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बैकलाॅग मौतों का स्याह सच!

देहरादून: कोरोना की दूसरी लहर ने जिस तरह पूरे देश में अपना तांडव दिखाया उसने इंसान को न भूलने वाली हालत में ला कर खड़ा कर दिया है। दूसरी लहर में कोरोना का प्रभाव इतना रहा कि हर तीसरे घर में कोरोना के मामले देखने और सुनने को मिले। आए दिन अखबारों में और खबरों के ज़रिए मौतों का बढ़ता आंकड़ा डराने लगा था। हालांकि अब संक्रमित और कोरोना से हो रही मौतों का आंकड़ा कम होता नज़र जा रहा है लेकिन लचर व्यवस्था और प्राइवेट अस्पतालों ने मनमर्जी व सही समय पर सटीक जानकारी न देने के कारण कोविड-19 प्रबंधन को कमजोर किया है जिसका ताजा़ उदाहरण प्रदेश में हुई 12 सौ से ज्यादा बैकलाॅग मौतें हैं-

कोविड 19  की स्थिति पर अपनी पूरी नज़र बनाए रखने और डाटा एनालाईसैस अनूप नौटियाल ने एक आंकड़ा पेश किया है। जिसमें बैकलाॅग यानि कि कोविड से होने वाली वो मौतें जिनकी सूचना, असपतालों की ओर से तुरंत समय पर राज्य कोविड नियंत्रण कक्ष को नहीं दी गईं, उनकी रिपोर्ट के मुताबिक इसमें प्राइवेट अस्पतालों के अलावा सरकारी अस्पताल भी शामिल हैं। आपको बता दें कि मृत्यु दर के मामले में देश भर में पंजाब के बाद दूसरा स्थान उत्तराखंड राज्य का रहा है। राज्य के सभी 13 जिलों के 90 अस्पतालों में 1210 बैकलाॅग मौतें हुई हैं। जिसमें हरिद्वार जिले के 21 अस्पतालों में सबसे ज्यादा 393 बैकलाॅग मौतें दर्ज हुई हैं और 19 अस्पतालों में 320 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर देहरादून शामिल है।

वहीं मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों के खिलाफ सच्चाई पाए जाने पर कानूनी कार्रवाही करने की बात कह रहा है।

जिस तरह से स्वास्थ्य विभाग मामले में जांच और कार्रवाही करने की बात कर रहा है उससे साफ है कि राज्य में कोरोना के समय बहुत से अस्पतालों ने मौत के आंकड़ों को सही समय पर कोविड 19 कंट्रोल तक नहीं पहुंचाया जिससे कहीं न कहीं उन अस्पतालों ने कोविड-19 के तहत बनाए गए प्रोटोकाॅल का उल्घंन किया और जब सूचना देर से दी गई तो इसका मतलब है कि आंकड़ें गलत हो गए। जिसके कारण कहीं न कहीं राज्य कोविड की अपनी रणनीति बनाने में और उससे सही तरह से लड़ने में कमजोर पड़ते है और साथ ही देर से जानकारी देने में प्रदेश के जनमानस में कोरोना के आंकड़ों को लेकर संदेह पैदा होता है और कहीं न कहीं उनका विश्वास डगमगाता है।

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