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ऋषिकेश में शहरी नदी प्रबंधन योजना (URMP) को लेकर कार्यसमिति की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित

ऋषिकेश में शहरी नदी प्रबंधन योजना (URMP) को लेकर कार्यसमिति की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित

ऋषिकेश : उत्तराखंड में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण एवं शहरी जल प्रबंधन को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG), जल शक्ति मंत्रालय एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA), आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त प्रयासों से उत्तराखंड के पाँच शहरों—गंगोत्री-यमुनोत्री, ऋषिकेश, हरिद्वार, हल्द्वानी-काठगोदाम एवं रामनगर में शहरी नदी प्रबंधन योजना (Urban River Management Plan – URMP) विकसित की जा रही है। इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु ऋषिकेश नगर निगम के स्वर्ण जयंती सभागार में URMP की कार्यसमिति की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।

इस बैठक में नगर निगम ऋषिकेश के महापौर शंभू पासवान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि नगर आयुक्त शैलेन्द्र सिंह नेगी ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक की शुरुआत में नगर आयुक्त ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और इस योजना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसके सफल क्रियान्वयन के लिए सभी संबंधित विभागों से सक्रिय सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि शहरी नदी प्रबंधन योजना केवल एक पर्यावरणीय पहल नहीं है, बल्कि यह गंगा नदी के संरक्षण, स्वच्छता और सतत विकास को बढ़ावा देने का एक समग्र प्रयास है, जिसमें विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने सभी विभागों को आपसी समन्वय स्थापित कर इस योजना को प्रभावी रूप से लागू करने की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया।

बैठक के दौरान नगर निगम एवं अन्य विभागों द्वारा नदी प्रबंधन से संबंधित मौजूदा कार्यों की समीक्षा की गई। नगर आयुक्त ने स्वच्छ भारत मिशन, नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम, वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) एवं अन्य पर्यावरणीय प्रयासों के तहत किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि इन सभी अभियानों को समन्वित रूप से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में जल निकायों के संरक्षण को लेकर स्थानीय प्रशासन, नगर निगम, पर्यावरणविदों एवं आम जनता को एकजुट होकर कार्य करना होगा, ताकि गंगा नदी की अविरलता और निर्मलता को सुनिश्चित किया जा सके।

बैठक में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA) की ओर से राहुल सचदेवा और सुश्री इसलीन कौर, राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे के मॉनिटरिंग विशेषज्ञ श्री रोहित जयाड़ा एवं नामित फर्म ली एसोसिएट की प्रतिनिधि सुश्री मुगधा शेखर ने तकनीकी प्रस्तुति दी। उन्होंने URMP के मुख्य उद्देश्यों, वर्तमान स्थिति, बेसलाइन डेटा विश्लेषण, SWOT विश्लेषण एवं अंतर-क्षेत्रीय योजना (Inter-sectoral Planning) के डिज़ाइन पर विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने यह भी बताया कि शहरी नदी प्रबंधन योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक सशक्त निगरानी तंत्र (Monitoring Framework) विकसित किया गया है, जिसके तहत योजना की प्रगति को चरणबद्ध रूप से परखा जाएगा। इस दौरान योजना से जुड़े तकनीकी पहलुओं पर भी चर्चा की गई, जिसमें नदियों के किनारों के पुनर्विकास, अपशिष्ट जल प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, बाढ़ प्रबंधन एवं प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित रणनीतियाँ शामिल थीं।

बैठक में विभिन्न विभागों द्वारा एसटीपी प्लांट, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, सीवर एवं सेप्टिक टैंक प्रबंधन से संबंधित अद्यतन जानकारियाँ दी गईं। अधिकारियों ने नगर क्षेत्र में जल प्रदूषण की स्थिति, अपशिष्ट जल के निस्तारण एवं स्वच्छता से संबंधित मौजूदा कार्यों की जानकारी साझा की और सुझाव दिए कि इन कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल आवश्यक है।

इस बैठक में नगर निगम ऋषिकेश के सहायक नगर आयुक्त रमेश सिंह रावत, तहसीलदार सुरेंद्र सिंह, यूपीसीएल के एसडीओ अरविंद नेगी, एसपीएस अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पी.के. चन्दोला, देहरादून वन प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी अनिल रावत, उत्तराखंड पेयजल निगम, ऋषिकेश के परियोजना प्रबंधक संजीव कुमार वर्मा सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

बैठक के अंत में सभी हितधारकों और विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने पर विशेष बल दिया गया, ताकि ऋषिकेश में गंगा नदी के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ-साथ पर्यावरणीय और शहरी विकास को भी प्राथमिकता दी जा सके। नगर आयुक्त ने कहा कि इस योजना का क्रियान्वयन केवल सरकारी प्रयासों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसमें स्थानीय समुदाय, नागरिक संगठनों एवं विशेषज्ञों की भागीदारी भी सुनिश्चित करनी होगी।

उन्होंने सभी संबंधित पक्षों को आश्वस्त किया कि नगर निगम इस दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करेगा और इस योजना को सफल बनाने के लिए हर संभव कदम उठाएगा। बैठक का समापन सकारात्मक वातावरण में हुआ, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने गंगा नदी के संरक्षण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

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