देहरादून । गुरुवार (आज) प्रातः कुमाऊं और गढ़वाल में टैक्सी चालकों की हड़ताल ने पर्वतीय इलाकों की तरफ जाने वाले यात्रियों के सामने परेशानी पैदा कर दी है। वहीँ पर्वतीय इलाकों से राज्य के मैदानी इलाकों की तरफ आने वाले यात्री भी काफी मुसीबत में रहे। इतना ही नहीं पर्वतीय कस्बों से पर्वतीय गंतव्यों की तरफ जाने वाले स्थानीय लोग भी टैक्सियों की हड़ताल से हलकान देखे गए।
हालाँकि जिला प्रशासन ने गुरुवार सुबह से ही यात्रियों के लिए अतिरिक्त रोजवेज व निजी बसों की व्यवस्था की गई थी लेकिन इसके बावजूद यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जितनी संख्या यात्रियों की पहाड़ों की तरफ छुट्टियां होने केकरा जाने को इंतज़ार में हैं उसके मुकाबले प्रशासन की व्यवस्था नाकाफी नज़र आ रही है।
गौरतलब हो कि टैक्सियों में स्पीड गर्वनर लगाने के विरोध में गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के टैक्सी चालक गुरुवार को हड़ताल पर हैं। हड़ताल गुरुवार सुबह रानीखेत एक्सप्रेस से काठगोदाम पहुंचे यात्रियों को नैनीताल व दूसरे पर्यटन स्थलों की ओर जाने के लिए टैक्सी नहीं मिली। परेशान यात्रियों को रोडवेज की बसों के जरिए नैनीताल व दूसरी जगहों की ओर रवाना किया गया।
वहीं गढ़वाल और कुमाऊं के पर्वतीय इलाकों से ऋषिकेश ,देहरादून और हल्द्वानी काठगोदाम आने वाले लोगों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हल्द्वानी में रोडवेज के मंडलीय प्रबंधक (संचालन) यशपाल सिंह ने बताया कि यात्रियों को किसी तरह की दिक्कत ना हो इसके लिए कुछ रूटों में कटौती कर पर्वतीय रूट पर गाड़ियों को बढ़ाया गया है।
उधर टैक्सी चालकों ने प्रदर्शन करते हुए देहरादून के रिस्पना और ऋषिकेश के नटराज चौक सहित हल्द्वानी में टैक्सी यूनियन कार्यालय के बाहर चालकों ने धरना और विरोध प्रदर्शन किया। मामले में टैक्सी चालकों का कहना था कि 60 से 70 किलोमीटर की अधिकतम रफ्तार अब प्रासंगिक नहीं है। अगर टैक्सी चालक मैदानी क्षेत्रों की ओर जाते हैं तो उन्हें ज्यादा समय लगेगा। ऐसे में स्पीड गर्वनर लगाना पूरी तरह से जहाँ समय की बर्बादी करेगा वहीँ इससे उनकी आय भी प्रभावित होगी।