- आंदोलनकारी का अंतिम संस्कार चंदा जुटाकर किया गया
- मुख्यमंत्री ने उनके निधन को बताया प्रदेश के लिये अपूरणीय क्षति
देहरादून : उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सूत्रधार कहे जाने वाले बाबा बमराड़ा का रविवार देर रात दून अस्पताल में निधन हो गया। इससे भी दुखद बात यह है कि उत्तराखंड आंदोलन के इस आंदोलनकारी का अंतिम संस्कार चंदा जुटाकर किया गया। सीएमओ देहरादून ने हरिद्वार के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की तो, देहरादून पुलिस ने अंतिम संस्कार के लिए बाकी इंतजाम किया। वहीँ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मथुराप्रसाद बमराड़ा के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत की आत्मा की शांति एवं दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि स्व.बमराडा ने उत्तराखण्ड राज्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मुख्यमंत्री ने उनके निधन को प्रदेश के लिये अपूरणीय क्षति बताया है।
80 वर्षीय बाबा मथुरा प्रसाद बमराड़ा ने दून अस्पताल में रविवार देर रात 12 बजे अंतिम सांस ली। बाबा बमराड़ा के बेटे हेमेंद्र बमराड़ा ने बताया कि वह पिछले 15 महीने से यहां भर्ती थे। वह 13 जून 2016 को शहीद स्थल पर आमरण अनशन पर बैठे थे। राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा और राज्य के मुद्दों को लेकर उनकी लड़ाई अंतिम समय तक जारी रही। शहीद स्थल में उनका आमरण अनशन जीवन की अंतिम लड़ाई थी। इसके बाद उन्हें दून अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां ढाई महीने से ज्यादा समय तक वह अनशन पर रहे और सिर्फ ग्लूकोज के सहारे ही इस लड़ाई को जारी रखा। इसके बाद से वह दून अस्पताल में ही थी।
हेमेंद्र बमराड़ा ने बताया कि रविवार रात निधन के बाद सोमवार सुबह एंबुलेंस से उनके शव को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार ले जाया गया। हरिद्वार में अंतिम संस्कार के बाद बाबा बमराड़ा का परिवार पौड़ी वापस लौट गया है। बमराड़ा का जन्म 1941 में पौड़ी गढ़वाल के घुड़दौड़ी के निटक पंण्या गांव में हुआ था। वह काफी समय तक दिल्ली में जनसंघ से भी जुड़े रहे। दिल्ली में उत्तराखंड राज्य की आवाज उठाने बाद में पौड़ी से राज्य आंदोलन की लड़ाई आगे बढ़ाई।
बताया जा रहा है कि आखिरी वक्त पर अस्पताल में उनके पास पुत्र के अलावा कोई नहीं था। गुरबत का आलम यह था कि पार्थिव देह को हरिद्वार अंतिम संस्कार के लिए भिजवाने के लिए देहरादून सीएमओ ने गाड़ी की व्यवस्था की। शहर कोतवाल बीडी जुयाल और सीओ समेत कुछेक पुलिसवालों ने चंदा करके पेट्रोल और थोड़ा-बहुत खर्च का जुगाड़ किया। अकेले पुत्र उनके पार्थिव शरीर को हरिद्वार ले गए, जहां शाम को उनका अंतिम संस्कार किया गया। बाबा बमराड़ा जनसंघ से लेकर उक्रांद और तमाम आंदोलनकारी संगठनों से जुड़े रहे। कई बार जेल गए और अनशन भी किए।