग्रीष्मकाल के छह माह की पूजा यहीं पर होगी। गुरुवार को सुबह 7 बजे डोली गौडार से रवाना होकर मंदिर पहुंची।

गत मंगलवार को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की उत्सव डोली उच्च हिमालय के लिए चली थी, प्रथम पड़ाव रांसी गांव में एवं दूसरे दिन सीमांत गांव गौंडार में रात्रि विश्राम किया था। गुरुवार को सुबह साढे छह बजे पुजारी राजशेखर लिंग ने भगवान मद्महेश्वर की पूजा अर्चना कर डोली को आगे के पड़ाव के लिए चल पड़ी। इस दौरान गौंडार के स्थानीय भक्तों ने भगवान मद्महेश्वर के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। 

भगवान उत्सव डोली भक्तों के जयकारों के साथ मद्महेश्वर धाम के लिए रवाना हुई। ठीक साढे दस बजे जैसे भगवान की उत्सव डोली मद्महेश्वर धाम पहुंची तो मंदिर समिति, प्रशासन एवं स्थानीय भक्तों ने डोली का फूल एवं अक्षतों से जोरदार स्वागत किया। डोली ने मंदिर की एक परिक्रमा की। जिसके बाद ठीक 11 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाज के साथ भगवान मद्महेश्वर के सीलबंद कपाट आम भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए गए।  

पुजारी ने मंदिर में प्रवेश कर कर मंदिर की साफ सफाई की तथा भगवान की भोगमूर्ति को मंदिर में विराजमान किया। जिसके बाद पुजारी ने मंदिर में विशेष पूजा अर्चना कर भगवान को भोग लगाया। भक्तों ने शिव के जयकारों के साथ मंदिर में दर्शनों के लिए प्रवेश किया। पहले दिन तीन सौ यात्रियों ने भगवान के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। 

भगवान मध्यमहेश्वर की चलविग्रह उत्सव डोली ऊखीमठ से 16 मई को धाम के लिए रवाना हो गई थी। वहीं गोपेश्वर से भगवान रुद्रनाथ की डोली धाम के लिए चली थी। मध्यमहेश्वर धाम में परम्परानुसार पुजारी, आचार्यगण, हकहकूकधारियों, स्थानीय लोगों और कर्मचारियों की मौजूदगी में सुबह 11 बजे कर्क लग्न में भगवान मध्यमहेश्वर धाम के कपाट खोले गए। उधर, भगवान शिव की तपो भूमि रुद्रनाथ धाम के कपाट वेद मंत्रोंच्चार के साथ गुरूवार को ब्रह्म मुहुर्त में प्रात: 4. 35 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं।

मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया पुजारी पंडित जनार्दन प्रसाद भट्ट ने परम्परा और मान्यताओं के अनुसार पूरी की। 12350 फिट की हिमालयी ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर पंच केदार में से एक है। यह धाम चतुर्थ केदार के नाम से विख्यात है। गुरुवार को गुफा में ध्यानस्थ भगवान के जब कपाट खुले तो सैकड़ों भक्तों ने हर हर महादेव, जय बाबा रुद्रनाथ के जयकारे लगाए। हिमालयी क्षेत्र शिव के जय घोष से गूंज उठा।

 

devbhoomimedia

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