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बिहार के बाद अब राजस्थान के जयपुर में रामदेव व बालकृष्ण के खिलाफ मुकदमा

पतंजलि आयुर्वेद  कोरोनिल टैबलेट और स्वासारि वटी को लेकर चर्चाओं में 

कोरोना पीडि़तों पर दवा का ट्रायल करने का दावे के बाद पलटा निम्स 

दवा के चर्चा में आने के बाद इस दवा पर राजनीति हुई शुरू

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : बिहार के मुजफ्फरपुर में पतंजलि विश्वविद्यालय एवं शोध संस्थान के संयोजक स्वामी रामदेव व पतंजलि संस्थान के चेयरमैन आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद अब राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक अधिवक्ता ने बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और अन्य के खिलाफ शिकायत के आबाद इन सबके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
गौरतलब हो कि पतंजलि विश्वविद्यालय एवं शोध संस्थान के संयोजक स्वामी रामदेव व पतंजलि संस्थान के चेयरमैन आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ बिहार के मुज़्ज़फरपुर के मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी (CJM) मुकेश कुमार की अदालत (Court) में मुकदमा दाखिल किया गया था। यह मुकदमा मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाना के भीखनपुर निवासी समाजसेवी तमन्ना हाशमी ने दाखिल किया जिस पर अदालत ने इसे सुनवाई पर रखा हुआ है।
वहीं अब जयपुर में एक वकील ने बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और अन्य के खिलाफ ज्योति नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत के बाद इनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। मुकदमा दर्ज होने की जानकारी देते हुए जयपुर के एसीपी अशोक गुप्ता ने कहा कि ‘हमें बिना किसी परीक्षण के कथित तौर पर कोरोना वायरस की दवा विकसित करने के दावे के लिए बाबा रामदेव के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं।’ जिसके बाद मामला दर्ज किया गया है। मामले में जयपुर दक्षिण के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (डीसीपी) अवनीश पराशर ने कहा, रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, बलबीर सिंह तोमर, अनुराग तोमर और अनुराग वाष्णेर्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। यह एफआईआर एडवोकेट बलबीर जाखड़ ने दर्ज कराई है।
मिली जानकारी के अनुसार जयपुर में दर्ज मुक़दमें में बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण  के अलावा दो लोग जयपुर के निम्स युनिवर्सिटी के चेयरमैन और निदेशक हैं। वहीं पांचवें आरोपी वाष्णेर्य पतंजलि आयुर्वेद में वैज्ञानिक हैं। अपनी शिकायत में अधिवक्ता जाखड़ ने कहा कि कोविड-19 वैक्सिन बनाने का झूठा दावा करके आरोपी ने आम लोगों की जिंदगी को खतरे में डाला है। उन्होंने न तो राजस्थान सरकार और न ही केंद्र सरकार को कोरोनिल के क्लिनिक ट्रायल के बारे में कुछ बताया है।
गौरतलब हो कि बीती मंगलवार को पतंजलि आयुवेर्द ने कोरोनिल टैबलेट और स्वासारि वटी और अणु तेल लांच किया था और दावा किया था कि ये दवाइयां सात दिनों में कोरोना को दूर भगा सकती हैं। हालांकि आयुष मंत्रालय ने इस बारे में अनभिज्ञता जताई थी और पतंजलि को इसके लांच के कुछ ही देर बाद दवाई के विज्ञापनों पर रोक लगानी पड़ी थी।
वहीँ मामले में तब नया मोड़ आया जब पतंजलि की ओर से कोरोनिल दवा बनाए जाने के दावे के मामले में बाबा रामदेव के सहयोगी और मंगलवार को दवा के लांच के अमुक पर मौजूद डॉ. बीएस तोमर ने पलटी मार दी है। बाबा रामदेव ने दवा के चर्चा में आने के बाद बुधवार को जयपुर की जिस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यूनिवíसटी (निम्स) में कोरोना पीडि़तों पर दवा का ट्रायल करने का दावा किया था, उसी यूनिवíसटी के चेयरमैन डॉ.बीएस तोमर ने गुरुवार बाबा की बात को दरकिनार करते हुए कहा कि उनके अस्पताल में किसी दवा का ट्रायल नहीं हुआ है। उधर दवा के चर्चा में आने के बाद इस दवा पर राजनीति भी शुरू हो गई है राजस्थान सरकार ने अपने स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा है कि पतंजलि की कोरोनिल दवा प्रदेश में कहीं भी नहीं बिकनी चाहिए। 
वहीं एक बयान में डॉ.तोमर ने कहा कि बाबा रामदेव जिस दवा का निम्स के अस्पताल में क्लिनिकल ट्रायल का दावा कर रहे हैं, वहां ऐसा कुछ नहीं हुआ । बाबा रामदेव ने गलत बयान दिया है । उन्होंने कहा कि हमने इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय व तुलसी का प्रयोग किया था । यह केवल इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए था,कोई इलाज की दवा नहीं थी । उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानता बाबा रामदेव ने शतप्रतिशत इलाज का दावा कैसे किया है । उन्होंने कहा निम्स का बाबा रामदेव के साथ दवा बनाने में कोई सहयोग नहीं था ।
उल्लेखनीय है कि तोमर ने बुधवार को ही बाबा रामदेव के साथ मीडिया के समक्ष कोरोना की दवा कोरोनिल बनाने का दावा किया था। अब शायद राजस्थान सरकार के बढ़ते दबाव एवं विवाद के चलते तोमर ने यू टर्न ले लिया है। मामले में तोमर की तरफ से आए बयान के बाद उनका पक्ष जानने के लिए जब उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

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