नैनीताल : गंगा को प्रदूषण मुक्त न करने व पॉलीथिन पर नकेल न कसने पर राज्य से सभी जिलाधिकारियों को हाई कोर्ट में तलब किया गया है। करोड़ों रुपये खर्च किये जाने की बाद भी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने तथा उत्तराखंड में पॉलीथिन पर पाबंदी लगाने के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर इस बार हाई कोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अपनाया है। कोर्ट ने प्रदेश के सभी तेरह जिलाधिकारियों को 17 मार्च को दस्तावेजों के साथ तलब किया है।
दस्तावेजों के आंकलन में यदि यह पाया गया कि गंगा को स्वच्छ बनाने व पर्यावरण को पॉलीथिन मुक्त बनाने के लिए कार्रवाई नहीं की गई है तो संबंधित जिले के डीएम को हाथों-हाथ अवमानना नोटिस थमाया जाएगा। यह पहला मौका है जब हाई कोर्ट ने आदेश का अनुपालन नहीं होने पर राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारियों को एक साथ दस्तावेजों के साथ तलब किया गया है। कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासनिक हलके में खलबली मच गई है।
गौरतलब हो कि पिछले वर्ष दो दिसंबर को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की खंडपीठ ने हरिद्वार निवासी अधिवक्ता ललित मिगलानी की जनहित याचिका पर फैसला देते हुए 26 बिंदुओं पर दिशा-निर्देश जारी किए थे। याचिका में गंगा नदी में गंदगी को गिरने से रोकने के लिए सख्त आदेश जारी करने का आग्रह किया गया था।
सोमवार को खंडपीठ के समक्ष अधिवक्ता मिगलानी ने आदेश की कॉपी के साथ प्रार्थना पत्र दाखिल किया जिसमें कहा गया था कि सभी जिलों के डीएम को आदेश की कॉपी मुहैया कराने के बाद भी अब तक अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। इस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई और 17 मार्च को सभी जिलाधिकारियों को दस्तावेजों के साथ पेश होने के आदेश पारित किए।
उल्लेखनीय है कि नैनीताल में डीएम दीपक रावत ने स्वयं अधीनस्थों के साथ छापामार कार्रवाई कर पांच सौ कुंतल से अधिक पॉलीथिन जब्त की है और करोड़ों का जुर्माना लगाया गया है। अन्य जिलों में अब तक कार्रवाई कोर्ट के संज्ञान में नहीं आई है।