POLITICS

अपने ही बयानों में उलझे प्रेमचंद अग्रवाल !

  • खुद भी डोईवाला की हार को लेकर कठघरे में हैं प्रेमचंद अग्रवाल !
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून  : उत्तराखंड में संपन्न हुए हालिया निकाय चुनाव में हार-जीत को लेकर भले ही अब दोनों राजनीतिक दल समीक्षा की बात कर रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा फजीहत सत्ता रूढ़ दल भाजपा की हो रही है। जहां हार-जीत को लेकर  विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने ऐसा बयान दिया है जिसे सुनकर भले ही मुख्यमंत्री समेत भाजपा के अध्यक्ष और कई मंत्रियों को परेशानी हो सकती है। लेकिन वे खुद भी डोईवाला की हार को लेकर कठघरे में खड़े होंगे। 
पार्टी के नेताओं का कहना है कि जब आत्ममंथन होगा तब यह बात भी सामने आएगी कि विधानसभा अध्यक्ष अपने गृह नगर डोईवाला में पार्टी की नगीना रानी को क्यों नहीं जीता पाए ?जहां उनका पूरा कुटुंब परिवार तो रहता ही है और यहीं से उन्होंने राजनीती का ककहरा सीखा। तो ऐसे में उन्होंने अपने परिजनों को भाजपा के लिए काम पर क्यों नहीं लगाया ? जबकि डोईवाला में उनका परिवार आरएसएस और भाजपा के लिए काम करने वाले परिवार में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वहीं ऋषिकेश में यह बात भी चर्चा का विषय बनी हुई है कि ऋषिकेश में  उनके समर्थकों ने भाजपा की अनिता मंगाई की जगह दीप शर्मा की धर्मपत्नी के लिए वोट मांगे यदि यह बात सच है तो उन्हें किसी पर भी उंगुली उठाने से पहले यह सोच लेना चाहिए जब अंगुली किसी की तरफ उठती है तो चार अंगुलियां खुद की तरफ भी उठती है।
जहाँ तक डोईवाला नगर पंचायत की हार -जीत को जो लोग मुख्यमंत्री से जोड़कर देख रहे हैं उन्हें यह भी पता होगा वहां के राजनीतिक समीकरण क्या थे। चुनाव परिणाम के बाद जो जानकारियां सामने आ रही है उससे तो साफ़ है कि मुख्यमंत्री विरोधी खेमा यहां नगीना रानी को जितवाने को नहीं बल्कि मुख्यमंत्री को हराने के लिए जमकर काम कर रहा था। यहां -जहां सत्तारूढ़ दल का एक बड़ा नेता और उसके चेले पार्टी के प्रत्याशी के लिए काम करने के बजाय निर्दलीय के लिए काम कर रहे थे वहीं भाजपा की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले आरएसएस के लोगों ने भी संघ के एक नेता के इशारे पर नगीना रानी के बजाय संजय प्रजापति (निर्दलीय) के लिए काम किया जो अब जगजाहिर हो चुका है। 
 ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष का हारी हुई सीटों पर समीक्षा की बात कहना उनके लिए भी जहां परेशानी का सबब बन सकता है तो सूबे के कई बड़े नेताओं को उनका यह बयान चुभ सकता है। हालाँकि निकाय चुनाव में भाजपा भले ही सबसे ज्यादा सीटें जीती हो लेकिन पार्टी के अंदर हारी हुई सीटों को लेकर जबरदस्त राजनीति चल रही है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने जहां खुद को हारी हुई सीटों में न होने वाला बताकर खुद को गौरवान्वित होने की बात कही है। वहीं  हार वाली सीटों पर समीक्षा की बात कहकर अध्यक्ष ने बड़े नेताओं पर तंज भी कस दिया। लेकिन अब वे इस बयान को लेकर खुद ही पार्टी के बड़े नेताओं के निशाने पर आ गए हैं। 
हालांकि यह बात तो सही है कि यदि पार्टी में सब ठीक होता तो और भी सीटें जीती जा सकती थी ऐसे में अब विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का मौजूदा बयान पार्टी में उथल पुथल पैदा कर सकता है । तो वहीं उनका यह बयान खुद उनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है कि इसके लिए उन्होंने क्या किया ?

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