एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर भितरघात की आशंका !
देहरादून। उत्तराखण्ड के चौथे विधानसभा आम चुनाव में बागियों ने कांग्रेस और भाजपा के समीकरण बिगाडऩे का काम किया है। हालत यह दिख रहे है कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राजनीतिक दल जादूई आंकड़े से दूर नजर आ रहे हैं। इस बार प्रदेश की एक एक सीट पर कांटे की टक्कर के हालात बने हुए है। इस बार भी बसपा सहित निर्दलीय किंग मेकर की भूमिका में नजर आ रहे है। इतना ही कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्दलीयों में मुकाबले को त्रिकोणीय तक बना डाला है। हरिद्वार और उधमसिंहनगर में कांग्रेस और भाजपा को बसपा से भी मुकाबला करना पड़ रहा है। गढ़वाल और कुमाऊं में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कईं सीटों पर बागियों का सामना कर रहे हैं। कुछेक सीटों को छोड़ दें तो अधिकतर सीटों पर कांटे का मुकाबला है। इससे पता चलता है यहां किसी की एक तरफा लहर नहीं है।
उत्तराखंड विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं। यानी बहुमत के लिए 36 का जादुई आंकड़ा चाहिए। हालांकि 69 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो चुके हैंै। उल्लेखनीय रहे कि चमोली जिले की कर्णप्रयाग सीट पर बसपा प्रत्याशी की सडक़ दुर्घटना में मौत हो जाने के बाद इस सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया, जो कि अब नौ मार्च को कराया जा रहा है। उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए जो दावा पेश करेगा उसके पास 36 का आंकड़ा होना चाहिए। यदि प्रदेश के तीसरे विधानसभा चुनाव की तस्वीर देखी जाए तो मतदाताओं ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को नकारते हुए कांग्रेस को बढ़त दी। कांग्रेस कांग्रेस- 32 विधायक ,बीजेपी- 31 विधायक ,बसपा- 3 विधायक ,यूकेडी- 1 विधायक निर्दलीय- 3 विधायक चुनाव जीतकर आए थे। 70 विधानसभा सीटों में, गढ़वाल रीजन में 41 और कुमाऊं की 29 विधानसभा सीटें शामिल हैं। इसमें भी गढ़वाल के मैदानी जिले हरिद्वार और कुमाऊं के उधमसिंह नगर में कुल मिलाकर 20 सीटें हैं। गढ़वाल, कुमाऊं में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा होता रहा है।
गढ़वाल और कुमाऊं में एक-एक सीट पर जोरदार मुकाबला चल रहा है। बागियों ने भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस की भी हालत पतली कर दी है। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए 14 बागियों को भाजपा को टिकट देना पड़ा यानी 14 सीटों पर भाजपा को अपने परंपरागत उम्मीदवारों के टिकट काटने पड़े। इनमें से कईं सीटों पर भाजपा के घोषित उम्मीदवारों को बागी उम्मीदवारों का सामना करना पड़ रहा है।
मसलन पौड़ी की कोटद्वार सीट को देखें, यहां कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आए हरक सिंह रावत ताल ठोके हुए हैं। यहां से भाजपा की उम्मीदवारी की तैयारी कर रहे शैलेंद्र रावत का टिकट काट दिया गया। रावत ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। पौड़ी की ही यमकेश्वर सीट पर भाजपा ने अपनी सिटिंग विधायक विजया बर्थवाल का टिकट काटकर पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी को टिकट दे दिया गया। खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अल्मोड़ा की रानीखेत सीट पर पार्टी को भितरघात की आशंका सताए जा रही है। भितरघात को लेकर कुमाऊं और गढ़वाल की कुछ सीटों पर कांग्रेस की हालत भी कुछ ऐसी ही है। कांग्रेस ने भाजपा से आए 7 लोगों को टिकट दिए हैं, मसलन नैनीताल में भीमताल सीट पर कांग्रेस ने राम सिंह कैडा का टिकट काटकर भाजपा से आए दान सिंह भंडारी को उम्मीदवार बनाया। कैडा ने वहां से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार ताल ठोकी है। इसके अलावा सेफ सीट के चक्कर में प्रदेश कांग्रेस अयक्ष किशोर उपाध्याय को देहरादून की सहसपुर से उतार दिया गया। इसके बाद सहसपुर से कांग्रेस के आर्येन्द्र शर्मा ने बगावत कर बतौर निर्दलीय ताल ठोक दी। माना जा रहा है कि नतीजा यहां अप्रत्याशित हो सकता है। गढ़वाल और कुमाऊं रीजन कांग्रेस और भाजपा एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर भितरघात की आशंका बनी हुई है।