राज्यसभा सीट की रस्साकशी में अजय भट्ट आगे
- विजय बहुगुणा भी राज्यसभा के दावेदारों में शुमार
- देशभर में राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को चुनाव
राजेन्द्र जोशी
राज्यसभा सीट की अधिसूचना हो चुकी है। अधिसूचना के अनुसार देशभर में राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को चुनाव होंगे। अगले महीने राज्यसभा की जिन सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा 10 सीटों पर यह चुनाव होना है। उत्तरप्रदेश के बाद महाराष्ट्र और बिहार की 6-6 राज्यसभा सीटों पर यह चुनाव होगा, जबकि मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की 5-5 राज्यसभा सीटों पर यह चुनाव होगा, वहीँ गुजरात और कर्नाटक की 4-4, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, राजस्थान की 3-3, झारखंड की 2, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की 1-1 राज्यसभा सीटों पर यह चुनाव होना है।
इस अप्रैल में राज्यसभा के रिटायर होने वाले 58 सदस्यों में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, धर्मेंद्र प्रधान, जेपी नड्डा, थावरचंद गहलोत और रामदास अठावले भी शामिल हैं। इसके अलावा बीएसपी सुप्रीमो मायावती की सीट पर भी चुनाव होने हैं, उन्होंने पिछले साल जुलाई में नाराज होकर राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था।
राज्यसभा सीटों होने वाले चुनाव 23 मार्च को चुनाव को होंगे और वोटों की गिनती भी इसी दिन होगी। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को राज्यसभा चुनाव की घोषणा करते हुए कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया पांच मार्च को चुनाव अधिसूचना जारी होने के साथ ही शुरू हो जायेगी। राज्य सभा के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 12 मार्च तक तय की गई है। नामांकन पत्रों की जांच 13 मार्च को होगी और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 15 मार्च है। मतदान 23 मार्च को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक होगा और शाम पांच बजे मतगणना होगी। उत्तराखंड में राज्य वहीँ उत्तराखंड में राज्यसभा सांसद महेंद्र सिंह माहरा का कार्यकाल अप्रैल में पूरा होने के चलते यहाँ भी नेता अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
हालाँकि चर्चा यह भी है कि भाजपा राज्य से बाहर के नेताओं को इस बार राज्यसभा में भेजने का जोखिम इस लिए भी नहीं लेगी क्योंकि पूर्व में राज्य से बाहर के सुषमा स्वराज और संघप्रिय गौतम को उत्तराखंड से राज्यसभा भेजा गया था। लेकिन उनका राज्य के विकास के लिए कोई खासा योगदान इसलिए भी नहीं रहा कि वे राज्य की भौगोलिक स्थिति से ठीक से वाकिफ नहीं थे और चुनाव जितने के बाद यदा-कदा ही उन्होंने उत्तराखंड का रुख किया था जिससे भाजपा संगठन को जनता को जवाब देना भारी पड़ गया था कि उनके राज्यसभा सदस्य उत्तराखंड का दौरा क्यों नहीं करते ?
उत्तराखण्ड में 70 विधायकों वाली विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 57 विधायक हैं जबकि एक निर्दलीय और एक मनोनीत विधायकों के साथ सूबे की विधानसभा में भाजपा के पास कुल 59 विधायक हैं , ऐसे में भाजपा के प्रत्याशी को आसानी से जीत मिलनी तय है। चर्चा है कि यदि भाजपा ने अगर केन्द्रीय नेताओं के नामों पर विचार किया तो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तराखण्ड प्रभारी श्याम जाजू और राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी के नाम आगे आ सकते हैं। और यदि पार्टी ने सूबायी नेताओं के नामों पर विचार किया तो सूबे से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नामों पर विचार किया जा सकता है।
वहीँ राज्य के प्रत्याशी को तवज्जो मिलने की उम्मीद इसलिए भी चर्चाओं में है कि केंद्र के सभी बड़े नेता पहले से लोकसभा और राज्यसभा में हैं। इससे इतर राज्य में होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और कांग्रेस से बगावत कर भाजपा का दामन सँभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नामों की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। चर्चा है कि जहाँ एक तरफ विजय बहुगुणा भाजपा में कांग्रेस वाली दबाव की नीति के तहत भाजपा पर अपना दबाव बना रहे हैं तो वहीँ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट भाजपा में अपने संपर्कों के माध्यम से अपना टिकट पक्का करवाने के करीब हैं, चर्चा है कि मोदीलहर में चुनाव हारने के बाद फिलहाल सदन की सदस्यता के लिहाज से अजय भट्ट बेरोजगार हैं। भट्ट ने उपरोक्त चारों नामों में सर्वाधिक लामबन्दी करके अपनी मजबूत दावेदारी बनाकर सभी स्तर पर बढ़त बना रखी है।