HARIDWAR

स्वाधीनता के 75 वर्ष और मैं”विशेषांक का विमोचन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तराखंड के प्रचार विभाग के अन्तर्गत विश्व संवाद केंद्र देहरादून द्वारा नारद जयंती (पत्रिकारिता दिवस) का आयोजन किया गया।

विश्व संवाद केंद्र देहरादून द्वारा पाक्षिक रुप से प्रकाशित पत्रिका हिमालय हूंकार के विशेषांक “स्वाधीनता के 75 वर्ष और मैं” नामक शीर्षक के विमोचन के अवसर पर राज्यसभा सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर सुंधाशु त्रिवेदी जी के अत्यन्त प्रेरक राष्ट्रवादी विचारों को मुख्य वक्ता के रुप में सुनने का अवसर प्राप्त हुआ।
 कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुंधाशु त्रिवेदी जी ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता दिवस सृष्टि के आद्य पत्रकार नारद जयंती हिंदी मास के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया तिथि से मनाने की प्रथा है। देव ऋषि नारद जी एक जीते जागते एक ऐसे लोक हितेशी पत्रकार थे जो तीनों लोकों में घटित घटनाओं को पूर्व में ही आभास करा देते थे। दुर्भाग्य से आज समाज में देव ऋषि नारद जी की छवि को एक तमाशबीन छवि बना दी गई है।

पत्रकारों एवं सभागार में उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए राज्यसभा सांसद डाक्टर सुधांशू त्रिवेदी ने कहा कि सत्ता हस्तांतरण कर अंग्रेज़ों के चले जाने के बाद 2014 से पहले भारत में बनी सरकारों ने भी उसी परंपरा को जारी रखा। सेवा की प्रतिपूर्ति फ़्लोरेंस नाईटंगेल बनी, भाई कन्हैया नहीं जो बिना किसी भेदभाव के युद्ध क्षेत्र में सभी घायल सैनिकों को पानी पिलाते रहे। यह दो मात्र एक उदाहरण है, अन्यथा हर शिल्प कला के लोग जानते हैं कि आदर्श विदेशी हैं, अपने देश के नहीं। नाटक के क्षेत्र में मानक शेक्सपियर हैं, कालिदास उसके कद तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। आधुनिकता इस देश में अंग्रेज़ों के शासन से शुरू होती है। उससे पहले तो देश अवैज्ञानिकता के अंधेरे में हाथ-पैर मार रहा था। ईसा मसीह इतिहास है और महाभारत के कृष्ण कल्पना की उपज है। बाइबिल ऐतिहासिक रचना है और महाभारत व रामायण कल्पना के साहित्यिक ग्रंथ हैं। उधार ली हुई जड़ों से पेड़ ज्यादा विकास नहीं कर पाता और न ही अपने मूल स्वरूप को देर तक बचा कर रख सकता है। यदि फूल भी खिलते हैं तो वे देखने में तो सुंदर लगते हैं, परंतु सुगंध नहीं देते। भारतीय काव्य शास्त्र केवल संस्कृत भाषा पढ़ने-पढ़ाने वालों तक सीमित होकर रह गया, जबकि पाश्चात्य काव्य शास्त्र प्रत्येक भारतीय भाषाओं के पाठ्यक्रमों का हिस्सा बना दिया गया। पत्रकारिता में भी जब संचार प्रणालियों पर चर्चा शुरू हुई तो भारतीय संचार प्रणालियों की चर्चा तक नहीं की गई, जबकि जनसंचार में भारत प्राचीनकाल से विश्व का अग्रणी देश रहा है। घुमक्कड़ों या यायावरों की चर्चा हुई तो कोलम्बस, वास्कोडिगामा नायक बन गए, गुरु नानक देव की चर्चा ही नहीं की गई, जो निरंतर पच्चीस साल यायावरी ही करते रहे। यही कारण था कि तंद्रा से जाग जाने के बाद धीरे-धीरे देश ने अपनी जड़ों की तलाश शुरू की।

विश्व संवाद केंद्र के निर्देशक एवं वरिष्ठ प्रचारक, साहित्यकार श्री विजय जुनेजा ने नारद जयंती को मनाने के उद्देश्य पर प्रकाश डाला एवं विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त व्यवस्था प्रमुख श्री सुरेन्द्र मित्तल जी कार्यक्रम में आये अतिथि एवं पत्रकारों का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।
 विश्व संवाद केंद्र देहरादून द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुझे भी लेखक के रूप में आमंत्रित किया गया। हिमालय हूंकार पत्रिका के विशेषांक ” स्वाधीनता के 75 वर्ष और मैं” नामक शीर्षक में”स्वतंत्रता के 75 वर्षों में भारत की गौरवशाली यात्रा” नामक लेख को विशेषांक में स्थान मिला इसके लिए आयोजन समिति एवं सम्पादक मंडल का ह्रदय की गहराइयों से हार्दिक आभार एवं साधुवाद।

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