महिलाओं को संसद एवं विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग
- महिला कांग्रेस ने डीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन
देहरादून । महानगर महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने महानगर अध्यक्ष कमलेश रमन के नेतृत्व में प्रदर्शन के उपरान्त जिलाधिका देहरादून को सौंपे प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन में महिलाओं को संसद एवं राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की मांग की गई है।
प्रधानमंत्री के नाम सौंपे मेरा हक नामक ज्ञापन में महानगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि महिलाएं भारत की आबादी का आधा हिस्सा हैं और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने भारी प्रगति की है, लेकिन अभी भी नीति बनाने और विधायी निकायों में इनका उचित प्रतिनिधित्व नहीं हैं। महिलाएं किसी भी तरह से कम सक्षम या योग्य नहीं है, लेकिन क्योंकि कई सामाजिक मानदंडों ने व्यवस्थित रूप से पुरूषों के साथ समान रूप से साझा करने से उन्हें दूर रखा है। यह जरू है कि हम एक नया लोकतांत्रिक पर्यावरणीय व्यवस्था तैयार करें, जो कानून और नीति बनाने में सक्रिय रूप से उनके द्वारा उच्च भागीदा सुनिश्चित करता है।
इसकी शुरूआत तब हुई जब राजीव गांधी ने प्रतिनिधित्व के अंतर को समझते हुए स्थानीय स्वराज्य पर भी महिलाओं को भागीदार बनाने के लिए इसका बीडा उठाया। 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों के मार्ग ने राजनीतिक रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने के मुद्दे को बल देकर उन्हें इन निकायों में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। इसे आगे बढाते हुए सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कई राज्यों की मदद से स्थानीय निकाय में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया। पंचायत स्तर पर शासन के साथ हमारे अनुभव से पता चला है कि नेतृत्व की स्थिति में महिलाएं जो निर्णय लेती है, वे एक समावेशी समाज के निर्माण का कारण बनती हैं और जो कि हमें भारत के संवैधानिक विचार पर आगे बढने में मदद करती हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि महिलाएं अभी भी पिछले आम चुनाव के बाद संसद में 11 प्रतिशत हिस्सेदा के साथ अपना प्रतिनिधित्व कर रही हैं जो कि शर्मनाक है।
जाहिर है विधायी निकायों में बडे पैमाने पर महिलाओं की इतनी कम संख्या समाज के लिए गंभीर परिणाम के परिचायक होंगे। इसलिए यह अनिवार्य हो जाता है कि हम महिला आरक्षण विधेयक की पारित करके इस ऐतिहासिक असंतुलन को ठीक करने में कोई समय नहीं खोना चाहिए, जो मार्च 2010 में संसद में रखा गया था, और राज्य सभा में एक भा बहुमत से पारित किया गया था, लेकिन 15 वीं लोकसभा में विघटन के साथ ही समाप्त हो गया। 2014 आम चुनावों के लिए भाजपा घोषणापत्र में भी लोकसभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का स्पष्ट उल्लेख था, लेकिन 3 साल के बाद भी लोकसभा में महिलाओं के आरक्षण के लिए इस बिल को पेश करने के लिए कोई पहल नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि 21 मई, 2017 को महिला कांग्रेस सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में लोकसभा में इस बिल को पेश करने हेतु जनता का समर्थन लेने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया था। महानगर अध्यक्ष कमलेश रमन के नेतृत्व में ज्ञापन देने वालों में नजमा खान, बाला शर्मा, बिमला मन्हास, अनुराधा, सुशीला देवी, पुष्पा पंवार, सुशीला देवी, धनी माला, रजनी रावत, आशा थापा, कविता, प्रणीता बडोनी, शांति रावत, जयावती, मधु देवी, सुशीला शर्मा, बबली देवी, रामप्या, सीमा जोशी, गीता सचदेवा, कान्ता क्षेत्री, आशा पयाल, संगीता रावत, गायत्री, सोनी आदि महिला कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल रहे।