UTTARAKHAND

69 साल बाद 83 साल की परुली देवी को मिली पेंशन, 44 साल का होगा एरियर भुगतान

सरकारी सिस्टम की लापरवाही की इंतहा : पति के मरने के 69 साल तक नहीं मिल सकी थी पेंशन

मात्र 12 साल की उम्र में ब्याही परुली देवी के पति की मौत भारतीय सेना में ड्यूटी के दौरान 1952 में हुई

देवभूमि मीडिया ब्यूरो
पिथौरागढ़।
देवलथल तहसील के लोहकोट गांव निवासी परुली देवी को 69 साल बाद पेंशन मिलने जा रही है। 83 वर्षीय परुली देवी के पति गगन सिंह भारतीय सेना में तैनात थे। मात्र 12 साल की उम्र में ब्याही परुली देवी के पति की मौत भारतीय सेना में ड्यूटी के दौरान 1952 में हो गई थी। लेकिन सरकारी सिस्टम की लापरवाही के चलते बीते 69 साल तक उन्हें सेना की पेंशन नहीं मिल सकी। पिथौरागढ़ कोषागार के सेवानिवृत्त उप कोषाधिकारी डीएस भंडारी के प्रयास से अब परुली देवी की पेंशन स्वीकृत हो गई है। उन्हें 22 सितंबर 1977 से 44 वर्ष की पेंशन का एरियर का भुगतान किया जा रहा है। जो कि करीब 19 से 20 लाख रुपये मिलने का अनुमान है।

गौरतलब हो कि परुली देवी का मायका पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय के लिंठ्यूड़ा गांव में है। परुली देवी का विवाह 10 मार्च 1952 को देवलथल क्षेत्र के लोहाकोट निवासी सैनिक गगन सिंह के साथ हुआ था। शादी के दो महीने बाद 14 मई 1952 को ड्यूटी के दौरान राइफल की गोली चलने से गगन सिंह की मृत्यु हो गई थी। मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही परुली देवी विधवा हो गई। इस हादसे के बाद परुली देवी लिंठ्यूड़ा स्थित अपने मायके में ही आकर रहने लगीं। पति के भारतीय सेना में तैनात होने के बावजूद उन्हें पेंशन नहीं मिल पाई। साल 1985 से लागू पारिवारिक पेंशन के लिए चलते परुली देवी को पेंशन मिल जानी चाहिए थी। लेकिन ससुराल और मायके पक्ष को इसकी जानकारी नहीं मिल सकी।

परुली देवी की पेंशन स्वीकृत करने में पिथौरागढ़ के सेवानिवृत्त उपकोषाधिकारी डीएस भंडारी ने अहम भूमिका निभाई। इस प्रक्रिया में काफी मुश्किलें भी आईं। आखिरकार 18 जनवरी 2021 को प्रधान नियंत्रक रक्षा लेखा पेंशन प्रयागराज से उनकी पेंशन स्वीकृति आदेश (पीपीओ) मिला। डीएस भंडारी ने बताया कि परुली देवी की पेंशन 22 सितंबर 1977 से स्वीकृत हुई है। इसलिए उन्हें 44 साल की पेंशन का एरियर 19 से 20 लाख रुपये मिलने का अनुमान है। पति के निधन के 69 साल बाद 83 वर्ष की उम्र में पेंशन लगने से परुली देवी काफी खुश हैं। उनका कहना है कि जिंदगी में उन्हें काफी दुख झेलने पड़े हैं। लेकिन वो अब अपने परिवार के साथ इस खुशी को बांटना चाहती हैं।

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