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देहरादून: उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डाॅ. गीता खन्ना ने गिनाईं एक वर्ष की उपलब्ध्यिां

Chairperson of Uttarakhand Child Rights Protection Commission Dr. Geeta Khanna counted the achievements of one year

110 शिकायतों का किया निवारण, बाल श्रम कराने वाले 56 लोगों पर कराया मुकदमा

देहरादून: उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा० गीता खन्ना ने सोमवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में अपने एक वर्ष के कार्यकाल के अनुभवों, उपलब्धियों व चुनौतियों को मीडिया के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि आयोग के गठन को एक दशक बीत चुका है। इस बीच आयोग ने अपने आप को एक सशक्त बाल अधिकारों के पहरेदारों के रूप में साबित किया है। उन्होंने कहा कि आयोग के अध्यक्ष के नाते उनका उत्तरदायित्व है कि हर बच्चे को उनके अधिकारों के संरक्षण में अपना सारथी बनाना है।

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उन्होंने कहा कि हमने एक वर्ष के कार्यकाल में बहुत कुछ किया है। आयोग द्वारा सभी प्रादेशिक कार्यक्रमों और कार्यशालाओं में अपनी सकीय भागीदारी सुनिश्चित कर उत्कृष्ट कार्य किया गया। भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट और अन्य सभी शीर्ष द्वारा बुलाई गई बैठकों में हमने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है। उन्होंने कहा कि मुझे यह कहते हुये अत्याधिक प्रसन्नता है कि उत्तराखण्ड हाईकोर्ट की जुविनाईल जस्टीस कमेटी में अपना संवाद स्थापित कर हमारे अनुरोध में एक स्टेट स्टेकहोल्डर मीट की है और लगातार अभासी माध्यम से व प्रशासन और आयोग की मार्गदर्शन का कार्य कर रहें है।

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आयोग ने राष्ट्रीय स्तर पर बैठकों में भाग लेने के बाद उन बैठकों को मण्डलीय स्तर पर आयोजित किया है। भविष्य के दो वर्षो में हमारा उद्देश्य जिला एवं ब्लाक स्तर पर, पंचायत स्तर तक ले जाने का है।

डा. गीता खन्ना ने बताया कि गत वर्ष कुल 110 शिकायतों का निवारण किया गया है, जिनमें निजी विद्यालयों की फीस की समस्या, बच्चों के अधिकारों से सम्बन्धित समस्या तथा शिक्षा व बाल अधिकारों में प्रदान की जाने वाली सुविधाओं पर शिक्षा विभाग के साथ निरन्तर संवाद स्थापित कर इनको हल करने में प्रयास किये गये। शिक्षा मंत्री से बाल अधिकार संरक्षण आयोग में नोडल अधिकारी को नियुक्त करने की कार्यवाही गतिमान है, जिससे आयोग में शिक्षा से सम्बन्धित प्राप्त शिकायतों पर शीघ्र कार्यवाही की जा सके।

उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा राज्य के सभी जनपदों से प्राप्त शिकायतों के ससमय निस्तारण हेतु राज्य के सभी विभागों से सम्नवयन स्थापित करने के लिये समय समय पर आभासी माध्यम से बैठक आयोजित की जाती रही है। आयोग द्वारा अन्य सभी कामों के साथ राज्य के सभी प्राईवेट स्कूलों में निगरानी रखने के उद्देश्य से एक मॉनिटरिटी कमेटी बनाया जाना प्रस्तावित है।

अध्यक्ष डा. गीता खन्ना ने कहा कि उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा बच्चों से सम्बन्धित सभी दिवसों को एक सतत प्रक्रिया के माध्यम से मनाया जा रहा है। बालिका दिवस, राष्ट्रीय बालिका दिवस व चिल्ड्रन डे को आयोग द्वारा गत वर्ष में बहुत ही उच्च स्तर पर आयोजित किया गया, जिससे बच्चों को उनके अधिकारों व उनसे सम्बन्धित दिवसों की जानकारी प्राप्त हो सके।

बाल दिवस पर बाल अधिकारों से जुडी विभुतियों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिये मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया। आयोग द्वारा अंर्तराष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर बाल विधानसभा – 2022 का गठन किया गया, जिसमें राज्य के कुल 70 बाल विधायकों का चयन का उन्हें उत्तराखण्ड की राजनीति व विधानसभा की कार्यप्रणाली से रूबरू कराया गया, जिससे बच्चों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता व कर्त्वय निष्ठा जाग्रत की जा सके।

आयोग द्वारा आयोग बाल विधानसभा – 2022 में चयनित कुल 70 बाल विधायकों द्वारा अध्यक्ष डा० गीता खन्ना की अगुवाई में अपने क्षेत्र में बहुत ही सुन्दर व उत्कृष्ट कार्य का प्रर्दशन किया है, जैसे की स्कूलों में स्वच्छता संसाधन, सैनिटरी नेपकिन का निस्तारण, पानी की समस्या, बाल अधिकारों एवं शारिरीक ज्ञान जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे है ।

उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा प्लान इण्डिया, शिव नाडर संस्था, बचपन बचाओ आन्दोलन के सहयोग से बच्चों के हितों के लिये निरन्तर प्रयास जारी हैं तथा यूनिसेफ से अग्रिम कार्यावाही हेतु कार्यवाही गतिमान है। विद्याज्ञान के साथ सामन्जस्य स्थापित करते हुये बच्चों को स्कूलों में मुफ्त उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान किये जाने हेतु आयोग संकल्परत है।

इसके अलावा बाल श्रम उन्मूलन अभियान के तहत आयोग के निर्देशों पर डिस्टिक्ट टास्क फोर्स द्वारा रेस्क्यू करते हुये 111 बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा गया है व बाल श्रम कराने वाले कुल 56 पर शिंकजा कसते हुये एफआईआर की गई है।

उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के विनोद कपरवाण, दीपक गुलाटी, सुमन राय, धर्म सिंह द्वारा बाल ग्रहों, विद्यालयों, बाल मित्र पुलिसथानों तथा कोचिंग संस्थानों के निरंतर औचक निरीक्षण किये गये हैं।

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