Uttarakhand

छह माह में उत्तराखंड सरकार लाएगी नई खनन नीति!

  • नई खनन नीति को धरातल में उतरने में छह माह का समय

देहरादून : भाजपा सरकार की नई और पारदर्शी खनन नीति को लागू करने में और उसको धरातल में उतरने में लगभग छह महीने का और समय लगेगा। सरकार की अभी तक ई-नीलामी नीति के धरातल में न उतरने के कारण फिलहाल खनन पट्टों का आवंटन मौजूदा नीति के हिसाब से ही होगा। इसलिए सरकार फिलहाल निजी पट्टों पर बहुत अधिक हस्तक्षेप नहीं करेगी। उधर, एक अक्टूबर से खनन शुरू होने के बावजूद अभी तक गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन), कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन), उत्तराखंड वन विकास निगम को आवंटित खनन क्षेत्रों समेत चार मैदानी जिलों में खनन प्रक्रिया पूरी तरह शुरू नहीं हो पाई है। इस पर नाराजगी जताते हुए राज्य शासन ने संबंधित विभागों व जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर शीघ्र खनन प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।राज्य में खनन को लेकर हमेशा से ही हंगामा मचता रहा है और हर बार खनन विभाग कटघरे में खड़ा रहने को मजबूर है। इसे देखते हुए इस बार शासन ने खनन की प्रक्रिया को पारदर्शी व विवाद रहित बनाने के लिए खनन के पट्टे ई-नीलामी के जरिए देने का निर्णय लिया। प्रस्ताव यह रखा गया कि इसे दो चरणों में यह संपन्न किया जाएगा।

पहले चरण में सरकार का खनन महकमा क्षेत्र में मौजूदा खनन का आंकलन करेगी और फिर खनिज की सबसे ऊंची मात्रा बताने वाले पांच ठेकेदारों के बीच ई-नीलामी की जाएगी। विभाग की मंशा इसमें निजी पट्टों को लेने की भी है । पर्वतीय इलाकों में अधिकांश निजी पट्टे खड़िया से जुड़े हैं और सरकार का मानना है कि देश में खड़ि‍या का बहुत बड़ा बाजार है और सबसे अधिक अवैध कारोबार भी खड़ि‍या का ही होता है। लिहाज़ा अब सरकार खड़िया खनन करने वालों पर नकेल कसने वाली है।

वहीँ विभाग की ओर से अब तक जो नीति का मसौदा तो बनाया गया लेकिन निजी खनन काराबोरियों के जबरदस्त दबाव के चलते यह अभी तक मूर्त रूप नहीं ले पाया है। पहले माना यह जा रहा था कि सितंबर माह के अंत में कैबिनेट बैठक या फिर अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में होने वाली बैठक में यह नई खनन नीति कैबिनेट में रखी जाएगी। अभी तक तमाम दबावों के बावजूद इसके नई खनन नीति कैबिनेट बैठकों में नहीं आ पाई है।

सूत्रों की मानें तो दूसरी कैबिनेट बैठक में इसे लाने का प्रयास तो हुआ लेकिन इसमें संशोधन लाने की बात कहते हुए इसे अब तक दो बार एजेंडे से बाहर कर दिया गया।अधिकारियों के अनुसार यदि ई-नीलामी के लिए कैबिनेट की स्वीकृति मिलती भी है तो इसे धरातल पर उतरने में छह माह लग जाएंगे। इस कारण फिलहाल पुरानी नीति से ही काम चलाना पड़ेगा। वहीं, खनन शुरू करने का समय शुरू होने के बावजूद कई जिलों में यह पूर्ण रूप से शुरू नहीं हो पाया है।

प्रमुख सचिव खनन आनंद वर्द्धन का कहना है कि यदि अभी नीलामी प्रक्रिया शुरू होती है तो तीन माह नीलामी में और फिर अगले तीन माह स्वीकृति लेने की प्रक्रिया में लगेंगे। इस कारण छह माह से पहले यह काम शुरू नहीं हो सकता। ऐसे में फिलहाल पुरानी नीति ही प्रभावी रहेगी। कई जनपदों में खनन शुरू न होने के संबंध में उन्होंने कहा कि इसके लिए संबंधित अधिकारियों को उचित दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

devbhoomimedia

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