UTTARAKHAND

टेंडर में अनियमितता पर नपे लोकनिर्माण विभाग के दो इंजिनियर

जिलाधिकारी के निर्देश ताक पर रखते हुए कर दिया था सड़क का काम शुरू 

अभियंताओं ने जांच के दौरान ही निर्माण की निविदा स्वीकृत करने और शुरू की अनुबंध की कार्रवाई 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून: लोक निर्माण विभाग, प्रांतीय खंड उत्तरकाशी के अधिशासी अभियंता वीरेंद्र सिंह पुंडीर और अधीक्षण अभियंता जेपी गुप्त को टेंडर कार्यो में की गई लापरवाही की जांच पूरी होने पर निलंबित कर दिया है। चर्चा है कि इन दोनों अभियंताओं ने टेंडर से पूर्व ही निर्माण कार्य शुरू करा दिया था जबकि टेंडर प्रक्रिया बाद में शुरू की गई शासन से दोनों अभियंताओं को लोनिवि मुख्यालय, पौड़ी से संबद्ध कर दिया है।  

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी उत्तरकाशी को मिली एक शिकायत के आधार पर एक जांच कमेटी  बनाई गयी थी जिसकी रिपोर्ट पर यह कार्रवाही की गई है। उत्तरकाशी के डुंडा-देवीधार से खट्टूखाल मोटर मार्ग के निर्माण की निविदाओं में बरती गई अनियमितताओं के संबंध में जांच में यह पाया गया कि निविदा खुलने के बाद निविदाओं में शिथिलता बरती गई।

इतना ही नहीं,जांच में पाया गया कि निविदा में दी गई शर्तो का भी पूरा अनुपालन नहीं किया गया था। इन अनियमितताओं के सामने आने के बाद जिलाधिकारी, उत्तरकाशी ने नवंबर 2019 ने निविदा संबंधी पूरी पत्रावली उपलब्ध कराने और जांच पूरी होने तक अग्रिम कार्यवाही रोकने के निर्देश दिए थे। इसके बाद 24 दिसंबर 2019 को जिलाधिकारी ने मामले में निविदा प्रक्रिया निरस्त करने के निर्देश दिए।

इसी दौरान अपर जिलाधिकारी ने डुंडा-देवीदार-खट्टूखाल मार्ग का औचक निरीक्षण किया तो पाया कि यहां मार्ग कटिंग का काम शुरू हो चुका था। वहीं 26 दिसंबर को लोनिवि ने जिलाधिकारी से कटिंग से होने वाले मलबे के निस्तारण के लिए डंपिंग यार्ड बनाने की अनुमति मांगी, जबकि 24 दिसंबर को प्रशासन ने निविदा निरस्त करने के निर्देश दिए थे। इतना ही नहीं विभागीय अधिकारियों ने जांच समिति को निर्देशों के बावजूद अभिलेख भी उपलब्ध नहीं कराए।

शासन ने निदंनीय बताते हुए पूरी प्रक्रिया को संदेहास्पद करार दिया है। शासन ने पूरे प्रकरण को गंभीर बताते हुए इसे कर्मचारी आचरण नियमावली का भी उल्लंघन बताया है। आरोप है कि दोनों अभियंताओं ने जांच के दौरान ही निर्माण की निविदा स्वीकृत करने और अनुबंध की कार्रवाई को पूरा कर डाला जबकि नियमानुसार जांच के बाद यह सब कार्रवाही नहीं की जानी चाहिए थी और टेंडर प्रक्रिया को ही स्थगित कर देना चाहिए था। 

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