- 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर हुई उनकी ख़ास समीक्षा
- नवरात्रि के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल में फेरबदल की भी संभावनाएं
- लगातार पुराने लोगों को ही पार्टी का चेहरा बनाये जाने से खासे नाराज
- अगले दो महीने बाद फिर से सरकार की समीक्षा की बात
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : अमित शाह के उत्तराखंड दौरे को लेकर तमाम कयासबाजियां अभी भी सत्ता के गलियारों में चल रही है, अधिकांश भाजपा नेताओं के अनुसार उनका यह दौरा मुख्यतः मिशन 2019 को लेकर था, इन दो दिनों की ताबड़तोड़ बैठकों में और भी कई मुद्दों पर गहन चर्चा हुई जिसमें वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर उनकी ख़ास समीक्षा रही। क्योंकि भाजपा आने वाले लोकसभा चुनाव में 350 से अधिक सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही है ।
उन्होंने पांचों लोकसभा सीटों पर वर्तमान हालात की समीक्षा तो कि ही साथ ही अल्मोड़ा को छोड़ शेष चारों लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी बदलाव की संभावनाओं को लेकर पदाधिकरियों और कर्यकर्याओं की नब्ज भी टटोली , बैठक के दौरान ही अल्मोड़ा को छोड़ सभी लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी बदले जाने के संकेत भी देकर वे गए ,पौड़ी लोकसभा सीट पर मेजर जनरल की जगह वे किसी बड़े जरनल को लाने की तैयारी में नज़र आये तो नैनीताल में भगत सिंह कोशियारी की जगह वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को भी उन्होंने प्रत्याशी के रूप में देखा है ,वहीँ महारानी माला राज्यलक्ष्मी की जगह टिहरी लोकसभा सीट पर विधायक मुन्ना सिंह चौहान भी प्रत्याशी बनाये जा सकते हैं। जबकि हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा में गहन मंथन चल रहा है ,बीजेपी में निशंक विरोधी एक गुट निशंक के स्थान पर नए प्रत्याशी की खोज की वकालत कर रहा है, वह विधायक मदन कौशिक का नाम आगे कर रहा है।
वहीँ मंत्रीमंडल में नवरात्रि के बाद फेरबदल की भी संभावनाएं हैं अमित शाह के निशाने पर कुछ ऐसे मंत्री आये हैं जिनकी कार्यप्रणाली से वे खुश नज़र नहीं आये, सूत्रों का दावा है कि कुछ नए चेहरे भी मंत्रीमंडल में शामिल किये जा सकते हैं जिनको लेकर शाह की हरी झंडी मिल चुकी है। इस परिवर्तन के साथ ही भाजपा संगठन में भी आमूलचूल परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। पार्टी अध्यक्ष लगातार पुराने लोगों को ही पार्टी का चेहरा बनाये जाने से खासे नाराज दिखाई दिए उन्होंने साफ़ कहा पार्टी में नए चेहरों को भी तो मौक़ा मिलना चाहिए इस पर काम करने की वे जरुरत बताकर कर गए। खासकर वे पार्टी संगठन से खासे नज़र आये जिनकी कमियों और चर्चाओं के कारण पार्टी को वह अपेक्षित परिणाम नहीं पा रहा है जो उसे मिलना चाहिए था।
वहीँ कुछ ही समय बाद पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद भगत सिंह कोशियारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है जबकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत को राज्यसभा में भेजे जाने की तैयारी भी शुरू हो गयी है,जहाँ तक मुख्यमंत्री के कामकाज की हुई समीक्षा के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष संतुष्ट नज़र आये हैं,हालाँकि उन्होंने अगले दो महीने बाद फिर से सरकार की समीक्षा की बात कही।