UTTARAKHAND

तो किस काम की है दिल्ली में तैनात उत्तराखंड के अधिकारियों की फौज

उत्तराखंड में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग पर पानी फेर रहे ये अधिकारी

दिल्ली में फंसे उत्तराखंड के लोगों की सुध नहीं ले रहे अधिकारी

उत्तराखंड सदन में तैनात अधिकारी फोन तक रीसिव नहीं कर रहे

उत्तराखंड सदन में नियुक्त अफसरों के व्यवहार से नाराज हैं उत्तराखंड के निवासी

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

दिल्ली में राज्य की केंद्र से पैरवी और राज्यहितों को देखने के लिए तैनात अधिकारियों की फौज 

  • ओम प्रकाश (प्रमुख स्थानिक आयुक्त)

  • श्रीमती राधिका झा (स्थानिक आयुक्त)

  • श्रीमती इला गिरी (अपर स्थानिक आयुक्त)

  • उत्तराखंड पर्यटन का हरी भरकम अमला 

  • GMVN व KMVN का अमला 

  • स्थानिक आयुक्त कार्यालय में तैनात कई नामचीन लोगों की धर्मपत्नियाँ जिन्हे दिल्ली में राज्य के कार्यों हेतु तैनात किया गया है। 

देहरादून। कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर उत्तराखंड सरकार के प्रयासों में कोई कमी नहीं दिख रही है। राज्य के लोगों की सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की चिंताएं साफ दिखाई दे रही हैं,लेकिन दिल्ली में बैठे राज्य के अधिकारियों को इन सबसे कोई असर नहीं पड़ता। जब ये अधिकारी दिल्ली और अन्य स्थानों में फंसे उत्तराखंड के लोगों की समस्याओं का कोई हल नहीं निकाल पा रहे हैं, तो इनको वहां तैनात क्यों किया गया है।

उत्तराखंड सदन में तैनात कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के पास उत्तराखंड में भी अहम जिम्मेदारियां हैं। दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन में अधिकारियों की तैनाती केंद्र सरकार में राज्य के मसलों को फालोअप करना तथा वहां फाइलों की स्थिति की जानकारियां राज्य तक पहुंचाना है। यानी कुल मिलाकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच समन्वय स्थापित करना है।

दिल्ली में उत्तराखंड सहित विभिन्न राज्यों के भवन हैं और वहां रेजीडेंट कमिश्नर सहित कई अफसरों की तैनाती की गई है। इनकी भूमिका ठीक उसी तरह होती है,जैसे किसी देश में अन्य राष्ट्रों के दूतावासों की होती है। इनका कार्य केंद्र या अन्य राज्यों में रह रहे अपने प्रदेश के लोगों की समस्याओं के समाधान में मदद करना, उनके मामलों को मॉनिटर करना तथा उनके हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार से समन्वय बनाना है, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण जैसी आपात स्थिति में उत्तराखंड स्थानिक आयुक्त कार्यालय में नियुक्ति पाने वाले अफसर ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं।

दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में रह रहे उत्तराखंड के निवासियों की समस्याओं को दूर करने में सहयोग करना भी उत्तराखंड सदन में तैनात अधिकारियों की जिम्मेदारियों में शामिल हैं। कोरोना वायरस को लेकर उपजी आपात स्थिति में इनकी जिम्मेदारी अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा बढ़ जाती है। दिल्ली में फंसे उत्तराखंड के लोगों को राहत की व्यवस्था तो दूर की बात उनसे बात तक नहीं की जा रही है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में तैनात एक अधिकारी फोन रीसिव नहीं कर रहे। अब ऐसी स्थिति में उत्तराखंड के लोगों की दिल्ली में कौन मदद करेगा।

सवाल उठता है कि दिल्ली और देहरादून दोनों जगह पद संभाल रहे इन अधिकारियों से राज्य के लोगों को क्या राहत मिल रही है। वहीं दिल्ली में भी सरकारी सुविधाएं लेने वाली अधिकारियों की फौज आपात स्थिति में भी राज्य और यहां के लोगों की परवाह नहीं करेगी तो इनकी नियुक्तियों की वहां क्या जरूरत है। इससे तो यही साबित होता है कि कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ जंग में मुख्यमंत्री के तमाम प्रयासों पर ये अधिकारी पानी फेरने में लगे हैं।

उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी नंदन सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड सदन में तैनात स्थानिक आयुक्त ईला गिरी को दिल्ली में फंसे उत्तराखंड के लोगों ने फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन रीसिव नहीं किया। क्या राज्य के निवासियों के प्रति उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। इन अफसरों में कोई करुणा दया नहीं है।

devbhoomimedia

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