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सरकार के फैसले से राजी नहीं केदारनाथ से जुड़े लोग : पूर्व निर्धारित तिथि पर ही खुलेंगे मंदिर के कपाट
सतपाल महाराज की घोषणा से केदारनाथ से जुड़े लोगों में आक्रोश व्याप्त
केदारनाथ मंदिर के सम्बंध में टिहरी महाराज का हस्तक्षेप क्यों?
Outrage among people associated with Kedarnath due to the announcement of Satpal Maharaj. Why Tehri Maharaj intervened in relation to Kedarnath temple?
केदारनाथ धाम यात्रा तिथि में बदलाव नहीं, 29 अप्रैल को ही खुलेंगे कपाट
देहरादून । केदारनाथ धाम के कपाट पूर्व निर्धारित तिथि 29 अप्रैल को सुबह छह बजकर दस मिनट पर ही खुलेंगे। लॉकडाउन के बीच केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुये बदरीनाथ धाम के कपाट 30 अप्रैल के बजाय 15 मई को खोलने का फैसला लिया गया है। इसके बाद केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि में भी परिवर्तन होने की बात सामने आई थी, 14 मई का दिन तय भी किया गया था लेकिन मंगलवार को बाबा केदार के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में केदारनाथ के वेदपाठी, पुजारी, हक-हकूकधारी और मंदिर समिति के अधिकारियों की मौजूदगी में बैठक में पूर्व तिथि पर ही सहमति बनी।
बैठक में केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि में कोई परिवर्तन न करने का फैसला लिया गया। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के मौके पर रावल भी धाम में मौजूद रहेंगे। होम क्वारंटाइन किये गये रावल का स्वास्थ्य ठीक होने के चलते उन्हें केदारनाथ जाने दिया जाएगा और उनकी मौजूदगी में कपाट खोले जाएंगे।
देवस्थानम बोर्ड सीईओ बीडी सिंह ने बताया कि बैठक में लिये गये निर्णयानुसार 29 अप्रैल को सुबह छह बजकर दस मिनट पर ही केदारनाथ के कपाट खोले जाएंगे। इस संबंध में मंगलवार केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में गणना की गई और बैठक में तय हुआ कि पूर्व निर्धारित तिथि पर ही केदारनाथ के कपाट खोले जाएंगे। बताया गया कि बैठक में तीर्थ-पुरोहितों ने कपाट खुलने के समय में बदलाव का पुरजोर विरोध किया।
सूत्रों के अनुसार बैठक में तीर्थ-पुरोहितों ने दो तर्क दिए। पहला ये कि केदारनाथ धाम में पहले भी तीर्थ-पुरोहित ही कपाट खुलने की मुख्य पूजा करते रहे हैं। वहीं दूसरा तर्क यह था कि कपाट खुलने की तिथि या लग्न बदलना शुभ नहीं होता। बैठक में ये बात भी सामने आई कि अगर, केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि में बदलाव होता है, तो इससे द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर और तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि में भी बदलाव करना पड़ेगा, जो कि पहले से ही क्रमशः 11 मई व 20 मई के लिए तय की गई हैं।
रमेश गैरोला ”पहाड़ी”
देहरादून : सरकार द्वारा कोरोना संकट के चलते केदारनाथ-बदरीनाथ मंदिरों के कपाट 15 दिन बाद खोलने के निर्णय से केदारनाथ मंदिर से जुड़े लोग सहमत नहीं हैं और उन्होंने पूर्व निर्धारित तिथि 29 अप्रैल को ही तय मुहूर्त्त पर कपाट खोलने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि उत्तराखण्ड सरकार ने बिना स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए एकतरफा निर्णय लिया है और परम्पराओं की अनदेखी की है। इसलिए वे परम्पराओं का पालन करते हुए ही मंदिर के कपाट खोलेंगे और उसमें किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री और राजपरिवार के महाराज की टेलीफोनिक वार्ता में केदारनाथ मंदिर का कहीं भी नहीं था उल्लेख
बीते दिन अर्थात 20 अप्रैल 2020 को राज्य के पर्यटन व धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने दोपहर में एकाएक घोषणा की कि कोरोना त्रासदी के चलते टिहरी महाराज ने बदरीनाथ व केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि 15 दिन आगे सरका दी है और अब केदारनाथ मंदिर के कपाट 14 मई और बदरीनाथ के 15 मई 2020 को पूजन के लिए खोले जायेंगे। इस पर सम्बंधित लोगों में तीखी प्रतिक्रिया हुई कि क्योंकि केदारनाथ मंदिर की व्यवस्था में राजाओं का कोई हस्तक्षेप कभी भी नहीं रहा है। मुख्यंमत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और राज परिवार के महाराज मनुजेंद्र शाह के बीच हुई टेलीफोनिक वार्ता में केदारनाथ मंदिर का कहीं भी उल्लेख नहीं था।
सतपाल महाराज ने इसमें केदारनाथ को भी जोड़ कर इसे बना दिया विवादित जानिए क्या बोले थे सतपाल महाराज …..
https://youtu.be/oLnXMCQ8pYU