
हत्या काण्ड से देवभूमि हुयी शर्मसार
अल्मोड़ा : जनपद के स्याल्दे विकासखण्ड ग्राम गोलना पो देघाट गाँव में बीते 25जुलाई 2017 की रात को एक नवविवाहिता श्रीमती आशा देवी की उसी के पति दीपक रिखाड़ी व उसके परिवार के अन्य लोगों द्वारा दहेज के कारण निर्मम हत्या कर दी गयी. लेकिन अपराधी अभी भी खुले आम घूम रहे हैं और राजस्व पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी आरोपियों का इंतज़ार कर रही है.
आपको यह जानकार हैरानी होगी कि आशा देवी गर्भवती होने के साथ-साथ उसकी एक नौ-दस माह की लड़की भी थी, हत्या करने के बाद भी आशा के गुनेहगार अभी तक आजाद पंछी की तरह घूम रहे हैं. आशा के मायके वालों को जब यह खबर 26 जुलाई को मालुम चली तो उन्होने इस घटना की एफआईआर राजस्व थाने में दर्ज करा दी, अगर समय रहते किन्ही कारणवश आशा के परिजनों द्वारा FIR नही की गयी होती तो आशा के ससुराल वाले इस हत्या को आत्महत्या का नाम देने की पूरी तैयारी में लगे हुये थे जिनकी थोड़ी सी जागरुकता के चलते व आशा के परिजनों के दबाव में 27 जुलाई को आशा की लाश को रानीखेत पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया गया.
जिस प्रकार के चोट के निशान आशा के सिर, गले व पेट पर दिखाई दे रहे हैं उससे पूरा यकीन हो जाता है कि यह घटना को सोची समझी रणनीति के तहत एक से अधिक लोगों ने अंजाम दिया है, घटना के दिन ही आशा की नौ माह की लड़की जिसे आरोपियों ने आशा की हत्या करने के बाद बाहर कमरे की छत में फैंक दिया जो कि रोती चिल्लाती रही लेकिन फिर भी दरिन्दे पति का दिल नहीं पसीजा ! आशा की हत्या को हुये एक सप्ताह से भी ज्यादा का समय हो गया लेकिन कानून, शासन-प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है, आरोपी अभी तक गिरफ्तार नही हुये हैं.
आशा के परिजनों का कहना है कि एक गरीब घर की होनहार लड़की जो अब इस दुनिया में नही है, जो अपने माता-पिता की सबसे लाड़ली बेटी थी, दहेज न देने के कारण जिसकी हत्या उसी के पति द्वारा कर दी गयी उसको न्याय दिलवाने, उसके कातिलों को सजा दिलवाने के लिये बड़े-बड़े अधिकारियों, महिलाओं की सुरक्षा पर बात करने वालों, महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वालों, नेताओं, अधिकारियों, मंन्त्रियों, राज्य के मुख्यमन्त्री, देश के प्रधानमंत्री जी तक पहुंचनी चाहिए ताकि ऐसा जघन्य अपराध किसी और बहन के साथ फिर दोबारा घटित न हो सके l