POLITICS

आपदा की आड़ में राजनीति नहीं की जानी चाहिए : डा. हरक

मुस्तैदी से राहत कार्य में जुटा है जिला प्रशासन

आपदा में राजनीति की बजाय जनसेवा को लक्ष्य बनायें

कोटद्वार। कैबिनेट मंत्री व कोटद्वार विधायक डाॅ. हरक सिंह रावत ने आपदा की आड़ में राजनीति करने वालों को कड़ी नसीहत देते हुये कहा है कि कोटद्वार में  आई भीषण आपदा ने पीड़ितों को गहरे जख्म दिये हैं  उनकी मदद करने की बजाय आपदा की आड़ में राजनीति नहीं की जानी चाहिए। बल्कि सभी सामाजिक संगठनों, कार्यकर्ताओं व क्षेत्रीय जनता को भी आपदा की इस विकट घड़ी में एकजुट होकर राहत कार्यों में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति केवल चुनाव तक ही सीमित रहनी चाहिए। आपदा की इस घड़ी में केवल पीड़ितों की सेवा ही मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। राजनीति के लिए बहुत से अवसर बाकी हैं।

मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने दावा किया है कि प्रशासन व सभी विभागीय अधिकारी युद्ध स्तर पर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में मुस्तैदी के साथ जुटे हुये हैं। बाढ़ पीड़ित मृतकों के परिवारों को मुआवजे के तौर पर चार-चार लाख रूपये के चैक दिये जा चुके हैं। सभी प्रभावितों की सूची बनाकर उन्हें फौरी राहत हेतु अनुग्रह राशि के चैक वितरित करने का कार्य प्रगति पर है। अभी तक 850 से अधिक परिवारों को राहत के चैक बांटे जा चुके हैं। प्रभावित शरणार्थियों के भोजन के लिये धर्मशाला व स्कूलों में लंगर की व्यवस्था की गई है। प्रशासन व स्वयं मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत की ओर से भेजी गई राहत सामग्री को उनके जन सम्पर्क अधिकारी नरेन्द्र सेमवाल, सुमन कोटनाला, धीरेन्द्र चौहान, रश्मि राणा, भुवनेश खरक्वाल, सुरेन्द्र गुसांई, उनके मीडिया सचिव चन्द्रमोहन जदली, मुकेश नेगी, सुनीता देवी, सुभाष पाण्डेय व भाजपा पदाधिकारियों द्वारा निरन्तर प्रभावितों को वितरित की जा रही है , जिनमें कपड़े, कम्बल, बर्तन, खाद्य सामग्री आदि आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं ।

मंत्री के मीडिया सचिव चन्द्रमोहन जदली ने बताया कि आपदा की सूचना मिलते ही चम्पावत के दौरे में व्यस्त मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत तत्काल अपने समस्त तय कार्यक्रम रद्द करके देर रात तक कोटद्वार पहुंच गये थे। मंत्री ने बहुत ही कुशलता व तेजी के साथ स्थिति को संभाला। उन्होंने जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी, उपजिलाधिकरी, अपर पुलिस अधीक्षक सहित व वन-विभाग, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग, सिंचाई, पेयजल, जल संस्थान, आयुष व श्रम विभाग के शीर्ष अधिकारियों की बैठक कर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ितों को तुरन्त राहत देने, मलवा हटाने व संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए सुरक्षा उपाय करने के कड़े निर्देश दिये थे। मंत्री ने स्वयं भी लगातार चार दिनों तक कोटद्वार-भाबर के सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सघन दौरा कर गंभीरता के साथ पीड़ितों की समस्याओं को सुना व उनके निस्तारण हेतु विभागों को निर्देशित किया।

मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने रिफ्यूजी कालोनी, जानकीनगर, सूर्यानगर, कौड़िया, आमपड़ाव, सिताबपुर, मानपुर, कुंभीचैड़, सनेह, कोटड़ीढांग, सत्तीचैड़, मवाकोट, ग्वालगढ़, निम्बूचैड़, झण्डीचैड़ व सिगड्डी क्षेत्र का निरीक्षण कर बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लिया। उन्होंने सिंचाई विभाग के मुख्य अभियन्ता को मालन, सुखरौ व खोह नदियों का निरीक्षण कर उनके बीचों-बीच भारी गाद को निकालकर व उनके किनारों की सुरक्षा हेतु चैकडैम बनाकर उन्हें चैनेलाईज करने के निर्देश दिये। वन विभाग व सिंचाई विभाग को पनियाली स्रोत ग्वालगढ़ स्रोत, गिवंई सा्रेत गदेरे में बहकर आये टूटे पेड़ों के मलबे व गाद को साफ करने के साथ उनकी दीवारों की सुरक्षा प्रबन्ध के निर्देश भी दिये।

मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत ने अपने कार्यकर्ताओं को भी निर्देश दिये गये कि वे प्रशासन व विभागीय अधिकारियों के साथ बेहतर तालमेल बनाते हुये आपदा राहत कार्यों में उन्हें उचित सहयोग प्रदान करें। डाॅ0 रावत ने सभी सामाजिक संगठनों द्वारा दिये जा रहे राहत कार्यों का आभार जताते हुये कहा कि आपदा जैसे संवेदनशील अवसरों पर उनकी सक्रियता बेहद सराहनीय है।

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