रोहित शेखर तिवारी की मौत का मामला
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली: उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे स्व एन डी तिवारी के जैविक पुत्र रोहित शेखर तिवारी की मौत मामले में पुलिस ने उसकी पत्नी अर्पूवा को गिरफ्तार कर लिया है। बता दें मौत के बाद से ही क्राइम ब्रांच रोहित की मां और उसकी पत्नी से लगातार पूछताछ कर रही थी। क्राइम ब्रांच ने परिवार के साथ- साथ घर के नौकरों से भी पूछताछ की थी।
गौरतलब हो कि अपूर्वा सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता हैं और काफी समय तक पुलिस को अपनी बातों से फंसाती रहीं। वह बार-बार पुलिस को दिया अपना बयान बदलती रहीं जिसके कारण वह पुलिस के शक के दायरे में आ गईं।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत नारायण दत्त तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी (40) की हत्या मामले में क्राइम ब्रांच ने पांच दिन की पूछताछ के बाद रोहित की पत्नी अपूर्वा शुक्ला (35) को गिरफ्तार कर लिया है। अपूर्वा को साकेत कोर्ट में पेश कर दो दिन की रिमांड पर लिया गया है। क्राइम ब्रांच की जांच अभी जारी है। वैवाहिक जीवन में कलह और प्रॉपर्टी नहीं मिलने की वजह से वह अवसाद में थी। घटना वाले दिन रोहित और भाभी कुमकुम के एक साथ शराब पीने को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ। इसी दौरान गुस्से में आकर उसने रोहित का गला घोंट दिया। बीमारियों से शरीर कमजोर होने और नशे की हालत में होने की वजह से वह अपूर्वा का विरोध नहीं कर पाए। वारदात के बाद उसने रोहित की नाक और मुंह को भी दबाया था। रोहित के मुंह और नाक से खून निकलने की यही वजह मानी जा रही है।
एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम ब्रांच राजीव रंजन ने बुधवार को पत्रकारवार्ता कर हत्याकांड का पर्दाफाश किया। क्राइम ब्रांच के मुताबिक 15 अप्रैल को रोहित जब परिवार के अन्य सदस्यों के साथ वोट डालकर लौट रहे थे। उसी समय अपूर्वा ने वाट्सएप पर उन्हें वीडियो कॉल की थी। इसमें वह कुमकुम के साथ एक ही गिलास में शराब पीते दिख गए थे। रात करीब 10.30 बजे रोहित घर लौटे तो कार में कुमकुम भी बैठी थीं। कार रोहित का ड्राइवर अखिलेश चला रहा था। पीछे की सीट पर एक तरफ रोहित बीच में निगम (एनडी तिवारी के पीए रह चुके हैं) और दूसरी तरफ कुमकुम बैठी थी। घर आने के बाद रोहित ने अकेले, जबकि अन्य सभी ने एक साथ खाना खाया। इसके बाद मां उज्ज्वला रात करीब 12 बजे राजीव व कुमकुम के साथ तिलक लेन स्थित घर चली गईं। जबकि रोहित ऊपर सोने चले गए। यहां अपूर्वा व रोहित में बहस शुरू हो गई। इसमें एक ही गिलास में कुमकुम के साथ शराब पीने की बात पर अपूर्वा बुरी तरह भड़क गईं और गुस्से में अपने कमरे जाकर में टेलीविजन देखने लगी।
रात एक बजे दोबारा कमरे में गई : रात करीब एक बजे जब घर के अन्य सदस्य सो गए तो वह दोबारा रोहित के कमरे में गई। यहां फिर उनमें बहस हुई, लेकिन अत्यधिक नशे के कारण रोहित बिस्तर पर ही पड़ा रहे। इससे गुस्से में आकर उसने रोहित का गला दबा दिया। इसके बाद नाक और मुंह भी दबाया। रोहित की मौत होने से वह घबरा गई और एक घंटे तक कमरे में ही बैठी रही।
अपूर्वा ने खो दिया आपा : अपूर्वा का 2017 में रोहित से परिचय हुआ था। अपूर्वा को उम्मीद थी कि रोहित शेखर को विरासत में अकूत संपत्ति मिलेगी। उसने 11 मई 2018 को रोहित से शादी कर ली। शादी के बाद उसे पता लगा कि रोहित के पास कोई प्रॉपर्टी नहीं है। उनकी मां उज्ज्वला शर्मा के बैंक खाते में महज दस हजार रुपये थे। डिफेंस कॉलोनी वाला घर ही उज्ज्वला के नाम पर है। उज्ज्वला के बाद 60 फीसद हिस्से के मालिक रोहित और 40 फीसद के मालिक सिद्धार्थ होते।
सुनंदा पुष्कर की मौत मामले से ली सीख : दक्षिण जिला पुलिस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत मामले में शुरुआती जांच में जिस तरह लापरवाही बरती थी उस तरह की रोहित हत्या मामले में सामने आ रही है। पुलिस को 17 अप्रैल की शाम इस तरह के संकेत मिल गए थे कि रोहित की हत्या की गई है। इसके बावजूद दक्षिण जिला पुलिस सर्तक नहीं हुई। पुलिस ने न तो पत्नी अपूर्वा का मोबाइल जब्त किया और न ही समय से सीसीटीवी फुटेज को खंगाला था।
दक्षिण जिले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दक्षिण जिला पुलिस ने सुनंदा पुष्कर केस में शुरुआत में लापरवाही बरती थी और एक वर्ष तक स्वभाविक मौत (सीआरपीसी 174 की कार्रवाई) पर जांच करती रही।
पुलिस ने सुनंदा व उसके परिजनों के मोबाइल फोन को जब्त नहीं किया था और न ही मौके से ठीक से सैंपल लिए थे। रोहित के शव के मैक्स अस्पताल से एम्स की मोर्चरी में ले जाया गया तो वहां डॉक्टरों ने संकेत दे दिए थे कि रोहित की हत्या की गई है। इसके बावजूद डिफेंस कॉलोनी, दक्षिण जिला पुलिस सर्तक नहीं हुई।
पुलिस स्वाभाविक मौत की कार्रवाई की तैयारी कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार करती रही। इस दौरान आरोपी या आरोपियों को सबूत से छेड़छाड़ का काफी समय मिल गया था। डिफेंस कॉलोनी थाना पुलिस ने सीबीआई की फोरेंसिक टीम को नहीं बुलाया था, बल्कि दिल्ली सरकार की एफएसएल टीम को मौके पर बुलाया था। सीबीआई की फोरेंसिक टीम को एक्सपर्ट माना जाता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जब रोहित की हत्या का खुलासा हुआ तो सीबीआई की फोरेंसिक टीम को मौके पर बुलाया था। पुलिस ने शुरुआत में रोहित के परिजनों के मोबाइल व अन्य सबूत एकत्रित नहीं किए थे।