द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन : अमेरिका के 16 राज्य मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने के फैसले के खिलाफ अदालत पहुंच गए हैं। इन राज्यों ने ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा कर आपातकाल के फैसले को चुनौती है। ट्रंप ने गत शुक्रवार को आपातकाल संबंधी शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इससे उन्हें अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के के लिए जरूरी 5.6 अरब डॉलर (करीब 39 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा) की धनराशि प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
सैन फ्रांसिस्को की अदालत में सोमवार को दाखिल मुकदमे में दलील दी गई है कि राष्ट्रपति को मेक्सिको से लगी सीमा पर दीवार बनाने के लिए अन्य काम का फंड लगाने का अधिकार नहीं है क्योंकि सार्वजनिक धन के खर्च को संसद नियंत्रित करती है। कैलिफोर्निया राज्य के अटॉर्नी जनरल जेवियर बेकर्रा ने कहा, हमने व अन्य राज्यों ने कानूनी रास्ता अपनाया है क्योंकि दूसरी योजनाओं का धन सैन्य परियोजनाओं में लगाए जाने की आशंका है। कोर्ट में दाखिल मुकदमे में कहा गया है कि वादी राज्य अपने नागरिकों, प्राकृतिक संसाधनों और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए कोर्ट पहुंचे हैं।
इन राज्यों ने दाखिल किया है मुकदमा : आपातकाल के खिलाफ मुकदमा दायर करने वाले राज्यों में कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलवेयर, हवाई, इलिनॉयस, मेन, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनिसोटा, नेवादा, न्यूजर्सी, न्यू मेक्सिको, ओरेगन और वर्जीनिया शामिल हैं। इन सभी राज्यों के गवर्नर डेमोक्रेटिक हैं।
इस वजह से की आपातकाल की घोषणा :ट्रंप ने संसद से अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार निर्माण के लिए 5.6 अरब डॉलर का बजट मांगा था। लेकिन संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में बहुमत में आए विपक्षी डेमोक्रेट सांसदों ने इतनी राशि देने से इन्कार कर दिया। उन्होंने महज 1.35 अरब डॉलर के बजट को स्वीकृति दी। इसके बाद ट्रंप ने फंड जुटाने के लिए यह कदम उठाया। उनकी दलील है कि अमेरिका में शरणार्थियों के अवैध प्रवेश और मादक पदार्थो की तस्करी रोकने के लिए मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाना जरूरी है। डेमोक्रेट्स सांसदों का कहना है कि यह करदाताओं के धन की बर्बादी है।
अमेरिका की एक संसदीय समिति ने भी आपातकाल की घोषणा की जांच शुरू की है। प्रतिनिधि सभा की न्यायिक समिति के डेमोक्रेट्स सदस्यों ने ट्रंप को लिखे पत्र में कहा कि इस घोषणा में शामिल रहे ह्वाइट हाउस और न्याय विभाग के अधिकारियों को सुनवाई के लिए उपलब्ध कराया जाए।