बद्रीनाथ और केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर काम कर रही दो कंपनियों पर 20 लाख रुपये का जुर्माना ठोका गया है. ये कंपनियां निर्माण कार्य से निकलने वाला मलबा नदियों में फेंक रही थीं.
बद्रीनाथ और केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऑल वेदर कार्य कर रही कंपनियों की अब खैर नहीं है. वन विभाग की ओर से इन कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही अमल में लाई जा रही है. जो पहाड़ी कटिंग का मलबा सीधे मंदाकिनी व अलकनंदा नदी में फेंक रहे हैं.
अब तक वन विभाग की ओर से 20 लाख का जुर्माना वसूला गया है और सख्त हिदायत देते हुए नदियों में मलबा नहीं डालने के निर्देश दिये गये हैं.
बता दें कि बद्रीनाथ हाईवे पर जनपद की सीमा में सिरोबगड़ से घोलतीर तक आरसीसी कंपनी कार्य कर रही है, जबकि केदारनाथ हाईवे पर जवाड़ी बाईपास से फाटा तक आरजीबी कंपनी कार्य कर रही है. ये कंपनियां नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए निर्माण कार्य करने में लगी हैं. सड़क कटिंग का मलबा सीधे अलकनंदा व मंदाकिनी नदी में फेंका जा रहा है, जिस कारण नदियां प्रदूषित होने के साथ ही जीव-जंतुओं के अस्तित्व भी खत्म होता जा रहा है.
साथ ही बरसाती सीजन में यह मलबा तबाही का रूप ले लेता है, जिससे नदी किनारे बसे लोगों को काफी दिक्कतें होती हैं.
इन दिनों बद्रीनाथ हाईवे के नरकोटा व तिलणी के पास कटिंग का कार्य चल रहा है. आरसीसी कंपनी एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर कार्य करने में लगी है. पहाड़ी कटिंग के मलबे को सीधे नदी में फेंका जा रहा है, जिस पर वन विभाग ने भी एक्शन ले लिया है और कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा केदारनाथ हाईवे के फाटा, शेरसी सहित अन्य स्थानों पर कटिंग का कार्य चल रहा है. साथ ही पुलों का निर्माण भी किया जा रहा है. इन निर्माण कार्यो से निकले मलबे को नदी में फेंका जा रहा है.
रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के उप वन संरक्षक वैभव कुमार सिंह ने कहा कि मानसून सत्र में आपदा की घटना बढ़ने की संभावनाएं रहती हैं. स्थानीय लोगों की पेयजल लाइन को भी नुकसान पहुंचता है. आरसीसी व आरजीबी कंपनियों के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं. ऐसे में समय-समय पर कंपनियों की ओर से बनाये गये डंपिंग जोन के साथ ही नदियों में फेंके गये मलबे का निरीक्षण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रकरण संज्ञान में आने पर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया जा रहा है. इसके साथ ही कंपनियों को हिदायत दी गई है कि मलबा नदियों में न डाला जाए.