लैंसडौन तहसील को पौड़ी जनपद में नहीं समझता खनन विभाग !
- खनन विभाग ने जनपद के अभ्यर्थियों के ही आवेदन कर दिए खारिज
- नयारनदी के खनन लौट जनपद से बाहर के व्यक्तियों को देने की तैयारी
- मुख्यमंत्री के जीरो टौलरेंस के दावों को विभाग कर रहा कमजोर
अजय अजेय रावत, पौड़ी
जनपद पौड़ी गढ़वाल की नयार नदी पर स्थित करीब आधा दर्जन खनन लौट के आवंटन के लिए गत माह खनन महानिदेशालय द्वारा विज्ञप्ति जारी की गई थी, विज्ञप्ति में साफ साफ उल्लेख किया गया था कि इस हेतु जनपद के स्थाई निवासियों को ही तरजीह दी जाएगी। इन सभी लौटों के लिए जनपद के स्थाई निवासियों द्वारा बड़ी संख्या में नियमानुसार अपने मूल निवास प्रमाण पत्र सहित आवेदन डाले गए थे। लेकिन निदेशालय द्वारा एक मार्च को फरमान जारी कर दिया गया कि इस हेतु बोली दाता उपलब्ध न होने के कारण इन्हे अब उच्च वर्ग अथवा राज्य स्तरीय निवासियों हेतु पुनः आमंत्रित किया जाएगा। बड़ी संख्या में पौड़ी जनपद के निवासियों द्वारा आवेदन डाले जाने के बावजूद इसे उच्च वर्ग अथवा राज्य स्तर पर आवंटित करने के निदेशालय के फैसले से तय है कि अधिकारियों द्वारा अपने चहेते कारोबारियों को लाभ पहुंचाने की नीयत के चलते यह तुगलगी फैसला लिया गया है।
भूतत्व व खनिकर्म इकाई उद्योग निदेशालय देहरादून द्वारा गत माह पौड़ी जनपद की नयारनदी पर करीब छह लौटों पर खनन करने हेतु जनपद के स्थाई व्यक्तियों को वरीयता देने के प्रावधान के साथ विज्ञप्ति जारी की गई थी, इस विज्ञप्ति के विरुद्ध बड़ी संख्या में जनपद के मूल निवासी बोलीदाताओं द्वारा टैंडर भरे गए थे। लेकिन एक मार्च को निदेशालय द्वारा इन लाट हेतु जमा तमाम आवेदनों को बिना कारण बताए खारिज कर यह कह दिया गया कि कोई भी उपयुक्त बोलीदाता इस हेतु आर्ह नहीं पाया गया। साथ ही यह भी जोड़ दिया गया कि अब इन लौट का आवंटन उच्च वर्ग यानी कि राज्य स्तर के बोलीदाताओं के लिए जारी किया जाएगा। जबकि इन लौट के लिए जनपद के एक दर्जन से अधिक आवेदकों द्वारा आवेदन किए गए थे, आवेदनों में तय शुल्क के विधिवत ड्राफ्ट व मूल निवास के प्रमाण पत्र भी संलंग्न थे।
इस नदी के सरोड़ा स्थित खनन क्षेत्र के लिए आवेदन करने वाले जनपद पौड़ी गढ़वाल की लैंसडौन तहसील के बंदिला गांव के निवासी विनोद कुमार ने बताया कि उनके द्वारा तय समय पर इस हेतु आन लाइन आवेदन के साथ तय शुल्क भी जमा कर दिया गया था, लेकिन निदेशालय द्वारा इसे दरकिनार कर दिया गया। हालांकि उनके द्वारा इस हेतु प्रत्यावेदन भी खनन विभाग को दे दिया गया है, लेकिन खनन विभाग पर कुंडली जमाए बैठे अफसर इतनी मनमानी पर उतर आए हैं कि बिना किसी कारण के स्थानीय निवासियों के आवेदनों को खारिज कर रहे हैं। जाहिर है जनपद के मूल निवासियों के आवेदनों को खारिज करने के पीछे खनन महकमे के मठाधीष कोई नया खेल खेलने के फेर में हैं। इन छोटे लाट को भी अपने चहेतों के हवाले करने के लिए खनन नियमावली की धज्जियां उड़ाकर इन्हे बाहरी कारोबारियों को सौंपने की तैयारी विभाग के अधिकारी कर चुके हैं। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र के लोगों को दरकिनार कर इन लौट को नियमविरुद्ध बाहरी बड़े कारोबारियों को सौंपकर खनन महकमें के अफसरों द्वारा मुख्यमंत्री के जीरो टौलरेंस के दावों को कमजोर किया जा रहा है।
संलग्न :- खारिज किए गए दस्तावेज व आदेशों के छायाचित्र