उत्तराखंड में बरपा ठंड का कहर
पिथौरागढ़ : जबरदस्त ठंड के चलते जहाँ गोमुख से गंगोत्री धाम तक भागीरथी नदी जैम गयी है वहीँ कालापानी से निकलने वाली महाकाली तापमान में भारी गिरावट के कारण जम गई है। कालापानी से लेकर गर्ब्यांग तक 22 किलोमीटर के दायरे में महाकाली नदी का प्रवाह नजर नहीं आ रहा है नदी के किनारे के हिस्से व कई स्थानों पर समूची नदी ही जम गयी है। गर्ब्यांग से आगे महाकाली पतली धार के रूप में बह रही है। कालापानी में तापमान शून्य से 15 डिग्री नीचे चला गया है। पिछले साल भी जनवरी में महाकाली ठीक इसी तरह जम गई थी। वहीँ दूसरी ओर केदारनाथ धाम में लगातार 12 घंटे बर्फबारी हुई। जिससे उत्तराखंड में ठिठुरन बढ़ गई है। कड़ाके की ठंड होने के कारण धाम का तापमान माइनस-6 डिग्री तक पहुंच गया है। शनिवार तड़के चार बजे से केदारनाथ धाम में बर्फबारी चल रही है । रविवार शाम तक मंदिर परिसर से लेकर हेलीपैड, भैरवनाथ मंदिर, रुद्रा प्वाइंट, बेस कैंप ने बर्फ की चादर ओढ़ ली थी।
निम के देवेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि खराब मौसम के कारण पुनर्निर्माण के कार्य प्रभावित हो गए हैं। लिनचोली, गरूड़चट्टी से लेकर रामबाड़ा तक भी 3 से 3.5 फीट बर्फ जम गई है।वहीं त्रियुगीनारायण के ऊपरी क्षेत्र में भी पहाड़ियां बर्फ से ढक गई है। इधर, चोपता-दुगलबिट्टा और तुंगनाथ में भी 3 फीट से अधिक बर्फ गिरी है। इधर, चोपता, दुगलबिट्टा, मद्महेश्वर, कालशिला, हरियाली डांडा आदि ऊंचाई वाले इलाकों में भी रुक-रुककर बर्फबारी हो रही है।
उच्च हिमालयी क्षेत्र में हुए हिमपात के बाद तापमान में और ज्यादा गिरावट आ गई है। आईटीबीपी सातवीं वाहिनी के मौसम विभाग के अनुसार तापमान में भारी गिरावट के कारण महाकाली का प्रवाह 22 किलोमीटर के दायरे में थम गया है। तापमान बढ़ने तक नदी की स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी।
कालापानी के पास से बहने के बाद महाकाली नेपाल से सीमा बनाती है। अब आईटीबीपी ने इस क्षेत्र में ज्यादा चौकसी बढ़ा दी है। आईटीबीपी के सेनानी महेंद्र प्रताप ने बताया मौसम की बदली परिस्थिति को देखते हुए कालापानी से लेकर गर्ब्यांग तक इन दिनों अतिरिक्त चौकसी की जा रही है।
कालापानी स्थित काली का मंदिर पूरी तरह बर्फ से ढक गया है। मंदिर के पास बनाया गया जलकुंड नजर नहीं आ रहा है। कालापानी कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग का मुख्य पड़ाव भी है। यहां रुकने के बाद यात्री अगले दिन लिपुलेख दर्रा पार कर तिब्बत में प्रवेश करते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा की समाप्ति के दौरान सितंबर से ही इस इलाके में हिमपात होने लगता है। गुंजी, कुटी, नाभीढांग, छियालेख में भी इस समय भारी हिमपात हुआ है। क्षेत्र में इस समय सिर्फ सुरक्षा बलों के जवान ही रहते हैं।