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केंद्र सरकार ने टैगोर पुरस्कार 2020 के लिए प्रदेश सरकार से मांगे नामों की अनुशंसा

Tagore Award for Cultural Harmony

मुख्यमंत्री से वर्ष 2020 के लिये पुरस्कार विजेता की पहचान प्रक्रिया में सहयोग करने का अनुरोध किया 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। भारत सरकार के वर्ष 2020 के ‘‘सांस्कृतिक सद्भाव के लिये टैगोर पुरस्कार’’ हेतु प्रदेश सरकार से अपनी अनुशंसा भेजने की अपेक्षा की है। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को प्रदेश स्तर पर पुरस्कार के लिए पात्रता, पहचान एवं प्रक्रियाओं के निर्धारण आदि के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं।
इस पुरस्कार से सम्बन्धित बिंदुओं की जानकारी केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र को प्रेषित पत्र में दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री से वर्ष 2020 के लिये पुरस्कार विजेता की पहचान प्रक्रिया में सहयोग करने का अनुरोध किया है।
केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री ने मुख्यमंत्री से अपेक्षा की है कि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की 150 वीं जयन्ती के स्मरणोत्सव के रूप में तथा उनके जीवन, कार्य और अग्रणी योगदान में फिर से रूचि जगाने के लिए, भारत सरकार ने सांस्कृतिक सद्भाव के मूल्यों को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2012 से ‘‘सांस्कृतिक सद्भाव के लिए टैगोर पुरस्कार’’ प्रारंभ किया है।
यह पुरस्कार वार्षिक रूप से प्रदान किया जाता है और इसमें भारतीय मुद्रा में एक करोड़ रुपये की समतुल्य राशि (विदेशी मुद्रा में परिवर्तनीय), स्क्रॉल में प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तशिल्प हथकरघा निर्मित वस्तु शामिल हैं। प्रत्येक वर्ष पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं का चयन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक विशिष्ट निर्णायक समिति द्वारा किया जाता है।
यह वार्षिक पुरस्कार व्यक्तियों, संघों, संस्थाओं या संगठनों को सांस्कृतिक सद्भाव के मूल्यों को बढ़ावा देने में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जात-पात, मजहब या स्त्री-पुरूष का भेद किए बिना सभी व्यक्तियों के लिए है।
सामान्य रूप से, नामंकन से तत्काल पहले के 10 वर्षों के दौरान किए गए योगदान पर विचार किया जाता है। पहले के ऐसे योगदान जिनकी महत्ता हाल ही में ज्ञात हुई हो, उन पर भी विचार किया जा सकता है। विचारार्थ पात्र होने के लिए कोई लिखित कृति तभी पात्र होगी जब उसका प्रकाशन विगत 10 वर्षों के दौरान किया गया हो।

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