क्या स्वास्थ्य सचिव कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए सुविधाओं और व्यवस्थाओं के बारे में नहीं बताना चाहते
मीडिया से बात न करें, पर जनता तक तो अपडेट पहुंचा सकते हैं स्वास्थ्य सचिव
अन्य राज्यों से लोगों के आने से उपजी स्थितियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की कार्ययोजना को लेकर कोई बात नहीं की गई
राज्य के पर्वतीय जिलों में कोविड-19 की काफी कम सैंपलिंग को लेकर चिंता पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई जानकारी सामने नहीं आई
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। कोरोना संक्रमण के नौवें सप्ताह ने सुखद संकेत की ओर इशारा नहीं किया। अभी तक हालात पर क्या कुछ कदम स्वास्थ्य विभाग ने उठाए हैं और क्या योजनाएं हैं, विभागीय व्यवस्थाओं और संसाधनों का क्या अपडेट है, पर उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने एक दिन भी मीडिया से बात नहीं की। भले ही मीडिया से बात न करें, लेकिन उत्तराखंड की जनता को अपडेट तो करा सकते हैं। क्या स्वास्थ्य सचिव कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाओं और व्यवस्थाओं के बारे में नहीं बताना चाहते।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए विभिन्न माध्यमों से उत्तराखंड की जनता से संवाद बनाए हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करते रहे हैं। राज्य में कोरोना संक्रमण के अपडेट को भी मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर लोगों से साझा किया और कई बार तो अपनी बात भी जनता के सामने वीडियो के माध्यम से रखते रहे हैं, वह चाहे सोशल मीडिया का ट्विटर हो या फेसबुक लाइव मुख्यनमत्रीं ने संक्रमण काल के दौरान हमेशा जनता से संपर्क बनाकर रखा।
मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक ने भी कोविड 19 से निपटने के तमाम इंतजामों पर चर्चा की। राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, संय़ुक्त सचिव लव अग्रवाल, ऋषिकेश एम्स के निदेशक प्रो. रविकांत मीडिया को लगातार अपडेट करते रहे हैं।
राज्य के पर्वतीय जिलों में कोविड-19 की काफी कम सैंपलिंग को लेकर चिंता जताई जा रही है। ऐसा किस वजह से हो रहा है, इस पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई जानकारी सामने नहीं आई है। कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें कहा गया कि दो माह हो गए, लेकिन पर्वतीय जिलों उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, पौड़ी गढ़वाल, चंपावत, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, बागेश्वर, चमोली व पिथौरागढ़ में सैंपल टेस्टिंग की संख्या बहुत कम है।
रिपोर्ट में बताया गया था कि इन जिलों में कुुल मिलाकर 749 सैंपल भेजे गए। रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि सैंपलों की संख्या बढ़ने से मरीजों का आंकड़ा बेशक बढ़ सकता है, लेकिन हम बड़ी आबादी को प्रभावित होने से बचा सकते हैं। कम टेस्ट होने का खतरा यह है कि कोई संक्रमित अनजाने में बीमारी फैला सकता है।
उत्तराखंड में अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोगों के आने से कोरोना संक्रमण के केस बढ़ रहे हैं। बाहरी राज्यों से ट्रैवल करके आए कुछ लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। नौवें सप्ताह (10 मई से 16 मई) में कोरोना के अभी तक के सप्ताहों की तुलना में सर्वाधिक 21 मामले सामने आए।
इन सबसे बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग की कार्ययोजना को लेकर कोई बात नहीं की गई। नियंत्रण से लगभग बाहर जाती स्थिति को संभालने के लिए ढांचागत व्यवस्थाओं और जरूरी संसाधनों की स्थिति, बाहर से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग व उनके स्वास्थ्य परीक्षण से लेकर क्वारान्टाइन की मॉनिटरिंग पर स्वास्थ्य सचिव ने कोई अपडेट उपलब्ध नहीं कराया।
अब सवाल यह उठता है कि क्या स्वास्थ्य सचिव के पास कोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए राज्य स्तरीय प्रयासों पर कुछ बताने के लिए नहीं हैं या फिर वो जनता से संवाद बनाना ही नहीं चाहते। या वे जनता या पत्रकारों को फेस करने से डरते है। जबकि सूबे में चर्चाएं आम हैं कि नितेश झा बहुत ही नकचढ़े और स्वभाव के व्यक्ति हैं और उनके व्यवहार से एरोगेंसी भी साफ़ झलती है और उनमें जनता या पत्रकारों को फेस करने का तजुर्बा नहीं है। यही कारण है कि कभी अपर सचिव युगल किशोर पंत तो कभी सचिव पंकज पांडेय ही जानकारियों को देने के लिए आगे आते रहे हैं।
हालात यह भी हैं कि स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर कोविड-19 का अपडेट समय पर नहीं मिल पा रहा है। 15, 16 व 17 मई के हेल्थ बुलेटिन के लिंक तो उपलब्ध हैं, लेकिन पीडीएफ खुल नहीं रही।देखें स्क्रीन शॉट
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