एक संस्कृति और सभ्यता पंचेश्वर बांध से हो जाएगी समाप्त
- महिलाओं के संगठित नहीं होने के कारण महिला उत्पीड़न की घटनाएं
हल्द्वानी : उत्तराखंड महिला सम्मेलन में नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ी मेधा पाटकर ने कहा कि महिलाओं के संगठित नहीं होने के कारण महिला उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं।जबकि देश के कोने-कोने में महिला शक्ति बिखरी पड़ी है। उन्होंने कहा कि महिला संगठित होकर ही समाज में अपने को बराबरी के दायरे में खड़ा कर सकती हैं। वहीँ उन्होंने पंचेश्वर बांध निर्माण पर सवाल उठाते हुए कहा कि नर्मदा की तरह उत्तराखंड के क्षेत्र में भी बनने जा रहे पंचेश्वर बांध बनने के बाद एक संस्कृति और सभ्यता पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
मेधा ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन, शराब आंदोलन की ही तरह अब महिलाओं को पंचेश्वर बांध के लिए चल रहे आंदोलन में कूदना होगा। जरूरत पड़ने पर वह भी आंदोलन को पूरा समर्थन देंगी। पत्रकारों से बातचीत में मेधा ने कहा पूर्व में भी सरकार ने टिहरी बांध प्रभावितों के पुनर्वास और रोजगार के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे, जबकि वादे धरातल पर पूरी तरह से नहीं उतर सके। पंचेश्वर बांध पर खुलकर बोलते हुए मेधा ने कहा कि अगर पंचेश्वर बांध बनेगा तो पहाड़ के लोगों के लिए पांव रखने की भूमि भी नहीं बचेगी। पहाड़ की नदियों, प्राकृतिक स्रोत, खनिजों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। वह बोलीं कि विकास के नाम पर पहाड़ के जल-जंगल और जमीन पर हमले हो रहे हैं। केंद्र और प्रदेश की सरकारों को विकास के नाम पर मूल्यहीन राजनीति नहीं करनी चाहिए। दो दिवसीय महिला सम्मेलन में जल-जंगल-जमीन, शराब एवं नशा, स्वास्थ्य-शिक्षा, कृषि एवं महिला किसान, राजनीति, महिला हिंसा आदि विषयों पर विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक कार्य कर रहीं प्रदेशभर की महिलाओं ने अपने-अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि नर्मदा की तरह उत्तराखंड के पंचेश्वर बांध क्षेत्र में भी बांध बनने के बाद एक संस्कृति और सभ्यता पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। जिसे बचाने के लिए लोगों को एकजुट होने की जरूरत है। स्थानीय बैंक्वेट हॉल में आयोजित उत्तराखंड महिला सम्मेलन में मेघा पाटकर ने कहा कि देश के घर-घर, गांव-गांव में महिला शक्ति बिखरी पड़ी है। महिलाओं के संगठित नहीं होने के कारण समाज में उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं। ऐसे में महिलाएं एकजुट होकर ही आधे-जमीन, आधे-आसमान में अपनी हिस्सेदारी तय कर सकती हैं।
उन्होंने कहा टिहरी और नर्मदा बांध बनने के बाद क्षेत्र के लोग अब भी विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। वहां रहने वाले लोगों का आजतक पुनर्वास नहीं हो पाया है। ऐसे में उत्तराखंड में बनने वाले पंचेश्वर बांध के निर्माण के बाद भी इससे भयावह स्थिति पैदा होगी। बांध से होने वाले विस्थापन के दौरान एक पूरी संस्कृति और पूरी सभ्यता हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। ऐसे में यहां के लोगों को भी अभी से इसके विरोध में एकजुट होना होगा। इस दौरान मेघा पाटकर ने महिलाओं की स्थिति को लेकर अपने चीर परिचित अंदाज में सम्मेलन में महिलाओं की एकजुटता, उत्थान और उनके अधिकारों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। इस दौरान देशभर के राज्यों में स्थापित सरकारों से महिलाओं और सशक्त बनाने का आह्वान किया गया।