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बीते 73 सालों में बहुत कुछ बदला लेकिन नहीं बदले भारतीय विमानों के रजिस्ट्रेशन नंबर

भारतीय विमानों के रजिस्ट्रेशन नंबर को भारत से मेल खाते कोड में बदलने की शुरू हुई कवायद 

तीन साल पहले भाजपा सांसद तरुण विजय ने भी राज्यसभा में उठाया था यह मुद्दा 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : भारत की आज़ादी के भले ही 73 वर्ष हो चुके हैं लेकिन इन 73 सालों में हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी का प्रतीक वह संकेत नहीं हटा पाए जिसको हटाए जाने की देशभक्त जनता काफी समय से मांग करती आ रही है। यह संकेत आप सभी लोगों ने हवाई जहाजों पर VT – XYZ सा देखा होगा यानि जिस तरह का पंजीकरण नंबर गाड़ियों के होते हैं ठीक उसी तरह के पंजीकरण नंबर हवाई जहाजों के भी होते हैं। गाड़ियों के पंजीकरण को तो हमारे देश में राज्यों के नामों के आधार पर बना दिया गया है लेकिन हमारे देश के नीतिनियंता आज तक एविएशन क्षेत्र में देश की पहचान में हवाई जहाजों के पंजीकरण में शामिल नहीं करवा पाए हैं।  क्या कभी आप लोगों ने इस VT शब्द का अर्थ खोजा या इस पर ध्यान दिया या इसे नज़रअंदाज़ किया है।  शायद किया होगा इसका मतलब है ‘‘वायसराय टेरेटरी’’ यानि एविएशन क्षेत्र के हिसाब से भारतवासी आज भी ”वायसराय” यानि अंग्रेजों के गुलाम हैं। आज़ादी के 73 साल गुजर जाने के बाद आज भी हम लोग अपने आपको अंग्रेजों की दासता से मुक्त नहीं कर पाए हैं। यानि इन 73 सालों में हमारे देश के नीतिनियंता एविएशन को देश का नाम नहीं दे पाए। ऐसा नहीं इस मुद्दे पर कोई काम नहीं हुआ राज्य सभा सदस्य तरुण विजय ने राज्य सभा में होने के दौरान इस विषय को देश के उच्च सदन यानि राज्य सभा में उठाया था लेकिन किन परिस्थितियों में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को यूँ ही छोड़ दिया गया यह पहेली अभी तक अनबूझ पहेली की तरह देशभक्त जनता नहीं समझ पाई है। 
गौरतलब हो कि अंग्रेजों के शासनकाल में भारत को International Civil Aviation Organization (ICAO) ने ‘VT’ कोड दिया था। लेकिन भारतीय विमानों के रजिस्ट्रेशन नंबर का यह कोड आज तक चल रहा है। आज़ादी से पहले ब्रिटिश शासन के अधीन देशों को ”VA” से लेकर “VZ” तक के कोड दिए थे। भारतीय विमानों के रजिस्ट्रेशन नंबर को बदलवाने को लेकर एयर इंडिया की वरिष्ठ महिला अधिकारी ने बीते तीन साल पहले इसे बदलवाने के लिए विमानन मंत्रालय से गुहार लगाई थी। उन्होंने तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री को भेजे पत्र में लिखा था कि ‘इंटरनेशनल सिविल एविएशन कन्वेंशन के अनुसार सभी देशों को अल्फाबेटिक कोड चुनने का अधिकार है, जिससे विमानों की राष्ट्रीयता आसानी से पहचान दी जा सके। उन्होंने पत्र में कहा था कि अंग्रेजों के समय में भारत को ‘VTA’ कोड आवंटित किया गया, जिसे 1928 में बदल कर ‘VT’ कर दिया गया। उन्होंने पत्र में लिखा है कि भले हमारा देश वर्ष 1947 में आजाद हुआ, लेकिन हमारे विमानों की पहचान यानि भारतीय विमानों के रजिस्ट्रेशन नंबर अब भी ”वायसराय टेरेटरी” के तौर पर होती है। यह बेहद दुखद है। मेरा अनुरोध है कि प्राथमिकता के साथ उपयुक्त मंच पर इस बात को उठा कर रजिस्ट्रेशन कोड को बदलवाया जाए।’ जबकि इस मुद्दे को तीन साल पहले भाजपा सांसद तरुण विजय ने भी राज्यसभा में उठाया।
नागरिक उड्डयन के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वर्ष 2004 में भारत ने भारतीय विमानों के रजिस्ट्रेशन नंबर के इस कोड बदलवाने का प्रयास किया गया था। तब भारत ने कंट्री कोड के लिए तीन विकल्प International Civil Aviation Organization (ICAO) को दिए थे जिनमें  ”IN” यानी इंडिया, ”BH” यानी भारत और ”HI” यानी हिन्दुस्तान दिए गए थे, लेकिन दुर्भाग्यवश ये तीनों की कोड को International Civil Aviation Organization (ICAO) ने खारिज कर दिया। क्योंकि चीन के पास ‘B’ सीरीज होने के चलते भारत को ‘BH’ और इटली के पास ‘I’ सीरीज होने के चलते ‘IN’ कोड नहीं मिल पाया। जबकि  ‘HI’ डोमिनिकन रिपब्लिक के पास है इसलिए यह भी नहीं मिल पाया। वहीं भारत सरकार के तमाम प्रयासों के बाद International Civil Aviation Organization (ICAO) ने भारत को ‘X’ और ‘V’ का विकल्प दिया था जिनका भारत से किसी भी तरह का कोई सम्बन्ध या मतलब नहीं निकलने के चलते भारत ने इन्हे लेने से साफ़ इंकार कर दिया है। लेकिन अब एक बार फिर देशभक्त जनता भारतीय विमानों के रजिस्ट्रेशन नंबर को बदलवाने के लिए नागरिक उड्डयन विभाग को सुझाव स्वरूप विकल्प भी दे रही है कि अब तो भारतीय विमानों के रजिस्ट्रेशन नंबर को भारत से मेल खाते कोड में बदलने चाहिए। 

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