बरसात और सड़कों पर गिर रहे पत्थरों ने रोकी चारधाम यात्रा की रफ़्तार
यात्रियों की संख्या में लगातार दर्ज हो रही गिरावट
देहरादून : उत्तराखंड में मानसून की बौछारों का असर चारधाम यात्रा पर भी पड़ा है। केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री की भांति बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब में यात्रियों की घटती संख्या इसे तस्दीक करती है। हफ्तेभर पहले बदरीनाथ धाम में जहां 4229 यात्री पहुंचे, वहीं यह संख्या घटकर तीन जुलाई को 1585 पर आ गई। दूसरी ओर, हेमकुंड साहिब में भी यात्रियों की संख्या में खासी गिरावट दर्ज की गई है।
लगातार हो रही बारिश के चलते बदरीनाथ राजमार्ग जगह-जगह मलबा आने से बाधित हो रहा है। दो दिन पहले यह मार्ग करीब साढ़े घंटे बंद रहा था। राजमार्ग के बंद होने व खुलने का क्रम जारी रहने से यात्रियों को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। परिणामस्वरूप बदरीनाथ धाम आने वाले यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। यही नहीं, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों की भी कमोबेश यही स्थिति है।
दूसरी ओर, सिखों के प्रमुख धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब में भी हफ्तेभर के भीतर यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट आई है। 27 जून को यहां 1774 यात्री पहुंचे थे, जिनका आंकड़ा घटकर तीन जुलाई को 520 पर आ गया। उधर, मौसम का जैसा रुख है, उसे देखते हुए आने वाले दिनों में यात्रियों की संख्या में और कमी आने का अंदेशा जताया जा रहा है।
वहीँ गंगोत्री हाईवे पर नालूपानी, चुंगी बड़ेथी व लालढांग डेंजर जोन में शामिल हैं। यहां तो स्थिति यह है कि बारिश होते ही इन दोनों स्थानों में पहाड़ी से पत्थर बरसने लगते हैं। जो पैदल चलने तथा वाहन चालकों के लिए बेहद ही खतरनाक हैं।
उत्तरकाशी जनपद आपदा से प्रभावित जनपद है। बाढ़, भूकंप, भूस्खलन जैसी आपदाओं ने यहां पूर्व में कहर बरपाया है। संवेदनशील स्थानों तथा सम्पर्क मार्गों पर तो खतरा है ही। इसके साथ हाईवे भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं।
गंगोत्री हाईवे पर धरासू से लेकर गंगोत्री तक 12 डेंजर जोन हैं, लेकिन तीन डेंजर जोन तो ऐसे हैं जहां बारिश शुरू होते ही पहाड़ी से पत्थर गिरने लगते हैं। इन डेंजर जोन में नालूपानी का करीब पांच सौ मीटर की क्षेत्र, चुंगी बडेथी का 150 मीटर का क्षेत्र तथा लालढांग का 100 मीटर का क्षेत्र अति संवेदनशील है।
हल्की की बारिश में यहां पत्थरों की बरसात शुरू हो जाती है। इन संवेदनशील स्थानों पर प्रशासन की ओर से कोई चेतावनी बोर्ड भी नहीं लगाया गया है। ऐसा नहीं है कि इन स्थानों पर हादसे नहीं हुए हैं। बड़ेथी के पास वर्ष 2015 में एक बाइक सवार के सिर पर पत्थर लगा था। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी।
नालूपानी के पास वर्ष 2015 में तीन कांवड़िये पत्थर की चपेट में आए थे। वहीं अपर जिलाधिकारी पीएल शाह ने बताया कि ऐसे डेंजर जोन पर साइन बोर्ड तो लगाए हैं। जहां बोर्ड नहीं लगे हैं वहां चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे।