पहाड़ों में जेसीबी से शराब तस्करी का नया खेल!
- जेसीबी मालिक है बीजेपी के कार्यकर्ता
अल्मोड़ा। मादक पदार्थो का बोल बाला लगातार उत्तराखंड में बढ़ता जा रहा है। पुलिस की चौकसी चाहे कितनी भी बढे पर ये तस्कर नई नई योजनाएं बनाते रहते हैं। इस बार पुलिस ने एक जेसीबी जो कि बीजेपी के कार्यकर्ता की बताई जा रही है को रात के साए में कई हजार की शराब के साथ रंगे हाथ पकड़ा लिया है। जेसीबी चालक ने बताया कि ये वाहन किसी स्थानीय फर्म से सम्बद्ध है। रात में ही इसी मालिक की फर्म के एक और वाहन को रानीखेत में भी पकड़ा गया है।
शराब के तस्कर का ये भी नया ही अंदाज है। देर रात भी ये जे सी बी कटान के काम से ही जा रही थी जब कि रात को पहाड़ो में कटान की कोई भी परमिशन नहीं मिलती है। इसका मतलब तो ये हुआ कि मादक पदार्थो के साथ साथ और भी कई गैरकानूनी काम हो रहे हैं। पहाड़ो में इस तरह का बीजेपी कार्यकर्ताओं के वाहनों में ये काम होना भी एक तरह सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त करने की बात पर प्रश्न चिन्ह लगता है? सरकार के अपने ही लोग आज अल्मोड़ा में सरकार की नीति की धज्जियां उड़ाने में लगे हुए है। सरकार लगातार नई नई बात इस तरह की तस्करी पर करती है पर अल्मोड़ा में 2 माह में 80 प्रतिशत केस में जिस तरह से अप्रोक्ष रूप से एक राजनीतिक दल के लोग ही लिप्त पाए जा रहे हैं? ऐसे में क्या सरकार अपने ही लोगों को हर बार बचाती रहेगी और इस तरह के लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं होगी या कहे सरकार खुद अपने लोगों को मदद करने में लगी हुई है? सरकार ने कम से कम इस तरह के लोगों के विरुद्ध आबकारी एक्ट के साथ लगातार गलत काम करने पर और भी कड़ी कार्यवाही करनी पड़ेगी।
चर्चा तो यह तक हो रही है कि एक साल के अंदर जो भी मादक पदार्थो में लोग या गाड़ी पकड़ी जा रही है उसमे ज्यादातर गाडिय़ा किसी एक ही फर्म के द्वारा चलाई जाती है और ये ही नहीं इस फर्म की गाडिय़ां ज्यादातर बिना रजिस्ट्रेशन ही चल रही है और इसके बाद भी प्रशासन इन लोगों को नजर अंदाज किये चला जाता है। इस बार तो ड्राइवर ने मालिक का नाम उगल दिया है? चर्चा तो ये भी हो रही है कि क्या कोई फर्म आबकारी विभाग के भी लोग मदद के बिना इस तरह के कामों को अंजाम दे रही है। यदि इस बात में लेस मात्रा भी सच्चाई हो तो ऐसे कर्मचारियों की जांच हो कर इन्हें भी सरकार द्वारा उचित दंड दिया जाना चाहिए? तभी भ्रष्टाचार पर अंकुश कसा जा सकेगा। चर्चा तो रात को ये भी थी कि बीजेपी के एक तथाकथित सदस्य ने धमकी दी कि मुख्यमंत्री जी को पत्र लिख कर अल्मोड़ा के एस.ओ.जी टीम को ही भंग करवा दिया जाएगा? क्या सत्ता का गुमान इतना ठीक है? बीजेपी के कार्यकाल में क्यों शराब माफिया निरंकुश हो गए हैं? यह सवाल अब अल्मोडा की वादियों में गूंजने लगा है।