सेना कर रही है सीमांत क्षेत्र में पलायन रोकने की पहल
जोशीमठ : पलायन से वीरान हो चुके उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना ने खुशहाली लौटाने का बीड़ा उठाया है। 127 इको टास्क फोर्स के जवान इन क्षेत्रों में अखरोट व चिलगोजे के पौधे रौपेंगे। ताकि लोगों को आजीविका का जरिया मुहैया कराने के साथ ही उन्हें उन क्षेत्रों में रोकने के सशक्त प्रयास किए जा सकें।
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की पहल पर 127 इको टास्क फोर्स ने जनपद चमोली के मलारी क्षेत्र में पौधारोपण अभियान शुरू किया है। इसके प्रथम फेज की शुरुआत प्रादेशिक सेना के अपर महानिदेशक एवं 3 गोरखा राइफल के कर्नल ऑफ द रेजीमेंट मेजर जनरल डीए चतुर्वेदी ने किया।
दून में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में मलारी में अखरोट व चिलगोजे की दो-दो हजार पौध रौपी जा रही हैं। द्वितीय चरण में करीब एक लाख पौधे रौपे जाएंगे। इसमें तकरीबन दो साल का वक्त लगेगा। यह अभियान न सिर्फ क्षेत्र की आर्थिकी बल्कि सामरिक लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
गौरतलब हो कि चीन सीमा पर स्थित नीती घाटी में मलारी क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा सामरिक रणनीति का ही एक हिस्सा है। यह दुरुह क्षेत्र भारी हिमपात के कारण दिसम्बर-अप्रैल में जोशीमठ से कट जाता है। जिस कारण वहां के लोग नीचे की ओर पलायन कर जाते हैं।
एक वजह यह भी है कि वहां न रोजगार के साधन हैं और न सतत आजीविका के लिए खेती को पर्याप्त जमीन। इस दौरान 127 इको टास्क फोर्स के सीओ कर्नल एचआरएस राणा आदि उपस्थित रहे।
केंद्र सरकार के बेहद महत्वपूर्ण नमामि गंगे महाभियान के क्रियान्वयन के लिए गंगा इको टास्क फोर्स का गठन किया गया है। मेजर जनरल चतुर्वेदी ने बताया कि यूपी में टास्क फोर्स इलाहाबाद, कानपुर व बनारस में काम करेगी। उत्तराखंड में 127 इको टास्क फोर्स गंगा तट पर पौधारोपण कर रही है।