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रोल बैक करते हुए सरकार ने किया आबकारी नीति में संशोधन

  • आबकारी नीति पर हुई छिछालेदारी के बाद किया रोल बैक 

देहरादून : राज्य कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक में सरकार ने एक बार फिर आबकारी नीति पर हो रही  फजीहत के बाद रोल बैक करते हुए आबकारी नीति में संशोधन का निर्णय किया। सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि केवल दो ही बिंदु कैबिनेट के समक्ष चर्चा के लिए लाए गए। अब चार दुकान की समूह व्यवस्था ख़त्म कर पुरानी व्यवस्था लागू की जा रही है। बार लाइसेंस प्रतिवर्ष के बजाय अब 3 वर्ष के लिए दिए जाएंगे, लेकिन फीस हर साल देनी होगी।

20 से कम कमरों के होटल एवं रेस्टोरेंट बार की फीस 03 लाख रुपये की गई है। पहले यह फीस पांच लाख रुपये। डीपार्ट्मेंटल स्टोर के लिए लाइसेंस फीस तीन से पाँच लाख रुपये की गई है। इनके वार्षिक टर्नओवर की सीमा पांच करोड़ से 50 लाख की गई। बार के नवीनीकरण में पक्के भोजन की बिक्री 12 लाख से घटाकर 10 लाख रुपये की गई। आयुष विभाग को लेकर भी फैसला हुआ। आयुर्वेद यूनिवर्सिटी खुद से गुरुकुल और ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज को लेकर निर्णय करेंगे।

मंत्रिमंडल की बैठक में यह तय किया किया गया कि बीते वर्ष 2017-18 की व्यवस्था के मुताबिक ही समूह के बजाय एकल दुकान का आवंटन किया जाएगा। वहीं 20 कमरों तक के होटल व रेस्टोबार की लाइसेंस फीस पांच लाख से घटाकर तीन लाख की गई है। साथ में लाइसेंस एक साल के बजाय तीन साल के लिए मिल सकेगा, लेकिन लाइसेंस फीस हर वर्ष जमा की जाएगी।

सचिवालय में शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में करीब दो घंटा चली बैठक में महज दो बिंदुओं पर फैसला लिया गया। मंत्रिमंडल में चर्चा अधिकतर नई आबकारी नीति में संशोधन पर केंद्रित रही। दरअसल बीती 12 मार्च को मंत्रिमंडल की बैठक में नई आबकारी नीति पर मुहर लगाई गई थी। इसके बाद बीती 19 मार्च को सरकार ने उक्त नीति की अधिसूचना भी जारी कर दी थी। मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ करते हुए सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि मंत्रिमंडल ने नई आबकारी नीति में चार अहम बिंदुओं पर संशोधन को मंजूरी दी। 20 किमी के दायरे में चार दुकानों को समूह बनाकर आवंटित किए जाने की व्यवस्था में तब्दीली करते हुए पिछले साल की व्यवस्था को बहाल करने का निर्णय लिया गया। दरअसल चार दुकानों के समूह बनाकर आवंटित किए जाने के फैसले के बाद मदिरा की दुकानों पर माफिया के वर्चस्व का खतरा मंडराने लगा था। वहीं स्थानीय लोगों के दुकानों के आवंटन की दौड़ में पिछडऩे का अंदेशा जताया जाने लगा था। इसे देखते हुए अब एकल दुकान आवंटन व्यवस्था लागू करने पर मुहर लगाई गई।

वहीं नई नीति में 20 कमरों तक के होटल व रोस्टोबार की लाइसेंस फीस पांच लाख तय की गई थी, इसे घटाकर अब तीन लाख करने का निर्णय लिया गया है। होटल व रेस्टोबार पर ये मेहर भी बरसी कि उन्हें अब लाइसेंस लेने के लिए हर साल एडिय़ां नहीं रगडऩी पड़ेंगी। लाइसेंस तीन साल के लिए मिल सकेगा। वहीं तीन साल की फीस एकमुश्त जमा कराई गई तो उस पर दस फीसद छूट देने पर सहमति दी गई।

इसीतरह डिपार्टमेंटल स्टोर के लिए लाइसेंस फीस तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख करने और डिपार्टमेंटल स्टोर में अन्य उत्पादों की कुल बिक्री का टर्नओवर पांच करोड़ से हटाते हुए केवल नए लाइसेंस व भविष्य में नवीनीकरण के लिए 50 लाख रुपये तय किया गया है। अभी तक राज्य में 17 डिपार्टमेंटल स्टोर ने ही लाइसेंस लिया है। उक्त फैसले के बाद बाद अपेक्षाकृत छोटे डिपार्टमेंटल स्टोर भी मदिरा बिक्री का लाइसेंस लेने को प्रोत्साहित हो सकेंगे।

बार लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए बीते वर्ष के पके भोजना की बिक्री की सीमा 12 लाख से घटाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है। इसके अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी व एमजीडी (न्यूनतम जमानत राशि) से संबंधित एक्स डिस्टलरी प्राइस (ईडीपी) के स्लैब में भी आंशिक संशोधन को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है।

मंत्रिमंडल ने हरिद्वार जिले के राजकीय ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में वर्ष 2016-17 में एमडी और एमएस पाठ्यक्रमों में स्ववित्तपोषित कोटे में दाखिल छात्र-छात्राओं को भी राहत देते हुए राज्य कोटे में दाखिल अभ्यर्थियों के समान स्टाइपेंड देने का निर्णय लेने को आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय को अधिकृत किया गया। इन अभ्यर्थियों ने जब दाखिला लिया था, तब उक्त पाठ्यक्रमों को स्ववित्तपोषित घोषित नहीं किया गया था। लिहाजा उक्त छात्रों में इसे लेकर असंतोष था।

कैबिनेट फैसले:

-मंत्रिमंडल ने नई आबकारी नीति में महज 20 दिन बाद ही किया संशोधन

-बीते वर्ष की तरह अब मदिरा की एकल दुकानों का ही होगा आवंटन

-होटल व रेस्टोबार को राहत, लाइसेंस फीस पांच लाख से घटाकर तीन लाख रुपये

-होटल व रेस्टोबार को हर साल नहीं लेना होगा लाइसेंस, तीन साल के लिए आवंटन

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