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Tungnath: तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद

  • तीस अक्टूबर को तुंगनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल में होगी विराजमान

रुद्रप्रयाग । मध्य हिमालय स्थित पंचकेदारों में शामिल तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट विधि-विधान पूर्वक शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिये चोपता पहुंचेगी और तीस अक्टूबर को शीतकालीन गददीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी। इसके बाद अगले छह माह भगवान तुंगनाथ अपने शीतकालीन प्रवास मक्कूमठ में भक्तों को दर्शन देंगे। 

कपाटबंदी के समय भगवान तुंगनाथ के मंदिर में श्रद्धालुओं की सुबह से भीड़ रही। पूजा अर्चना के बाद सुबह करीब 10.30 बजे विधि- विधान पूर्वक मंदिर के कपाट बंद कर दिए। 

इसके साथ ही तुंगनाथ जी की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ के लिए रवाना हुई। इस अवसर पर श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के सदस्य शिव सिंह रावत, कार्याधिकारी अनिल शर्मा, मठापति रामप्रसाद मैठाणी, प्रबंधक प्रकाश पुरोहित, आचार्य माहेश्वर मैठाणी, भारत भूषण मैठाणी सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।  

आज डोली प्रथम पड़ाव चोपता पहुंचकर विश्राम करेगी। कल 28 अक्टूबर को भनकुन, 29 अक्टूबर को गद्दीस्थल मक्कूमठ पहुंचेगी। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि डोली के पहुंचने के पश्चात मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में भगवान तुंगनाथ जी की शीतकालीन पूजा शुरू होगी। 

इससे पहले बीते दिन मंदिर समिति के अधिकारियों ने बताया था कि पंच केदारों में तृतीय केदार के रूप में विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट शुक्रवार को साढ़े दस बजे शीतकाल के लिये बंद किये जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिये चोपता पहुंचेगी और तीस अक्टूबर को शीतकालीन गददीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी।

तुंगनाथ धाम के प्रबंधक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि शुक्रवार को पंच केदार में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट सुबह साढ़े दस बजे छह माह के लिये बंद होंगे। कपाट बंद होने से पूर्व भृंगराज, भष्म, ब्रम्हकमल सहित विभिन्न पूजार्थ सामाग्रियों से भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को समाधि दी जायेगी और भगवान तुंगनाथ छह माह विश्व कल्याण के लिये तपस्यारत हो जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली तुंगनाथ धाम से रवाना होकर यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुये प्रथम रात्रि प्रवास को चोपता पहुंचेगी।

28 अक्टूबर को चोपता से प्रस्थान कर बनियाकुंड, दुगलविटटा, मक्कूबैंड होते हुये हुडडगू गांव पहुंचेगी और वनातोली में हुडडु व कांडा के ग्रामीणों द्वारा भगवान तुंगनाथ को सामूहिक अर्घ्य लगाया जायेगा और डोली दो रात्रि प्रवास के लिये भनकुंड पहुंचेगी। 30 अक्टूबर को भगवान तुंगनाथ की डोली भनकुंड से प्रस्थान कर राकसी नदी पहुंचेगी और गंगा स्नान कर शीतकालीन गददीस्थल मक्कूमठ के लिये रवाना होगी। लगभग दोपहर दो बजे डोली के मक्कूमठ पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ शीतकालीन गददीस्थल में विराजमान होंगे।

devbhoomimedia

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