UTTARAKHAND

COVID-19 : केंद्र उठाएगा कोरोना से जंग का पूरा खर्च

केंद्र सरकार  ने किया 415 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा

 अपनी-अपनी जरूरतें बताने को राज्यों को निर्देश 

कोरोना संक्रमणः रोकथाम और बचाव में लगे कर्मचारियों व अधिकारियों को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय 

जीवन क्षति की स्थिति में  उनके आश्रित को मुख्यमंत्री राहत कोष से सीधे दस लाख रुपये की राहत सम्मान राशि

मानवता को बचाने के लिए सब कुछ करेगा भारत : मोदी

कोरोना महामारी में संजीवनी समझी जाने वाली हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन के निर्यात की मंजूरी देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के धन्यवाद के जवाब में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, भारत कोविड-19 से लड़ाई में मानवता की मदद के लिए हरसंभव मदद करेगा। भारत ने दूसरे देशों को एचसीक्यू की आपूर्ति शुरू कर दी है।

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नई दिल्ली : कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज और इससे निपटने की तैयारियों का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। इसके लिए केंद्र ने राज्यों के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का एलान किया है। राज्य सरकारें इस फंड का इस्तेमाल एन-95 मास्क , वेंटिलेटर, पीपीई, एंबुलेंस और दवाइयां खरीदने से लेकर अस्पतालों और टेस्टिंग लैब के साथ अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के उन्नयन के लिए कर सकती हैं।

स्वास्थ्य मंत्रलय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, यह कोरोना के खतरे से निपटने के लिए राज्यों को दिया जाने वाला 100 फीसद केंद्रीय सहायता का पैकेज है। यानी इस फंड के इस्तेमाल के लिए राज्यों को अपनी तरफ से कोई धन नहीं देना पड़ेगा। कई योजनाओं में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी तय होती है, जिसके अनुसार राज्य अपने हिस्से का धन देने के बाद ही केंद्रीय फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अग्रवाल ने कहा, गुरुवार को ही सभी राज्यों को इस पैकेज के बारे में बता दिया गया है और कोरोना से निपटने के लिए उन्हें अपनी-अपनी जरूरतें बताने को कह दिया गया है। तैयारियों में मदद के लिए केंद्र की ओर से विशेषज्ञों की 10 टीमें नौ राज्यों में भेजी गई हैं।स्वास्थ्य मंत्रलय के अनुसार इस पैकेज में से लगभग आधे 7,774 करोड़ रुपये का इस्तेमाल राज्य सरकारें तत्काल कोरोना से लड़ने के लिए आपातकालीन सेवाओं पर कर सकती हैं। शेष राशि का इस्तेमाल एक से चार साल के बीच राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर आधारभूत संरचना तैयार करने पर किया जाएगा।

पैकेज का उद्देश्य यह है कि धन के अभाव में किसी भी राज्य में कोरोना के मरीजों के इलाज में कोई कमी नहीं रहे और इसके फैलने से रोकने की तैयारियों पर कोई असर नहीं हो। लेकिन इसका दूरगामी उद्देश्य राज्यों में अस्पतालों और लैबोरेटरी समेत स्वास्थ्य सेवाओं की ऐसी आधारभूत संरचना का निर्माण करना है ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं से आसानी से निपटा जा सके।

गौरतलब हो कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को ही एलान किया था कि केंद्र सरकार कोरोना से लड़ाई के लिए 15 हजार करोड़ रुपये से इसकी टेस्टिंग से लेकर इलाज तक पूरी संरचना का निर्माण करेगी।लव अग्रवाल के अनुसार इस फंड का उपयोग राज्य सरकारें कोरोना से लड़ने के लिए सभी जरूरी चीजों के लिए कर सकती हैं। राज्य सरकारें इससे पीपीई, एन-95 मास्क, वेंटिलेटर या कोई और अन्य सामान खरीद सकती हैं। साथ ही वे सामुदायिक निगरानी के लिए भी इस फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं। अस्पतालों के उन्नयन और एंबुलेंस खरीदने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

devbhoomimedia

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