केंद्रीय चुनाव आयोग के एक फरमान ने बांधे सूबे की सरकार के हाथ
देहरादून : चुनाव से ऐन पहले तक अधिकारियों, खासतौर पर प्रशासनिक अधिकारियों के तबादलों को अंजाम देने में जुटी उत्तराखंड सरकार के हाथ केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने थाम दिए हैं। राज्य सरकार को तबादलों के लिए अब आयोग की ओर से नामित मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) की अनुमति काफी नहीं होगी, उसे केंद्रीय निर्वाचन आयोग में भी दस्तक देनी होगी। आयोग की ओर से इस संबंध में बीते रोज मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश भेजे गए हैं।
उधर, आयोग के इस फरमान के बाद दो जिलाधिकारियों में फेरबदल के प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए आयोग को भेजा दिया है। राज्य में मतदाता सूचियों को तैयार करने समेत चुनाव से संबंधित तमाम प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले अब राज्य सरकार अब इस आदेश के बाद खुद नहीं कर सकेगी। अभी तक राज्य सरकार आयोग के प्रतिनिधि मुख्य निर्वाचन अधिकारी की अनुमति से तबादलों को अंजाम देती रही है।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 13 सीसी के तहत यह व्यवस्था बीती एक अक्टूबर से लागू है, लेकिन अब तबादलों के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी की अनुमति ही पर्याप्त नहीं होगी। केंद्रीय निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल शर्मा द्वारा बीते रोज मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र भेजकर आगे होने वाले तबादलों में आयोग से पूर्व अनुमति लेने को अनिवार्य किया गया है।
केंद्रीय चुनाव आयोग के इस फरमान के जारी हो जाने के बाद चुनाव संबंधी कार्यों से जुड़े तहसीलदार से लेकर उपजिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी और जिलाधिकारी के तबादलों के लिए सरकार को अब आयोग से अनुमति लेनी होगी। गौरतलब है कि हाल ही में प्रशासनिक अधिकारियों को लेकर सरकार के स्तर से की जा रही कार्यवाही की शिकायत भी आयोग से की गई थी।
आयोग के इस पत्र से राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राज्य में अभी भी कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो तीन साल से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं। इनमें रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी राघव लंगर भी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक राघव लंगर के साथ ही राज्य सरकार देहरादून व उत्तरकाशी जिले के जिलाधिकारी को भी बदलने की तैयारी में है। अब इसके लिए अब आयोग की हरी झंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा है।