बेटे की शहादत के बाद सौ साल की मूसी देवी ने पोते को भी भेजा फौज में
22 लोगों के इस संयुक्त परिवार का सेना से रहा है करीबी रिश्ता
देहरादून : मूलरूप से सीमांत चमोली जिले की कर्णप्रयाग तहसील के लंगासू गांव निवासी मूसी देवी के पति लक्ष्मण सिंह मिंगवाल भी सेना में थे। वर्ष 1973 में उनका निधन हुआ। उनके चार बेटे हैं, जिनमें सबसे बड़े बेटे दर्शन सिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं। दूसरे नंबर के दशरथ सिंह अपने पैतृक गांव लंगासू में खेती करते हैं। नारायण सिंह वन विभाग से सेवानिवृत्त हैं, जबकि सबसे छोटे बेटे मोहन सिंह की वर्ष 1987 में ग्लेशियर के नीचे दबने से सियाचिन में मौत हो गई थी।
आज का दिन कुछ खास है मूसी देवी के लिए है आज पांच जुलाई को वे पूरे सौ साल की हो गईं। बेटे की शहादत के बाद उन्होंने पौते को भी देश सेवा के लिए फौज में भेजने का जज्बा दिखाया। यही नहीं परिवार की मुखिया के तौर पर उनकी हर बात को सभी सदस्य गंभीरता से सुनते हैं.और उनके निर्णय का पालन भी करते हैं ।
एक सदी के अनुभव को खुद में समेटे देहरादून की हाथीबड़कला निवासी मूसी देवी का यह लंबा-चौड़ा सफर महज संयोग नहीं, बल्कि उनकी जीवटता की देन है। तभी तो मूसी देवी आज भी शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्रिय नजर आती हैं।
एक आम इनसान की तरह मूसी देवी के सामने भी तमाम उतार-चढ़ाव आए, मगर इनकी परवाह किए बिना वह निरंतर उम्र की सीढ़ियां चढ़ती रहीं। कहते हैं जीवन में एक दौर ऐसा भी आता है, जब बचपन और बुढ़ापा एकाकार हो जाता है। मूसी देवी भी इस बात से इत्तिफाक रखती हैं।
उन्हें परिवार के तमाम वयस्क सदस्यों की जगह बच्चों के साथ समय बिताना अच्छा लगता है। बचपन जैसी यही बेफिक्री उन्हें उम्र के इस पड़ाव में जीने की नई सीख दे रही है। जोश से लबरेज अपने शताब्दी वर्ष से महज चंद कदम दूर खड़ी मूसी देवी ने वह दौर भी देखा है, जब उन्हें गहरा मानसिक आघात पहुंचा था।
वर्ष 1987 में सियाचिन में बेटे की मौत की खबर ने उन्हें तोड़कर रख दिया था। तब उन्हें लगता था कि जीवन में अब कोई उम्मीद बची ही नहीं है। कहते हैं कि वक्त हर जख्म को भर देता है। धीरे-धीरे मूसी देवी ने भी इस सनातन सच को स्वीकार लिया कि जीवन और मृत्यु किसी के हाथ में नहीं है। और…इसी की परिणति है कि करीब चार साल पहले गंभीर रूप से बीमार पड़ने के बाद भी वह बीमारी को मात देकर फिर उठ खड़ी हुईं।
आज आस-पड़ोस के लोग भी इस वयोवृद्ध ‘बच्ची’ मूसी देवी का सानिध्य पाकर खुद को धन्य समझते हैं। सचमुच आज के दौर में लंबी उम्र का ऐसा उदाहरण हर किसी के लिए अनुकरणीय है।
मूसी देवी का संयुक्त परिवार आज भी समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। परिवार में उनके दो बेटों (दर्शन सिंह व नारायण सिंह) समेत कुल 22 लोग हैं। इनमें 16 पोते-पोती भी शामिल हैं।