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त्रिवेंद्र सरकार में प्रदेश के युवाओं को मिल रहा स्टार्ट-अप का मौका

पलायन को रोकने की रणनीती पर कार्य कर रहे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र 

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की स्टार्टअप रैंकिंग-19 में राज्य को एस्पायरिंग लीडर्स श्रेणी में स्थान मिला

देवभूमि मीडिया ब्यूरो                                              

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से उत्तराखंड ने स्टार्टअप के क्षेत्र में काफी मेहनत की है, अब इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं ……

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 

उत्तराखंड के युवाओं का भविष्य त्रिवेंद्र सरकार में निखर रहा है। राज्य के युवाओं को स्टार्टअप से जोड़ने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। सितंबर 2020 में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी की गई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की स्टार्टअप रैंकिंग-19 में राज्य को एस्पायरिंग लीडर्स श्रेणी में स्थान मिला है। इतना ही नहीं स्टार्टअप नीति से कोरोना काल में नौकरी छूटने के अभाव में उत्तराखंड वापस लौटे प्रवासियों को भी बल मिल रहा है। खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में पलायन को रोकने में त्रिवेंद्र सरकार सफल होती दिख रही है। त्रिवेन्द्र सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना लांच की है। इसके तहत राज्य के युवा और बेरोजगार लोगों को विनिर्माण में 25 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपये तक की परियोजनाओं पर ऋण दिया जा रहा है।
हालांकि पहले त्रिवेंद्र सरकार को राज्य में स्टार्टअप की शुरूआत में कुछ दिक्कतें आईं। लेकिन अपनी ढृढ़ इच्छा शक्ति से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 2019 में स्टार्टअप नीति लागू की। जिसके बाद उद्योग निदेशालय में इसका प्रकोष्ठ बनाकर नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया। इसमें विभिन्न विश्व विद्यालयों और आईआईटी रूड़की, आईआईएम काशीपुर का भी सहयोग लिया गया। वर्तमान में राज्य में कृषि, मेडिकल डिवाइस, पर्यटन, पर्यावरण और ईको टूरिज्म सहित 70 क्षेत्रों में स्टार्टअप जारी है। अधिक संख्या में युवा स्टार्टअप की तैयारियों में जुटे हुए हैं। बतौर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से उत्तराखंड ने स्टार्टअप के क्षेत्र में काफी मेहनत की, अब इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं।

उत्तराखंड को स्टार्ट-अप हब बनाने की तैयारी तेज

उत्तराखंड को स्टार्टअप हब बनाने की कवायद तेज हो रही है। भारत सरकार की संस्था सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पाक्र्स ऑफ इंडिया (एसटीपीआइ) व उत्तराखंड की इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी (आइटीडीए) के बीच वर्ष 2019 में एमओयू किया गया। उत्तराखंड भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र व स्टार्टअप इंडिया का हिस्सा बन जाएगा। इससे राज्य में करीब 1200 रोजगार के नए साधन विकसित होंगे, जबकि तीन साल के भीतर 100 स्वरोजगार केंद्र भी स्थापित हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि आइटीडीए ड्रोन टेक्नोलॉजी को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने के लिए भी काम कर रहा है। निकट भविष्य में प्रदेश में आइटी से संबंधित आवश्यक दक्षताओं का विकास हो पाएगा।

बड़े पैमाने में रूकेगा राज्य से पलायन

कोरोना संक्रमण के चलते लागू लाॅकडाउन के कारण देश सहित विदेश में जाॅब कर रहे हजारों उत्तराखंडी युवाओं घर लौट आए हैं, इनमें ज्यादातर ऐसा युवा वर्ग है, जो संक्रमण की जद में आकर नौकरी गंवा बैठे हैं। अपने घर पहुंचने के बाद सर्वप्रथम उनके समक्ष नौकरी समस्या बनी हुई है। नौकरी ही ऐसा विषय है जिसके लिए उन्हें अपने गांवों से पलायन करना पड़ा था। उत्तराखंड में भी लंबे समय से पलायन की समस्या पैदा हो रही थी। अब त्रिवेंद्र सरकार स्टार्टअप योजना से युवाओं को जोड़कर न सिर्फ रोजगार सृजन कर रही है, बल्कि राज्य में पलायन को रोकने में अग्रणीय भूमिका भी निभा रही है।

क्या है स्टार्ट -अप इंडिया योजना

इस योजना की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी 2016 को दिल्ली के विज्ञान भवन में की। इसके तहत पा़त्रता के लिए विभिन्न शर्तें लागू होती हैं। इनमें स्टार्टअप इंडिया स्कीम के तहत स्टार्टअप की मान्यता तभी दी जाएगी। जब कंपनी प्राइवेट लिमिटेड होगी और उसका पंजीकरण कंपनीज एक्ट के तहत होगा या पंजीकृत पार्टनरशिप फर्म हो। कंपनी की स्थापना सात वर्षों से पहले की न हो। हालांकि जैव प्रौद्योगिकी में यह अवधि 10 साल है। कारोबार का आवर्त किसी भी वर्ष में 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। व्यवसाय में पहले से ही एक व्यवसाय को बांटकर या पुनर्निर्माण से संस्था का गठन नहीं हुआ होना चाहिए।

स्टार्ट -अप योजना की विशेषताएं

कारोबारियों के कमाए गए मुनाफे पर व्यवसाय शुरू होने के पहले तीन साल तक इनकम टैक्स में छूट, उद्यमियों के निवेश के बाद अपनी संपत्ति बेचने पर 20 प्रतिशत की दर से लगने वाले पूंजीगत लाभ टैक्स से भी छूट, यह छूट सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त उद्यम पूंजीकोषों के निवेश पर भी उपलब्ध होगी। देश में नए उद्यमों के लिए एक उदार पेटेंट व्यवस्था भी लाई जाएगी। पेटेंट पंजीकरण में इन उद्यमों को पंजीकरण शुल्क में 80 प्रतिशत की छूट, दिवाला कानून में स्टार्ट अप उद्यमों को कारोबार बंद करने के लिए सरल निर्गम विकल्प देने का प्रावधान, इसके तहत अगर काम नहीं चलता है तो 90 दिन की अवधि में ही स्टार्ट अप अपना कारोबार बंद कर सकेंगे। इसके अलावा छात्रों के लिए इनोवेशन के कोर्स शुरू होंगे और 5 लाख विद्यालयों में 10 लाख बच्चों पर फोकस करके इसको बढ़ाया जाएगा। स्वः प्रमाणन आधारित अनुपालन व्यवस्था से स्टार्टअप पर नियामकीय बोझ कम होगा। स्वःप्रमाणन अनुपालन की यह व्यवस्था कर्मचारियों को गे्रच्युटी भुगतान, ठेका कर्मचारी, कर्मचारी भविष्य निधि कोष, पानी और वायु प्रदूषण कानूनों के मामले में उपलब्ध होगी।

दुनियाभर में स्टार्टअप की तीसरी बड़ी संख्या भारत में

स्टार्टअप को वित्तपोषण का समर्थन देने के लिए सरकार 2,500 करोड़ रुपए का शुरुआती कोष बनाएगी, जिसमें अगले 4 साल के दौरान कुल 10,000 करोड़ रुपए का कोष होगा। दुनियाभर में स्टार्टअप की तीसरी बड़ी संख्या भारत में है। सरकार इन उद्यमों को सरकारी खरीद ठेके लेने के मामले मे भी मानदंड में कई तरह की छूट दी जाएगी। इसमें महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।

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