World News

अमेरिका के ऐसे पहले राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप जिन्हे दो बार करना पड़ा महाभियोग का सामना

प्रतिनिधि सभा में बहुमत से प्रस्ताव पास किया ट्रम्प पर महाभियोग 

ट्रम्प समर्थकों को राजद्रोह के लिए उकसाने का लगा आरोप

अब सबकी नजरें सीनेट पर ,अगर यहां भी प्रस्ताव पास हो जाता है, तो डोनाल्ड ट्रंप को नियत समय से पहले ही राष्ट्रपति का पद होगा छोड़ना 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

महाभियोग  और सोशल मीडिया पर बैन को लेकर भड़के डोनाल्ड ट्रंप

कैपिटल हिल पर हुए हमले के बाद तमाम सोशल मीडिया मंचों द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बाद अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पहले कभी इतनी खतरे में नहीं थी। उन्होंने कहा, “मुझे 25वें संशोधन से ज़रा सा भी खतरा नहीं है, लेकिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके प्रशासन के लिए यह आगे खतरा जरूर बन सकता है।” उन्होंने कहा, ”देश के इतिहास में जानबूझकर किसी (ट्रंप) को परेशान करने के सबसे निंदनीय कृत्य को आगे बढ़ाते हुए महाभियोग का इस्तेमाल किया जा रहा है और इससे काफी गुस्से एवं विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इसका दर्द इतना अधिक है कि कुछ लोग इसे समझ भी नहीं सकते, जो कि खासकर इस नाजुक समय में अमेरिका के लिए बेहद खतरनाक है।”
वाशिंगटन : अमेरिका के इतिहास में डोनाल्ड ट्रम्प पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं जिनके खिलाफ दो-दो  बार महाभियोग चलाया गया है। दूसरी बार लाया गया यह महाभियोग उनके खिलाफ कैपिटल हिंसा मामले में लाया गया है। इससे पहले  प्रतिनिधि सभा ने वर्ष 2019 की 18 दिसंबर को भी डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के आरोप को पारित किया था।  लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के नियंत्रण वाले सीनेट ने फरवरी 2020 में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था।
गौरतलब हो कि अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के दबदबे वाली प्रतिनिधि सभा ने बुधवार देर रात अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के महाभियोग प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी। प्रतिनिधि सभा में ट्रंप के महाभियोग प्रस्ताव पर मतदान के दौरान पक्ष में 232 (डेमोक्रेट्स 222 + रिपब्लिकन 10) और विपक्ष में 197 वोट पड़े। मतदान के साथ ही ट्रंप अमेरिका के ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए हैं जिन्हे दो-दो बार महाभियोग का सामना करना पड़ा है।   
डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव सांसद जैमी रस्किन, डेविड सिसिलिने और टेड लियू ने तैयार किया था। प्रतिनिधि सभा के 211 सदस्यों ने इसे सह-प्रायोजित किया। प्रस्ताव में निवर्तमान राष्ट्रपति पर समर्थकों को राजद्रोह के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि ट्रंप ने अपने समर्थकों को कैपिटल बिल्डिंग (संसद परिसर) की घेराबंदी के लिए तब उकसाया, जब वहां इलेक्टोरल कॉलेज के मतों की गिनती चल रही थी और लोगों के धावा बोलने की वजह से यह प्रक्रिया बाधित हुई। इस घटना में एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हो गई।
प्रतिनिधि सभा में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद अब सबकी नजरें सीनेट पर हैं। अगर यहां भी प्रस्ताव पास हो जाता है, तो डोनाल्ड ट्रंप को तय समय से पहले ही राष्ट्रपति का पद छोड़ना होगा। लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन नेताओं के पास 50 के मुकाबले 51 का मामूली अंतर से बहुमत है। सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए दो तिहाई सदस्यों के मतों की आवश्यकता होती है।
गौरतलब हो कि इससे पहले भी प्रतिनिधि सभा ने 18 दिसंबर, 2019 को भी डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के आरोप को पारित किया था, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के नियंत्रण वाले सीनेट ने फरवरी 2020 में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था। उस दौरान आरोप लगाए गए थे कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पर दबाव डाला कि वे जो बाइडन और उनके बेटे के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के दावों की जांच करवाए।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »