ग्रामीणों सहित देवी देवताओं को भी एसडीआरएफ करवा रही नदी-नाले पार
- नंदा देवी की डोली को बरसाती नदी में रस्सियों के सहारे किया पार
गोपेश्वर : उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थानीय लोगों को बरसात के दौरान उफानाये नदी नालों को आमजन के साथ-साथ भगवान और भक्तों को भी पार करना पड़ रहा है। यह सब पिछली बरसात के दौरान नाले पर बने पुल के बहने के कारण हो रहा है। लगता है जिला प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना के इंतज़ार में है,हालाँकि यह वाकया चमोली जिले का है लेकिन आपदा के गुजरे पांच साल बाद भी उत्तराखंड के चमोली सहित रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, टिहरी, बागेश्वर और पिथौड़ागढ़ जिलों की भी कमोवेश यही स्थिति है। जहाँ ग्रामीण जान हथेली पर लेकर ऐसे नदी-नाले पार करने पर मज़बूर हैं। बीते दिन चमोली जिले में माँ नंदा देवी की डोली को रस्सियों के सहारे इसी तरह नदी पार कराई गई।
नंदा देवी लोकजात के दौरान हो रही बारिश से गदेरे (बरसाती नदी) उफान पर हैं, जिससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं नंदा पथ पर बारिश लगातार अवरोध खड़े कर रही है। बीते दिन स्यांरी बंगाली गदेरे के उफान पर आने के बाद देवी नंदा की डोली को ढाई घंटे तक रोका गया। हालांकि, बाद में एसडीआरएफ के जवानों ने रस्सियों के सहारे डोली समेत यात्रियों को गदेरा पार करवाया। इसके बाद ही यात्रा आगे बढ़ सकी।
चमोली जिले में आजकल माँ नंदा देवी लोकजात (यात्रा) चल रही है। देवी नंदा की डोली विभिन्न पड़ावों से होते हुए कैलास की ओर बढ़ रही है। सोमवार को लोकजात का पड़ाव भेंटी से स्यांरी होते हुए बंगाली गांव में था। भेंटी में धियाणियों व ग्रामीणों से विदा लेकर से नंदा की डोली स्यांरी गांव पहुंची।यहां ग्रामीणों ने जागरों के साथ डोली की आगवानी की। इसके बाद डोली स्यांरी से बंगाली गांव की ओर बढ़ी, लेकिन दोनों गांवों के बीच बरसाती गदेरे के उफान पर होने के कारण डोली को करीब ढाई घंटे वहां रुकना पड़ा।
जिस नाले से देवी की डोली को जान हथेली पर रखकर एसडीआरएफ के जवानों ने नाला पार करवाया वहां इस गदेरे पर बना पुल दो माह पूर्व बह गया था। ग्रामीण तब से लगातार पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं। लोकजात आयोजन की तैयारी बैठक में भी उन्होंने प्रशासन के समक्ष गदेरे पर पुल बनाने की मांग उठाई थी। मगर, प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
जब डोली यहां से आगे नहीं बढ़ पाई, तब एक बार फिर प्रशासन से मदद मांगी गई। एसडीआरएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर रस्सियों के सहारे देवी नंदा की डोली व यात्रियों को सुरक्षित पार उतारा। तब जाकर डोली रात्रि विश्राम के लिए बंगाली गांव पहुंच पाई। नंदा देवी के पुजारी मंशाराम गौड़ ने बताया कि नंदा पथ जगह-जगह क्षतिग्रस्त है। कई स्थानों पर पुल न होने के कारण गदेरों को पार करने में खासी दिक्कतें पेश आ रही हैं।